G.NEWS 24 : उत्तर भारत के कई शहरों में महसूस किये गए भूकंप के तेज झटके

21 मार्च की रात…

उत्तर भारत के कई शहरों में महसूस किये गए भूकंप के तेज झटके

अफगानिस्तान के हिंदुकुश क्षेत्र में मंगलवार रात को 6.6 तीव्रता वाला भूकंप आया. इसका असर भारत में भी देखने को मिला. उत्तर भारत के कई शहरों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. रिक्टर स्केल के मुताबिक, भूकंप की तीव्रता काफी अधिक थी, जिससे भारत में काफी ज्यादा नुकसान हो सकता था. विशेषज्ञों के अनुसार, 6 से 6.9 की तीव्रता वाला भूकंप इमारतों की नींव को दरका सकता है और ऊपरी मंजिलों को नुकसान पहुंच सकता है. राहत की बात है कि भारत में कहीं से भी किसी तरह के नुकसान की सूचना नहीं मिली है.

दिल्ली-एनसीआर के लोगों के लिए मंगलवार रात काफी डरावनी रही. भूकंप के झटकों को महसूस करने के बाद पूरी रात लोग डर के साय में रहे. कई जगह पर लोग घंटों तक घरों के बाहर ही खड़े नजर आए. नोएडा के एक निवासी ने कहा, "मैंने सबसे पहले डाइनिंग टेबल को हिलते हुए देखा, इसके तुरंत बाद हमने देखा कि पंखे भी हिल रहे थे. भूकंप की तीव्रता काफी तेज थी और काफी देर तक झटके महसूस हुए."

दिल्ली-एनसीआर समेत ग्वालियर में भी लोगों ने भूकंप के झटके महसूस किए। ऊंची इमारतों में रहने वाले लोग अपने घरों से बाहर निकल आए। यह झटके लोगों ने मंगलवार रात 10.20 बजे के करीब महसूस किए। भूकंप के झटके ऊपरी मंजिल में रहने वाले लोगों ने महसूस किए। थाटीपुर स्थित माधवराव सिंधिया एन्क्लेव में रहने वाले डॉ. आरके गुप्ता ने बताया कि रात 10.20 बजे के करीब सीलिंग फैन हिलने लगा। दूसरी मंजिल में रहने वाले कर्मवीर आर्या का कहना था कि भूकंप के झटके महसूस होते ही उनकी कॉलोनी में रहने वाले सभी लोग घरों से बाहर निकल आए। सिटी सेंटर में रहने वाले डॉ. राजेश गुप्ता ने बताया कि वह आठवीं मंजिल पर रहते हैं, भूकंप के झटके महसूस होते ही परिवार सहित नीचे उतर आए।

भारतीय मानक ब्यूरो ने देश को पांच अलग-अलग भूकंप जोन में बांटा हुआ है. पांचवें जोन में आने वाले इलाकों को सबसे ज्यादा खतरनाक और सक्रिय माना जाता है. इस जोन में आने वाले राज्यों में ज्यादा तबाही की आशंका रहती है. इसी तरह पांचवे से पहले जोन की ओर चलने पर जोखिम कम होता चला जाता है. बता दें कि सबसे खतरनाक यानी पांचवें जोन में देश की कुल जमीन का 11% हिस्सा आता है. वहीं चौथे जोन में 18% जमीन आती है. तीसरे और दूसरे जोन में 30% जमीन आती है. सबसे अधिक खतरा चौथे और पांचवें जोन वाले राज्यों को है.

  • 0 से 1.9 की तीव्रता वाले भूकंप का पता सिर्फ सीज्मोग्राफ से ही चलता है.
  • 2 से 2.9 की तीव्रता का भूकंप आने पर हल्का कंपन होता है.
  • 3 से 3.9 की तीव्रता का भूकंप आने पर ऐसा लगता है जैसे बगल से कोई बड़ा वाहन गुजर गया हो.
  • 4 से 4.9 की तीव्रता वाले भूकंप से घर की खिड़कियां टूट सकती हैं और अगर दीवारों पर टंगी घड़ी या फ्रेम गिर सकते हैं.
  • 5 से 5.9 की तीव्रता वाले भूकंप के झटकों से घर में रखा फर्नीचर हिल सकता है.
  • 6 से 6.9 की तीव्रता वाला भूकंप खतरनाक साबित हो सकता है. इससे इमारतों की नींव दरक सकती हैं और ऊपरी मंजिलों को नुकसान पहुंच सकता है.
  • 7 से 7.9 की तीव्रता का भूकंप आने पर इमारतें ढह सकती हैं और जमीन के अंदर धंसी पाइपलाइन फट सकती है.
  • 8 से 8.9 की तीव्रता के भूकंप में इमारतों के साथ-साथ बड़े-बड़े पुल भी गिर सकते हैं. वहीं, 9 या उससे ज्यादा की तीव्रता का भूकंप आने पर जमकर तबाही मचती है. समंदर नजदीक होने पर सुनामी भी आ सकती है.

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