जिस दिन तेरी बहन भी आग का श्रंगार बन जाएगी...
उस दिन तेरी ये जीत,तेरी हार बन जाएगी
ग्वालियर। शहर की प्रतिष्ठित एवं सामाजिक संस्था जन उत्थान न्यास के तत्वाधान में आज अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन अग्रसेन चौराहा पुराना बस स्टेण्ड मुरार पर किया गया। हास्य कवि सम्मेलन कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व पार्षद जयनारायण सगर मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता महापौर डाॅ. श्रीमती शोभा सतीश सिकरवार ने की। इससे पहले कार्यक्रम में अतिथियों एवं कवियों का स्वागत व सम्मान जन उत्थान न्यास के अध्यक्ष एवं 16 ग्वालियर पूर्व से कांग्रेस विधायक डाॅ. सतीश सिकरवार ने शाॅल-श्रीफल भेंट कर एवं पुष्पहारों से किया। हास्य कवि सम्मेलन में देश के ख्याति प्राप्त हास्य कवि राजेन्द्र मालवीय ‘हास्य’ इटारसी, रंजना सिंह ‘हास्य गीत’ लखनऊ, राजकिशोर राज ‘गीत’ मुरैना, मोहित शौर्य ‘ओज’ गाजियाबाद, सतेन्द्र वर्मा ‘सत्येन’ इंदौर एवं वासुदेव व्यग्र ‘हास्य’ मुरैना ने काव्य पाठ किया।
कार्यक्रम का संचालन के.के. पाण्डे ने किया। हास्य कवि सम्मेलन में रंजना सिंह ‘हास्य गीत’ लखनऊ ने प्रस्तुति देते हुये कहा कि बहते दरिया के रूख को मोडने की मत सोचो, कोरी चादर है इसे ओढने की मत सोचा, कली होती है जमाने में महक देने को, तुम इनसे प्यार करो तोडने की मत सोचो " का काव्य पाठ किया। अगली प्रस्तुति देते हुये राजकिषोर राज ‘गीत’ मुरैना ने कहा कि मुख से मीठे वचन बोल कर देख लो, प्रेम श्रद्धा का रंग घोलकर देख लो, पीर पर्वत सी पल में पिघल जाएगी, द्वार दिल के जरा खोलकर देख लो का काव्य पाठ किया।
अगली प्रस्तुति देते हुये राजेन्द्र मालवीय ‘हास्य’ कवि इटारसी ने कहा कि हमारी जिंदगी में जो भी है वो, अपने बच्चों की देख-भाल के लिये, हम अपने हार्ट अटेक को भूल जाते है, उनके हेयर फाल के लिए का काव्य पाठ किया। अगली प्रस्तुति देते हुये वासुदेव व्यग्र ‘हास्य’ मुरैना ने कहा कि पीडित बहुत हुआ है मन ये आंतकी आकओं से, जिनके बच्चे कत्ल हुये है पूछो उनकी मांओं से, जिन षाखों से तोड लिए हों कच्चे फल व पत्ते भी, पूछ सको तो पीडा पूछो रोती उन षाखाओं से का काव्य पाठ किया।
अगली प्रस्तुति कार्यक्रम संचालक एवं हास्य कवि के.के. पाण्डे ने कहा कि तेरी ये जीत, तेरी हार बन जाएगी, जिस दिन तेरी बहन भी आग का श्रंगार बन जाएगी का काव्य पाठ किया। अगली प्रस्तुति देते हुये सतेन्द्र वर्मा ‘सत्येन’ इन्दौर ने कहा कि दौलत की झंकार नही, फन की खनक रखते हैं, हम फकीरों की बात मत पूछों, मुठ्ठी में फलक रखत हैं, माना कि तुम सूरज हो, हमें तुमसे क्या लेना, हम जुगनू ही सही खुद की चमक रखते है का काव्य पाठ किया। अंति प्रस्तुति मोहित षौर्य ‘ओज’ ने कहा कि जिंदगी जीने के जुनून तक जाएगा, मेहनत के पसीने और खून तक जाएगा, पैसों की तलाष है तो हाईवे पकड लो, यह गांव का रास्त है सुकून तक जाएगा का काव्य पाठ किया।
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