सिंधिया के ट्रस्ट कमलाराजे ने मांगा मुआवजा...
कोर्ट ने ट्रस्ट के पंजीयन व संपत्तियों का विवरण पेश करने का दिया आदेश
केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के ट्रस्ट कमलाराजे चैरिटेबल ट्रस्ट ने AG ऑफिस पुल की जमीन को अपना बताते हुए सरकार से मुआवजा मांगा है। ट्रस्ट की ओर से किए गए दावे में AG ऑफिस पुल जिस जमीन पर है उस जमीन को ट्रस्ट की बताते हुए 7 करोड़ से ज्यादा का दावा किया है।दावे में ट्रस्ट के पंजीयन नहीं पेश किए जाने को लेकर कोर्ट ने आपत्ति की है। 25 मार्च तक ट्रस्ट के पंजीयन व संपत्तियों का विवरण पेश करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सवाल किया कि क्या एजी आफिस पुल की संपत्ति ट्रस्ट की संपत्ति में शामिल है। ट्रस्ट के दावे पर अब अगली सुनवाई 25 मार्च को होगी।
ग्वालियर के मेधावी प्रोजेक्ट में से एक AG ऑफिस पुल जो सिटी सेंटर को हरिशंकरपुरम इलाके से सीध जोड़ता है। यह AG ऑफिस पुल अपनी शुरुआत से ही विवादों में रहा है। तभी इसके नक्शे मंे बदलाव को लेकर तो कभी उस पर होने वाले हादसों को लेकर। अब AG ऑफिस पुल की जमीन को अपना बताने के कमलाराजे चैरिटेबल ट्रस्ट के दावे के बाद यह चर्चा में है। कमलाराजे चैरिटेबल ट्रस्ट ने AG ऑफिस पुल की जमीन के मुआवजे का दावा 04 जून 2018 को जिला न्यायालय में पेश किया था। दावे में तर्क दिया है कि ट्रस्ट की भूमि पर शासन ने रेलवे ओवर ब्रिज का निर्माण कर दिया है। ट्रस्ट की भूमि पर अतिक्रमण कर शासन द्वारा निर्माण कराया गया है। लोक निर्माण विभाग ने जो सड़क का निर्माण किया है, उसमें निजी भूमि भी चली गई है, इसलिए इस जमीन का अधिग्रहण प्रस्ताव तैयार किया जाए, जिससे जमीन का सही मुआवजा मिल सके।
7 करोड़ 55 हजार रुपए का मुआवजा मांगा
ट्रस्ट ने वादग्रस्त भूमि का 7 करोड़ 55 हजार रुपए का मुआवजा 12 प्रतिशत ब्याज के साथ दिलाया जाए। वाद में तर्क दिया है कि 31 दिसंबर 1971 को विजयाराजे सिंधिया ने कमलाराजे चैरिटेबल ट्रस्ट का गठन किया था। विजयाराजे सिंधिया ने वादग्रस्त भूमि ट्रस्ट को दी थी। इस ट्रस्ट की चेयरमैन माधवीराजे सिंधिया हैं। ट्रस्टी के पद पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रियदर्शनी राजे सिंधिया हैं। प्रशासन को इस मूल दावे का जवाब देना है। कोर्ट ने 10 मार्च को ट्रस्ट के स्थगन आवेदन को खारिज कर दिया था। अब दावे पर सुनवाई की जा रही है। प्रशासन की ओर से कहा गया कि दावे में ट्रस्ट के पंजीयन के दस्तावेज नहीं हैं, इसलिए यह सुनवाई योग्य नहीं है। प्रशासन की ओर से पैरवी अतिरिक्त शासकीय अधिवक्ता धर्मेंद्र शर्मा व जगदीश शाक्यवार ने की। इस मामले में अब अगली सुनवाई मार्च को होगी।
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