ब्रह्माकुमारीज प्रभु उपहार भवन में…
आध्यात्मिक कवि सम्मेलन हुआ आयोजित
ग्वालियर। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की सहयोगी संस्था राजयोग एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन के महिला प्रभाग एवं कला, संस्कृति प्रभाग द्वारा प्रभु उपहार भवन, माधौगंज केंद्र पर आध्यात्मिक कवि-सम्मलेन एवं स्नेह-मिलन कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम में मुख्य रूप से कवियत्री डॉ.कादंबरी जी, संगीता गुप्ता, डॉ. मनीष गिरी, डॉ. रमेश शर्मा, मंजुला सिंघल, डॉ. पुष्पा मिश्रा आनंद, आशा पांडे, डॉ प्रतिभा त्रिवेदी, सत्या शुक्ला, संगीता शुक्ला सहित ब्रह्माकुमारीज़ ग्वालियर सेवाकेंद्र प्रभारी बी.के. आदर्श दीदी जी तथा अन्य भाई एवं बहनें उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का शुभारम्भ में बी.के. आदर्श दीदी जी ने सभी को संबोधित करते हुए संस्थान के महिला प्रभाग एवं कला एवं संस्कृति प्रभाग द्वारा की जा रहीं सेवाओं के बारे अवगत कराया, साथ ही उन्होंने बताया कि वर्तमान समय पुरुषोत्तम संगमयुग का पावन समय, विश्व परिवर्तन का समय है जबकि स्वयं इस स्रष्टि के रचयिता, सर्व आत्माओं के पिता निराकार परमपिता परमात्मा शिव हम सभी को बुराइयों से दुखो से छुडाने का कार्य कर रहे है| यह वही पावन समय है जब परमात्मा सभी आत्मा रुपी अपनी संतानों को इस दुःखमयी दुनिया से मुक्त कर नयी सतयुगी दुनिया में ले जाने के लिए आदि-पिता प्रजापिता ब्रह्मा को अपना साकार माध्यम बनाकर इस धरा पर अवतरित होते है।
परमात्मा परमशिक्षक बन सभी को राजयोग की शिक्षा के माध्यम से मनुष्य से देवता बनाने की पढ़ाई पढ़ाकर जीवन को निर्विकारी, निर्व्यसनी बना रहे है। यह महान समय, युग परिवर्तन का समय है। उन्होंने कहा, कि परमात्मा, जो कि सम्पूर्ण स्रष्टि के रचयिता है उन्होंने इस संसार को सतयुगी स्वर्ग बनाया। जहाँ हरेक मानव देवी और देवता के रूप में जीवन यापन करते थे। सर्वगुण सम्पन्न, सोलह कला सम्पूर्ण थे। परन्तु वर्तमान युग में जब मनुष्यात्मा विकारों के वशीभूत होने लगी और हमारी आत्मिक शक्तियों, आतंरिक शक्तियों, आध्यात्मिक शक्तियों का ह्राश होने लगा। और हम परमात्मा को पुकारने लगे अब जबकि परमात्मा हमारी पुकार सुनकर इस धरा पर अवतरित होते है तो हमें उनके बताये हुए मार्ग पर चलकर अपने जीवन को श्रेष्ठ बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्व परिवर्तन से ही विश्व परिवर्तन होगा।
इसके साथ ही कहा कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस सभी महिलाओं द्वारा दुनिया भर में विभिन्न क्षेत्रों में किये जा रहे महान कर्तव्यों, महिलाओं के योगदान और उनकी उपलब्धियों को स्मरण करने, प्रोत्साहन करने, सम्मानित करने तथा साथ ही साथ उन्हें परमात्मा द्वारा प्राप्त अपनी आतंरिक शक्तियों के अनुभव करने, स्वयं को सशक्त बनाने का एक अवसर है। नारी एक शक्ति है और सारे जग की शान है इसलिए वर्तमान समय में परमात्मा शिव ने भी ज्ञान का कलश नारी को ही दिया है। वास्तव में उस कलश के साथ ही नारी इस समाज का, इस संसार का उद्धार कर सकती है।
परन्तु समाज का, इस संसार का परिवर्तन तब ही होगा जब हम परिवर्तन की शुरुवात स्वयं से करेंगे। उसके लिए सबसे ज़रूरी है स्वयं को परचिन्तन, परदर्शन से हटा कर ईश्वरीय चिंतन करने की। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान पूरे विश्व एक अनोखी संस्था है जिसका संचालन माताओं बहनों के हाथ में है आज हजारों की संख्या में ब्रह्माकुमारी बहनें पूरे विश्व में आध्यात्मिकता और भारतीय संस्कृति को बिखेर रहीं हैं। आगे दीदी जी ने बहुत ही सुन्दर कविता सुनाकर अपनी बात को स्पष्ट किया | इसी के साथ सभी उपस्थित कवियत्रियों ने भी आध्यात्मिक कवी सम्मलेन में हिस्सा लिया और महिला दिवस के उपलक्ष्य में सुन्दर कवितायेँ सुनाकर कार्यक्रम को सफल किया।
कविता – 1
"सोम्यता की फसलें बोती है बेटियां"
;धैर्य अपना नहीं खोती है बेटियां"
"बेटियां तो सृष्टि का मूल आधार है"
"मां बहन साहचर्य सी होती है बेटियां"
कविता -2
नारी की तुलना नदी से की है
तुम्हें प्रेम करती हूं करती रहूंगी
नदिया से बहती हूं बहती रहूंगी
पाव ने रोका बांधों ने बांधा सागर से मिलती हूं मिलती रहूंगी..
कार्यक्रम का संचालन बी.के.जीतू एवं आभार बी. के. पवन के द्वारा किया। अंत में दीदी जी द्वारा सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह और ईश्वरीय सौगात देकर सम्मानित किया गया।
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