शोध में हुआ डरावना खुलासा…
ग्लोबल वार्मिंग बनेगा अगले सामूहिक विनाश का कारण !
नई दिल्ली। समुद्र के बारे में पढ़ना और जानना हमेशा से रोचक रहा है। यह भी सवाल उठता रहता है कि क्या समुद्र पृथ्वी पर विनाश ला सकता है। क्या समुद्री जानवर या जीव-जंतु समुद्र से निकलकर इंसानी बस्ती पर कब्जा कर सकते हैं। इन तमाम सवालों का जवाब शोधकर्ता खोजने की कोशिश में लगे रहते हैं। शोधकर्ताओं की एक टीम ने उत्तरी डकोटा और कनाडा के बीच मौजूद 5.18 लाख वर्ग किलोमीटर के बेकेन फॉर्मेशन नाम के इलाके की जांच की। इस जगह पर उन्हें एक ब्लैक शेल मिला। दरअसल बेकेन फॉर्मेशन अमेरिका का सबसे बड़ा नेचुरल गैस और तेल का खजाना है। लेकिन शोधकर्ताओं के ब्लैक शेल पर किए गए शोध में डरावना खुलासा हुआ है।
शोध में पता चला है कि समुद्र में बढ़ते जलस्तर में कई बार ऑक्सीजन के स्तर में कमी आई है। इसके साथ ही हाइड्रोजन सल्फाइड के फैलाव में वृद्धि देखी गई। शोधकर्ताओं ने बताया कि इसी वजह से डेवोनियन काल में यानी 41.9 करोड़ साल से 35.89 करोड़ साल तक सामूहिक विनाश की प्रक्रिया दुनिया के अलग-अलग कोनों में चली। रिपोर्ट में बताया गया है कि हाइड्रोजन सल्फाइड तब बनता है जब काई समुद्र तल पर सड़ना शुरू करती है। इस कारण समुद्र में ऑक्सीजन के स्तर में तेजी से बदलाव होता है और इसमें तेजी से कमी आती है। इस शोध के सहलेखक ने बताया कि पहले कई बार हाइड्रोजन सल्फाइड के फैलने से सामूहिक विनाश हो चुका है।
लेकिन अभी तक इसके प्रभावों पर शोध नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि डेवोनियन काल के दौरान ऐसी मछलियां होती थीं, जिनमें जबड़े नहीं होते थे। इन्हें प्लैकोडर्म्स कहते थे। ये मछलियां विशेष रूप से गोंडवाना और यूरामेरिका में फैली थीं। उस दौरान समुद्र में ट्रिलोबाइट्स और अमोनाइट्स भी काफी मात्रा में थे। जमीन पर फर्न जैसे पौधे भी थे। यही डेवोनियन काल पांच बड़े सामूहिक विनाश का गवाह बना था, जिसका कारण यही था। शोधकर्ताओं ने अपने शोध में डरावने खुलासे करते हुए चेतावनी दी है कि जिस तरह से ग्लोबल वार्मिंग हो रही है। उस हिसाब से अगला महाविनाश समुद्र से ही आएगा।
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