चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी और अष्टमी दोनों ही तिथियों पर...
शीतला सप्तमी पर मां शीतला को लगाया पकवान का भोग
ग्वालियर। मंगलवार को शीतला सप्तमी थी और शीतला अष्टमी आज 15 मार्च को मनाई जाएगी। चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी और अष्टमी दोनों ही तिथियों पर शीतला माता की पूजा होती है। शीतला माता के इस पर्व को बसौड़ा, बसियौरा और बसोरा भी कहते हैं। मान्यता है कि देवी शीतला की पूजा से चेचक, खसरा जैसे रोग नहीं होते।
शीतला माता के मंदिरों पर सुहागन महिलाओं ने जाकर विधिविधान से पूजा अर्चना कर मां शीतला को एक दिन पहले बने (बासी) खाद्य पदार्थ, मीठे चावल, दही, मेवा, मिठाई, पूआ, पूरी, दाल-भात आदि का भोग लगाकर परिक्रमा की। सांतऊ स्थित मां शीतला के प्राचीन मंदिर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने दर्शन कर मनोकामना मांगी।
मान्यता के अनुसार किसी गांव में एक महिला रहा करती थी। जो देवी शीतला की भक्त थी और रोज उनकी पूजा करती थी। लेकिन उस गांव में और कोई भी देवी शीतला की पूजा नहीं करता था। एक दिन उस गांव में आग लग गई, जिसमें गांव की सभी झोपडिय़ां भस्म हो गई, लेकिन उस महिला की झोपड़ी सुरक्षित रही, जो देवी शीतला देवी की पूजा करती थी। जब लोगों ने इसका कारण पूछा तो उस महिला ने बताया कि मैं माता शीतला की पूजा करती हूं, ये ही वजह है कि मेरा घर आग से सुरक्षित है। जिसके बाद महिला की बात सुनकर सभी लोग शीतला माता की पूजा करने लगे।
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