CM ने बुलाई बैठक, मुख्य सचिव को निर्देश ...
राइट टू हेल्थ के विरोध में डॉक्टर्स की हड़ताल पर CM गंभीर !
जयपुर l राइट टू हेल्थ बिल विधानसभा में पास होने के बावजूद प्रदेश के प्राइवेट अस्पतालों के चिकित्सक लगातार आंदोलन कर रहे हैं, जिसकी वजह से मरीजों की जान पर बन आई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इससे बेहद खफा हैं। चुनावी साल में चरमरा रही चिकित्सा व्यवस्थाओं को लेकर सरकार बेहद गंभीर है और सख्ती के मूड में है। सीएम अशोक गहलोत ने शनिवार को दिल्ली से जयपुर लौटते ही चिकित्सा मंत्री और उच्च अधिकारियों के साथ बैठक का दौर शुरू कर किया है।
सीएम ने मुख्य सचिव उषा शर्मा को डॉक्टरों के साथ बैठक करने के निर्देश दिए हैं। शनिवार रात 10 बजे मुख्य सचिव और अन्य उच्च अधिकारी डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक करेंगे। सीएम अशोक गहलोत ने डॉक्टरों से अपील की है कि वे हड़ताल खत्म कर काम पर लौटें। गहलोत ने कहा है कि जो राइट टू हेल्थ बिल राजस्थान विधानसभा सत्र में पास हुआ है, उसमें डॉक्टरों के हितों का पूरा ख्याल रखा गया है। डॉक्टरों की मांगों को मानकर ही RTH बिल लाया गया है। डॉक्टरों का हड़ताल पर जाना उचित नहीं है। प्रदेश में सत्ता पक्ष और विपक्ष ने सर्वसम्मति से RTH बिल पास किया है।
सरकार के सख्त निर्देशों के बाद राजस्थान के जन स्वास्थ्य निदेशक ने प्रदेश के सभी जिलों के सीएमएचओ को लेटर लिखकर ऐसे तमाम अस्पतालों की पूरी जानकारी और ब्यौरा मांगा है जो डॉक्टरों की हड़ताल के कारण बंद हैं। जिलों के तमाम सीएमएचओ को लिखे गए लेटर में जानकारी मांगी गई है कि प्रदेश में संबंधित सीएमएचओ के एरिया में कितने बेड के कौन कौनसे अस्पताल हैं, उन अस्पतालों की स्थिति क्या है? यानी वह बंद हैं या संचालित हो रहे हैं। डॉक्टरों की हड़ताल के कारण कौन- कौन से अस्पताल प्रभावित हो रहे हैं।
माना जा रहा है पूरी जानकारी जुटाने के बाद सरकार सख्त एक्शन ले सकती है। RESMA एक्ट लागू कर प्राइवेट अस्पतालों को में डॉक्टरों से सेवाएं शुरू करवाई जा सकती हैं। सरकार फ़िलहाल सख्ती इसलिए नहीं कर रही है, ताकि बातचीत के जरिए और समझाइश इसके जरिए ही रास्ता निकल जाए।
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