G.News 24 : राज्य में विकास की बातें और भूमि पूजन ज्यादा और विकास कम

मोदी के काम ना होते तो हमाम में होते श्री !

राज्य में विकास की बातें और भूमि पूजन ज्यादा और विकास कम

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के विकास के काम अगर नहीं होते तो राज्य सरकारों के लिए विकास दिखाना आसान नहीं होता. राजनीति में विकास की बातें ज्यादा और विकास के काम कम अब पब्लिक का गम बन गया है. विकास के नाम  पर राजनीति इन दिनों राज्यों में देखने को मिल रही है. राजनीति में मध्यम वर्ग हमेशा पिसता रहा है. ऊपर और कभी कभी नीचे  के वर्ग को तो लाभ मिल जाता है लेकिन मध्यम वर्ग अपने भविष्य के लिए बाँट जोहता रहता है. मोदी सरकार ने इस संस्कृति को बदला और आज मिडिल क्लास को विभिन्न योजनाओं का सीधा लाभ सुनिश्चित हुआ है. इन योजनाओं की बहुत चर्चा नहीं होती लेकिन इससे बड़ा क्रांतिकारी बदलाव मध्यमवर्ग के जीवन में आया है. देश में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालों की बड़ी संख्या मध्यम वर्ग में पहुंच गई है. मोदी सरकार द्वारा आयकर में दी गई छूट को भी मध्यम वर्ग को लाभ पहुंचाने की बड़ी कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.

अगड़े-पिछड़े, दलित-आदिवासी, गरीब के नाम पर हो रही राजनीति के कारण मुफ्तखोरी की योजनाओं को बढ़ावा मिलता रहा. यद्यपि ऐसी योजनाओं पर खर्च की गई राशि का राज्य के विकास पर कोई भी दूरगामी असर नहीं पड़ता. लोगों को निजी लाभ थोड़ा बहुत भले मिल जाए लेकिन जितनी बड़ी राशि खर्च होती है, उतनी राशि यदि विकास पर खर्च की जाए तो उसका लाभ सभी वर्गों को बराबरी के साथ मिलना संभव हो सकेगा.मोदी सरकार ने ऐसी ही रणनीति पर काम किया है. देश में आज नेशनल हाई-वे और एक्सप्रेस-वे के जाल बिछाए जा रहे हैं. दिल्ली-मुंबई के बीच में बन रहे एक्सप्रेस वे के पहले चरण का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों किया है. आज किसी भी राज्य में स्टेट हाई-वे की स्थिति बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती. अगर नेशनल हाई-वे केंद्र सरकार द्वारा विकसित नहीं किए जाएं तो राज्यों को अपने सड़क नेटवर्क में हुए विकास को दिखाना कठिन हो जाएगा. नेशनल हाईवे और एक्सप्रेस-वे का निर्माण अंतरराष्ट्रीय मापदंडों पर होना भी भारत में विकास के नए दौर का संकेत कर रहा है.

वर्ष 2022 तक मोदी सरकार ने 1.65 लाख किलोमीटर नेशनल हाई वे का निर्माण किया है. दुनिया में अमेरिका के बाद यह दूसरा सबसे बड़ा रोड नेटवर्क है. मोदी सरकार ने नेशनल हाई वे निर्माण पर एक्सपेंडिचर को 10 गुना से ज्यादा बढ़ाया है. भारत में आज 20 शहरों में मेट्रो नेटवर्क स्थापित हो गया है. देश के लिए यह सुखद स्थिति है कि दुनिया में तीसरे सबसे बड़े मेट्रो नेटवर्क वाले देश के करीब भारत पहुंच रहा है.मोबाइल डाटा के प्रति व्यक्ति उपयोग के हिसाब से भारत दुनिया में शीर्ष पर है. डाटा रेट भी भारत में तुलनात्मक रूप से कम है. भारत में 80 करोड़ मोबाइल उपभोक्ता और इंटरनेट यूजर हैं. ऐसी उम्मीद है कि इस साल के अंत तक इन सभी उपभोक्ताओं को 5G सुविधाएं उपलब्ध हो सकेंगी. 5जी सेवाओं के विस्तार में भारत की यह गति दुनिया में सबसे ज्यादा मानी जा रही है. इसके बाद ऑनलाइन एजुकेशन, टेलीमेडिसिन और गवरमेंट सर्विसेज डिलीवरी में तेजी से विस्तार हो सकेगा. मोदी सरकार द्वारा शहरी विकास की योजनाओं, हाउसिंग ट्रांसपोर्टेशन, नल-जल कनेक्शन और वेस्ट मैनेजमेंट में भी भारी निवेश किया गया है. जिसके परिणाम परिलक्षित होने लगे हैं. आज देश में औसतन 22 घंटे बिजली की आपूर्ति हो रही है जबकि मोदी सरकार के पहले लगभग साढ़े 12 घंटे तक ही आपूर्ति होती थी.

डिजिटल इंडिया की सफलता साफ देखी जा सकती है. भारत में डिजिटल पेमेंट इको सिस्टम दुनिया में सराहा जा रहा है. डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आम और मध्यम वर्ग के जीवन से जुड़ी अनेक सुविधाएं आसानी से हासिल की जा रही हैं. यहां तक की डिजि लॉकर और डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट जैसी सुविधाएं भी मध्यम वर्ग को उपलब्ध हुईं है.एजुकेशन और हेल्थकेयर सेक्टर में भी मोदी सरकार की उपलब्धियां सराहनीय कही जा सकती हैं. मोदी सरकार में 363 नई यूनिवर्सिटी 9 सालों में खोली गई हैं. देश में 18 नए ऑल इंडिया मेडिकल इंस्टिट्यूट (एम्स ) और 251 नए मेडिकल कॉलेज स्थापित करके इतिहास रचा गया है. इसके जरिए लगभग 78000 एमबीबीएस और एमडी की मेडिकल सीटें बढ़ी हैं. ग्लोबल रैंकिंग में भारत की 41यूनिवर्सिटी का शामिल होना भी महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा सकती है.आयुष्मान योजना के अंतर्गत इलाज की सुविधा भारत में आम लोगों और मध्यवर्ग के लिए हेल्थ केयर की दिशा में क्रांतिकारी बदलाव लाने में सफल हुई है. मोदी सरकार ने एनुअल इन्फ्लेशन पर भी नियंत्रण पाया है. पिछले 8 सालों में एनुअल इन्फ्लेशन 4.6% रहा है जबकि उसके पिछले 8 सालों में यह 8.7% था. तमाम अंतरराष्ट्रीय संकटों के बावजूद भी भारत में आर्थिक गतिविधियां न केवल नियंत्रित रहीं बल्कि उनका रुख विकास की तरफ कायम रहा.

मध्यमवर्ग को ऋण में ब्याज की भी रियायत मिली है. मोदी सरकार के पहले स्टूडेंट लोन पर इंटरेस्ट रेट 14% था जो घटकर 8% हो गया. लोन के इंटरेस्ट रेट में गिरावट के कारण मध्यम वर्ग द्वारा पढ़ाई के साथ ही अपने अन्य घरेलू सुविधाओं के लिए राशि उपलब्धता में आसानी हुई है. प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अंतर्गत मिडिल क्लास के लाखों लोगों को वित्तीय आधार उपलब्ध कराया गया है. विकास के दूरगामी परिणाम इंफ्रास्ट्रक्चर और मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देकर ही पाए जा सकते हैं. मिडिल क्लास की प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए मोदी सरकार के सिस्टमैटिक अप्रोच के नतीजे दिखाई पड़ने लगे हैं. राजनीति की बातों से देश आगे नहीं बढ़ेगा. यात्राओं और समारोहों से राज्य में विकास नहीं होगा. विकास के लिए बुनियादी सुविधाओं का विस्तार करना होगा  और मध्यवर्ग को आगे बढ़ने के लिए सुविधाओं को सरलता सहजता और सुविधा पूर्वक उपलब्ध कराना पड़ेगा. जिस दिशा में देश आगे बढ़ गया है उसके बाद नए भारत को अपने निर्धारित लक्ष्यों को हासिल करने में अब बहुत समय तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

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