श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन…
पृथ्वी के भार को उतारने के लिए अवतार लेते हैं भगवान : पं. घनश्याम शास्त्री
ग्वालियर। गेंडे वाली सड़क कृष्ण मंदिर पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन सुप्रसिद्ध भागवताचार्य पं.घनश्याम शास्त्री ने प्रवचन देते हुए कहा कि मन को भगवान के चरणों में लगाना चाहिए, कर्म-सत्कर्म करना और वाणी को मधुर रखना चाहिए तभी हमारा जीवन सार्थक होगा। इसके पश्चात भगवान मत्स्य अवतार का वर्णन किया गया।
सत्य और वक्त पर परिचर्चा करते हुए समय का सदुपयोग करते हुए भगवान का स्मरण करने को कहा, क्योंकि जो समय बीत गया वो कल नहीं आएगा। अत: मनुष्य का सबसे कीमती चीज वक्त है, जो पैसे से भी नहीं खरीदा जा सकता राजा शरियाती की पुत्री सुकन्या और चमन का सुंदर संवाद वर्णन किया गया। चक्रवर्ती सम्राट राजा अंबरीश की भक्ति का वर्णन भी हुआ कि वे कैसे राजा होने पर भी स्वयं भगवान की सेवा में सदा तन्मय रहते थे। कैसे महर्षि दुर्वासा ने अंबरीश की परीक्षा ली।
कब महर्षि दुर्वासा ने क्रोध को ही बुरी वासना कहा और कैसे अंत में महर्षि दुर्वासा को भी एक भक्त के सामने झुकना पड़ा। भगवान हमेशा अपने भक्तों की स्वयं रक्षा किया करते हैं वाले प्रसंग से सभी भक्त बहुत आनंदित हुए। राजा सगर के साठ हजार पुत्रों का कपिल मुनि द्वारा भस्म होना, गंगा द्वारा उनका उद्धार, भगवान भोले की कृपा से गंगा पृथ्वी पर,भगीरथ के पीछे-पीछे सागर के सभी पुत्रों का उद्धार, गंगा द्वारा जीव को पवित्र करना, भागवत रूपी गंगा द्वारा मानव को पवित्र किया जाना,राम के सुंदर चरित्रों का वर्णन तथा उसके बाद भगवान श्री कृष्ण के जन्म की कथा सुनाई।
इस अवसर पर नरेंद्र मिश्रा, पप्पी महाराज, वरिष्ठ पत्रकार श्याम श्रीवास्तव, राजेंद्र झा, संजय भरद्वाज, रवि यादव, राजेश जायसवाल, प्रदीप गुप्ता, रवि सिकरवार, सुनील शार्मा, कांग्रेस नेता संजय नरवरिया के द्वारा भागवत महापुराण की आरती की गई।
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