G.News 24 : महाशिवरात्रि आज, जानें शिव की अराधना की विधि

महादेव और मां गौरी की उपासना करने से…

महाशिवरात्रि आज, जानें  शिव की अराधना की विधि

महाशिवरात्रि का पर्व शनिवार को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा। कई जगह भव्य शिव बारात भी निकाली जाएगी। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, शिवरात्रि के दिन माता पार्वती और भगवान शिव शादी के बंधन में बंधे थे। कहते हैं कि इस दिन विधिवत पूजा करने और व्रत रखने से मनचाहा जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं जोड़े में महादेव और मां गौरी की उपासना करने से दांपत्य जीवन में खुशहाली बनी रहती है। अगर आप भी अपनी कोई इच्छा पूरी करवाना चाहते हैं तो विधि के साथ शुभ मुहूर्त में महाशिवरात्रि की पूजा करें।  

महाशिवरात्रि चतुर्दशी तिथि -

  • चतुर्दशी तिथि आरंभ- रात 8 बजकर 2 मिनट से (18 फरवरी 2023)
  • चतुर्दशी समाप्त- शाम 4 बजकर 18 मिनट तक (19 फरवरी 2023)
  • निशीथ काल पूजा मुहूर्त -  तड़के 12 बजकर 16 मिनट से 1 बजकर 6 मिनट तक (19 फरवरी)
  • महाशिवरात्रि पारण मुहूर्त - सुबह 6 बजकर 57 मिनट से दोपहर 3 बजकर 33 मिनट तक 19 फरवरी को (19 फरवरी को)

चार पहर के महाशिवरात्रि पूजा शुभ मुहूर्त -

  • महाशिवरात्रि व्रत- 18 फरवरी 2023
  • प्रथम प्रहर रात्रि पूजा- शाम 06 बजकर 21 मिनट से रात 09 बजकर 31 मिनट तक
  • द्वितीया प्रहर रात्रि पूजा - रात 09 बजकर 31 मिनट से  प्रात: 12 बजकर 41 तक (19 फरवरी 2023)
  • तृतीया प्रहर रात्रि पूजा - सुबह 12 बजकर 41 मिनट से सुबह 03 बजकर 51  मिनट तक (19 फरवरी 2023)
  • चतुर्थ प्रहर रात्रि पूजा - सुबह 03 बजकर 51 मिनट से सुबह 07:00 बजे तक (19 फरवरी 2023)

महाशिवरात्रि पूजा विधि -

  • शिवरात्रि के दिन प्रात:काल स्नान कर साफ वस्त्र पहन लें
  • इसके बाद मंदिर और घर को गंगाजल छिड़कर शुद्ध कर लें
  • अगर संभव हो तो महाशिवरात्रि के दिन कोई शिव मंदिर जरूर जाएं
  • शिवलिंग पर एक लोटा जल चढ़ाएं। 
  • फिर शिवजी को चंदन का टीका लगाकर शिवलिंग पर बेल, धतूरा, बेलपत्र, फल-फूल, पान, सुपारी इत्यादि चढ़ाएं
  • आप चाहे तो बेल पत्र पर चिकने भाग की तरफ चंदन से ओम लिखकर शिवलिंग पर अर्पित करें
  • शिव चालीसा का पाठ करें और पूजा के आखिर में शिव आरती करें
  • आरती के बाद शिव मंत्रों का जाप करें
  • पूजा के बाद फल से फलाहार करें और दूसरे दिन पूजा के बाद ही पारण यानी अपना व्रत खोलें
  • रात्रि के चारों प्रहरों में शिवजी और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए।

महाशिवरात्रि के दिन इन शिव मंत्रों का करें जाप -

  • ओम हौं जूं स: ओम भूर्भुव: स्व: ओम त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवद्र्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ओम स्व: भुव: ओम स: जूं हौं ओम॥ 
  • ओम तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।
  • ओम नम: शिवाय 
  • कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्। सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।

महाशिवरात्रि महिमा -

  • शिवरात्रि में रात्रि जागरण, बिल्वपत्र चंदन पुष्प आदि से शिव पूजन तथा जप ध्यान किया जाता है। यदि इस दिन 'बं' बीजमंत्र का सवा लाख जप किचा जाच तो जोड़ों के दर्द एवं वायु सम्बंधी रोगों में विशेष लाभ होता है।
  • "इशान संहिता' में भगवान शिव पार्वती जी से कहते हैं- 'फाल्गुन के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि को आश्रय करके जिस अंधकारमची रात्रि का उदय होता है, उसी को शिवरात्रि कहते हैं। उस दिन जो उपवास करता है वह निश्वय ही मुझे संतुष्ट करता है। उस दिन उपवास करने पर में जैसा प्रसन्न होता हूँ, वैसा स्नान कराने से तथा वस्त्र, धूप और पुष्प के अर्पण से भी नहीं होता।"
  • शिवरात्रि को भक्तिभाव से रात्रि जागरण किया जाता है। इस रात्रि में किये जाने वाले जप, तप और व्रत हजारों गुना पुण्य प्रदान करते हैं।
  • 'शिवरात्रि व्रत सर्वश्रेष्ठ है, इससे बढ़कर श्रेष्ठ कुछ नहीं है। जो जीव इस रात्रि में त्रिभुवनपति भगवान महादेव की भक्तिपूर्वक पूजा नहीं करता, वह अवश्य सहस्र वर्षों तक जन्म-चक्रों में घूमता रहता है।' - 'स्कंद पुराण'
  • शिवरात्रि व्रत सभी पापों का नाश करने वाला है और यह योग एवं मोक्ष की प्रधानता वाला व्रत है।
  • करोड़ों करोड़ों हत्या किया हुआ व्यक्ति भी इस प्रकार शिवजी को प्रार्थना करके शिवरात्रि का व्रत करे तो उसकी हत्याएं माफ हो जाती हैं, पाप शमन हो जाते हैं और भगवान की भक्ति मिलती है।
  • शिवरात्रि का व्रत न करने से पाप लगता है लेकिन करने से ऐसी बुद्धि होती है जैसी सतयुग, त्रेता और द्वापर के लोगों की होती थी और वही पुण्यलाभ प्राप्त होता है, जो उस काल में मिलता था क्योंकि काल के प्रभाव से जो पुण्य लुप्त हो गये हैं, वे शिवरात्रि के दिन पूर्णतः विद्यमान होते हैं।
  • “हिमालय, सुमेरु अपनी मर्यादा छोड़ दे, समुद्र सुख जाए या समुद्र कोई और रूप हो जाए, फिर भी... वो भले अपनी मर्यदा छोड़ दे... उनका प्रभाव भले नष्ट हो जाये लेकिन शिवरात्रि का व्रत उपवास करनेवाले का पुण्य प्रभाव नष्ट नहीं हो सकता ये शास्त्र वचन है”

Reactions

Post a Comment

0 Comments