G.News 24 : राजनेताओं को शासन द्वारा दी जाने वाले वेतन भत्तों एवं सुविधाओं पर लगे लगाम

सही मायने में आमजन और देश का विकास करना है तो...

राजनेताओं को शासन द्वारा दी जाने वाले वेतन भत्तों एवं सुविधाओं पर लगे लगाम

सांकेतिक तस्वीर

मेरा भी गजब है एक जो देश के लिए अपनी जान की बाजी लगाकर सरहदों पर बिना सर्दी, गर्मी, बरसात देखें बिना, अपने घर परिवार को छोड़कर देश की सुरक्षा में लगे हुए हैं l और जो रिटायर हो गए वे आज अपनी पेंशन/ओल्ड पेंशन के लिए संघर्ष कर रहे हैं l वही राजनेता जो कुछ पैसे की दम पर तो कुछ वाक् कला की दम पर जनता को बहला-फुसला कर उनका वोट हासिल कर नेता बन जाते हैं l और जिन्हे जनता नकार देती है उन्हें उनके साथी नेता दूसरे रास्ते से राज्यसभा/विधानसभा या किसी निगम में नेता स्थापित करवा देते है l

है ना वाकई में मेरा देश महान ! और उसका गजब संविधान ! जो बिना किसी श्रम के एक आम व्यक्ति को नेता बना देता है, ,बावजूद इसके की वह नेता बनने लायक है या नहीं ! वह देश चला सकता है या नहीं ! उसने इसकी योग्यता है कि नहीं फिर भी उसे सरपंच ,पार्षद,महापौर विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक बना देता है फिर चाहे वह पढ़ा-लिखा  हो या अनपढ़ इसकी परवाह संविधान ने नहीं की गई है l अगर की गई होती तो उसके कुछ मापदंड अवश्य तय किए गए होते ! 

अब बात करते हैं नेताओं एवं सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाओं पर 

एक और सैनिकों को मिलने वाली है जब तक सैनिक ड्यूटी पर रहता है तब तक तो उसे तो राशन पानी फ्री मिलता है लेकिन उसके परिवार का क्या ? ये  कोई पूछने वाला नहीं ! ड्यूटी के दौरान सीने पर गोली खाता है एक सैनिक तभी शहीद कहलाता है l और एक नेता घर पर भी मर जाए तो उसे शहीद का दर्जा हासिल हो जाता है l है न मेरा देश ग़जब ! एक नेता जब एकबार किसी संवैधानिक पद पर आसीन भर हो जाय फिर चाहे वो मात्र एक दिन के लिए ही क्यों न हो l उसके बाद उसे और उसके परिवार को बांग्ला-गाड़ी पानी,बिजली,टेलीफ़ोन,सड़क,रेल,बस, हवाई यात्रा की असातीत फ्री सुविधा,सुरक्षा सुविधा,अनगिनत नौकर -चाकर की फौज, आजीवन दोहरी/तिहरी पेंशन आदि तमाम सुबिधायें एकदम फ्री मिलना ही हैं lयहाँ हम पूछना चाहते हैं कि जब सामान्य कर्मचारियों को केवल नौकरी पर रहने के दौरान आवास भत्ता मिलता है और पेंशन ही मिलती है और उच्च अधिकारीयों को इस सबके अलावा वाहन ,बंगला और सीमित नौकर चाकर मिलते है l और यही सब हमारे सैनिक और पुलिस जवानो को मिलता है तो फिर नेताओं को दोहरी/तिहरी पेंशन क्यों ?

 लेकिन एक सैनिक और उसके परिवार की सुध लेने वाला कोई नहीं है l वहीं एक सैनिक अगर पूरी नौकरी कर भी पाया और उसके बाद रिटायर हो गया तो  उसे पेंशन के लिए संघर्ष करना पड़े ये आम बात है l और जब सैनिक सर्दी गर्मी बरसात किये बिना अपने परिवार को छोड़कर वार्डर पर होता है तब परिवार एकदम अकेला होता है l तब उसके परिवार को भी उसकी जरूरत महसूस होती है l त्योहारों पर सैनिक वार्डर पर और पुलिस देश के भीतर  कानून व्यवस्था बनाने में लगी होती है उसे आम पब्लिक की भी सुन्नी होती है और परिवार की भी इसके बावजूद भी वह कभी उफ़ तक नहीं करता लेकिन नेता तो भैया नेता उन्हें तो सारी सुविधाएं भी वीआईपी चाहिए चाहे उनके लिए वाहन हो, बंगले हो, सुरक्षा व्यवस्था हो, नल बिजली पानी यातायात के लिए वाहन हो या हवाई सफर ओ या रेलवे का सब कुछ फ्री चाहिए l

भत्ते निर्धारित कर लेते हैं l जबकि आम कर्मचारियों अधिकारियों के लिए वेतन भत्ते देने के नाम पर इनके पास बजट का अभाव हो जाता है l अगर नेताओं को सभी सुविधाएं मुफ्त मिलती हैं तो वेतन भत्ता क्यों टेंशन क्यों पेंशन चलो समझ में आती है वेतन भत्ते की हमारा प्रश्न है कि वेतन भत्ता क्यों क्या राजनीति कोई व्यवसाय है जिसके बदले में पैसा चाहिए ही चाहिए और अगर यह व्यवसाय नहीं है राजनीति में एक सामान्य व्यक्ति आने के बाद करोड़पति अरबपति कैसे हो जाता है यह किस प्रकार का बिजनेस है जो इतनी तेजी से बढ़ता है यह भी समाज को जवाब चाहिए देश को जवाब चाहिए अगर नेता जवाब नहीं दे सकते थे इस संवैधानिक पर रहने का कोई अधिकार नहीं है ना ही अपने आपको समाज सेवक समाजसेवी कहलाने का अधिकार इन्हें  है l 

देश की जनता के द्वारा टेक्स के रूप में दिया गया  80  प्रतिशत अरबों रुपया इन नेताओं और इनको दी जाने वाली सुविधाओं पर खर्च हो रहा है l केवल 20 पैसा देश के विकास कार्यों में लग पाता है l जिस दिन देश का 80 प्रतिशत पैसा विकास पर और आमजन के हित में खर्च होने लगेगा और इन नेताओ के वेतन भत्तों पर लगाम लगनी शुरू हो जाएगी तो इनका काम 20 प्रतिशत चलाने की नौवत आ जाएगी उस दिन देश और आमजन की दिशा और दशा दोनों बदल जाएँगी l साथ ही सुख -सुविधाओं पर जब लगाम लग जाएगी तो पैसे की दम पर सत्ता के रास्ते चुनाव जितने वालों पर और सत्ता के बहाने मिलने वाली सुविधाओं पर जब लगाम लग जाएगी तो सही मायने में देश को जन सेवक मिल सकेंगे l  क्योंकि फिर पैसों और सुविधाओं के ना के बराबर हो जाने पर लालची किस्म के लोग स्वतः ही सत्ता से किनारा करने लग जाएंगे क्योंकि ये बात तो भलीभाँति सभी जानते हैं कि ये लोग जनता की सेवा करने नहीं बल्कि जनता से अपनी सेवा करवाने और पैसा व प्रॉपर्टी बनाने सत्ता  में आते है l हो सकता है कुछ लोगों को मेरा लेख पसंद ना आये l पर में इसकी परवाह नहीं करता में केवल अपना काम कर रहा हूँ l जय हिन्द l

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