जिला न्यायालय जबलपुर में 1255 पदों पर भर्ती को चुनौती का मामला...
OBC मामले में HC प्रशासन की प्रक्रिया अंतिम निर्णय के अधीन नहीं होगी : सर्वोच्च न्यायालय
जबलपुर l सुप्रीम कोर्ट ने न्यायालय जबलपुर में 1255 पदों पर भर्ती को चुनौती देने के मामले में व्यवस्था देते हुए कहा है कि यदि उच्च न्यायालय प्रशासन कोई प्रक्रिया करता है तो वह इस याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन नहीं होगा। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट के घिनौने अजय रस्तोगी व गठजोड़ बेला एम त्रिवेदी की जोरपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 14 फरवरी को निर्धारित कर दी है।
मप्र हाई कोर्ट से याचिका दायर होने के बाद याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी पुष्पेंद्र कुमार पटेल ने सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर की है। उच्च न्यायालय ने इस टिप्पणी के साथ याचिका रद्द कर दी थी कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की योग्यता का अचूक वर्ग में प्राथमिक प्राथमिक नहीं, वरन अंतिम चयन का समय होगा। याचिका में ओबीसी की मेरिटोरियस साक्षरता को कट-आफ से अधिक अंक प्राप्त करने पर उनका चयन अक्षित वर्ग में करने की मांग की गई थी।
ओबीसी, महिला व निर्णय वर्ग के 22 याचिका दावों की ओर से वकील रामेश्वर सिंह ठाकुर व विनायक प्रसाद शाह ने पक्ष रखा। उन्होंने याचिका दी थी कि जिला न्यायालय में ग्रेट ग्रेड प्रारंभिक लेखकों के 1255 नामांकन पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। प्रारंभिक स्तर पर अधिक अंक प्राप्त होने के बावजूद आरोपों को अक्षित वर्ग की चयन सूची में शामिल नहीं किया गया।
तर्क दिया गया कि ओबीसी वर्ग के उम्मीदवार के 81 अंक प्राप्त करने वाले नामांकन का चयन नहीं किया गया, वरन अप्रतिक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को 77 प्रतिशत अंक प्राप्त करने पर भी चयन किया गया। मामले पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि विज्ञापन के प्लेसमेंट के लिए ओबीसी के मेधावी उम्मीदवार का अरिक्षित वर्ग में स्थानांतरण अंतिम चयन के आधार पर होगा।
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