LAC और हिंद महासागर में सुरक्षा होगी चाक-चौबंद...
भारत-अमेरिका के बीच जल्द हो सकती है बड़ी डिफेंस डील !
भारत और अमेरिका के बीच 3 बिलियन डॉलर की अहम डिफेंस डील जल्द हो सकती है। भारत को अमेरिका से 30 MQ-9B प्रीडएटर ड्रोन्स मिलने हैं। इस डील से भारत की एलएसी और हिंद महासागर में निगरानी क्षमता बढ़ेगी और सुरक्षा चाक-चौबंद हो सकेगी। दोनों देशों के बीच इस डील को लेकर बीते पांच सालों से बातचीत हो रही है। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल भी अमेरिका के दौरे पर हैं और उन्होंने अमेरिकी अधिकारियों और वहां के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुल्लिवन के साथ भी इस डील को लेकर बातचीत की है।
अमेरिका की राजनीतिक रक्षा मामलों की प्रमुख जेसिका लेविस से जब इस डील को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि हम पांच साल से इस डील पर बातचीत कर रहे हैं और अब गेंद भारत के पाले में है। हालांकि उन्होंने इस डील पर ज्यादा जानकारी देने से इंकार कर दिया। खबर है कि भारत और अमेरिका दोनों ही देश चाहते हैं कि जल्द से जल्द यह डील फाइनल हो जाए ताकि भारत को जल्दी ही प्रीडएटर ड्रोन्स की सप्लाई की जा सके। अमेरिका की बाइडेन सरकार भी जल्द इस डील को फाइनल करना चाहती है क्योंकि इस डील से अमेरिका में रोजगार बढ़ेगा और साथ ही उनकी सरकार इस डील को अपनी उपलब्धि के तौर पर पेश करना चाहती है ताकि अगले साल होने वाले चुनाव में इसका फायदा उठाया जा सके।
भारत की तीनों सेनाओं को 10-10 प्रीडएटर ड्रोन्स मिलने हैं। प्रीडिएटर ड्रोन्स की खासियत है कि ये किसी भी हालात में निगरानी करने की क्षमता रखते हैं। ये ड्रोन्स लंबे समय तक आसमान में उड़ान भर सकते हैं। खास बात ये है कि ये ड्रोन्स दिन और रात में भी निगरानी कर सकते हैं और पेलोड लेकर भी उड़ान भर सकते हैं। इन ड्रोन्स में लगे 360 डिग्री कैमरे से समुद्र, आकाश और जमीन पर निगरानी रख सकते हैं। एआई और मशीन लर्निंग तकनीक से लैस ये ड्रोन्स डाटा की समीक्षा कर उसे विभिन्न जगहों पर वितरित भी कर सकते हैं ताकि आपात स्थिति में तुरंत एक्शन लिया जा सके। सर्विलांस के साथ ही राहत और बचाव कार्यों में भी इन ड्रोन्स की मदद ली जा सकती है।
एलएसी पर तनाव और हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच भारत ने साल 2017 में इन ड्रोन्स की खरीद के लिए बातचीत शुरू की थी और अब जल्द ही इस डील के फाइनल होने की उम्मीद है। इन एमक्यू-9बी प्रीडएटर ड्रोन्स की मदद से भारत की निगरानी करने की क्षमता में जबरदस्त इजाफा होगा।
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