भारत के पहले प्रधानमंत्री नेहरू जी की एक और भुल सुधार का प्रयास !
PM मोदी ने विश्वबैंक को चेताया कि भारत के लिए आप नीति निर्धारण नहीं कर सकते
सिंधु नदी जल संधि को लेकर, भारत द्वारा दिए गए 90 दिनों के अल्टीमेटम को लेकर, पाकिस्तान पूरे अंदर से भयभीत हो चुका है, और इस अल्टीमेटम के बाद वह दौड़े दौड़े पंहुचा विश्वबैंक की चरणों में और गिडगिडा ने लगा है कि मोदी को रोको ! परंतू भारत सरकार ने साफ साफ विश्वबैंक को "चेतावनी" देते हुए कहा है कि - विश्व बैंक हमारे लिए इसकी "व्याख्या" नहीं कर सकता l विश्वबैंक द्वारा पाकिस्तान के "अनुरोध" पर सहमति देने के बाद, 'सिंधु जल संधि' पर भारत ने विश्व बैंक को स्पष्ट रूप से सीधे तौर पर अपना जबाव दे दिया l
पाकिस्तान भारत द्वारा की जा रही कार्रवाई / नोटिस और भारत-पाकिस्तान मतभेदों को हल करने के लिए, 2 अलग अलग "प्रक्रियाओं" को शुरू करने के डर से सहमा हुआ है l यानी सिंधु जल संधि के बहाने, भारत एक तीर से 2 निशाना साध रहा है l या हम, सिंधु नदी की पानी को रोक कर पाकिस्तान को तबाह कर देंगे, या फिर पाक को POK और गिलगित-बाल्टिस्तान को छोड़ना पड़ेगा !? मोदी उनके गिरेबान पकड़ कर घसीटने की तैयारी कर रहे हैं...
भारतवर्ष से अलग होकर, पाकिस्तान अस्तित्व में आने बाद, पहली बार भारत ने पाकिस्तान के साथ हुए सिंधु जल संधि में, संशोधन को लेकर पाकिस्तान को "90 दिनों" के भीतर "अंतर सरकारी" वार्ता में सामिल होने के लिए नोटिस भेजा था l आप लोगों को बता दूं कि पाकिस्तान के साथ, 'सिंधु नदी जल संधि' पर सन 1960 में, तत्कालीन भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और तत्कालीन पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच कराची में हस्ताक्षर हुए थे l
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