लोकमत को शिक्षित करने और जातीय गुटवाजी को दूर करने में ओपिनियन मेकर की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है…
लोकतंत्र की मजबूती के लिए लोकमत का परिष्कृत होना राजनैतिक स्वच्छता के लिए ज़रूरी है : डॉ. महेश चंद्र
ग्वालियर l भारतीय लोकतंत्र की मजबूती के लिए लोकमत का परिष्कृत होना राजनैतिक स्वच्छता के लिए ज़रूरी है उक्त उदगार एकात्म मानव दर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के अध्यक्ष डॉक्टर महेश चंद्र शर्मा ने लोकमत परिष्कार विषय पर आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम में व्यक्त किये उन्होंने कहा कि भारतीय राजनीति में राजनीतिक दलों ने गत 7 दशकों में लोकमत को परिष्कृत करने के काम को लगातार नजरअंदाज किया है इसका परिणाम यह रहा है कि राजनीति में स्वार्थों के लिए जातिवाद धन बाहुबल का इस्तेमाल कर लोग जनप्रतिनिधित्व को दूषित कर रहे हैं l
आम आदमी जनप्रतिनिधि का अर्थ यह समझता है कि वह केवल उनके संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधि है जबकि ऐसा नहीं है वह भारतीय संसद का सदस्य है अर्थात पूरे भारतवर्ष का है उसकी भूमिका देश की संसद में बनने वाले कानूनों में सुधार एवं समय-समय पर होने वाले संवैधानिक संशोधनों पर अपने विचार प्रकट करना है बनने वाले कानूनों की व्याख्या करना है उसमें नीति सम्मत सुधार करना है कई बार यह देखने में आता है कि जब संसद का बजट सत्र चल रहा पर सांसदों की उपस्थिति बजट सत्र में बमुश्किल एक चौथाई भी नहीं रहती इससे लोकतंत्र कमजोर होता है मगर कभी भी मतदाता ने जनप्रतिनिधियों से यह जानने की कोशिश नहीं की कि वह बजट सत्र के दौरान महत्वपूर्ण काम छोड़कर यहां क्या कर रहे हैं।
आज जरूरत है कि लोकमत को परिष्कृत करने के लिए प्रबुद्ध वर्ग को सामने आना होगा जिससे लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होगी और जातिवाद भाषावाद के आधार पर राजनीति करने वाले व्यक्तियों और दल हतोत्साहित होंगे मेरा मानना है कि प्रबुद्ध वर्ग ओपिनियन मेकर की भूमिका निभाता है यूरोप में भी लगभग ढाई सौ साल पूर्व इसी प्रकार का आंदोलन शुरू हुआ जिस में मतदाता को परिष्कृत करने का काम किया| मतदाता कैसे मतदान करें उसका जनप्रतिनिधि कैसा हो वह किस राजनीतिक दल से संबंध रखता है उसकी पृष्ठभूमि क्या है यह जानने के बाद ही मतदान करें दीनदयाल जी का मानना था कि परिष्कृत लोकमत ही स्वस्थ लोकतंत्र और लोकतांत्रिक परंपराओं को आगे ले जाने का काम करेगा वर्तमान समय में लोकमत को प्रभावित करने वाले कई कारक सक्रिय हैं ऐसे में जरूरत है कि प्रबुद्ध वर्ग ओपिनियन मेकर की भूमिका से आगे जाकर आसपास रहने वाले मतदाताओं को प्रबुद्ध बनाने का काम करें दलों के कार्यकर्ता भी चुनाव के समय को छोड़कर समय-समय पर मतदाता से संपर्क करें उसे बताने की कोशिश करें l
लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए किस प्रकार के जनप्रतिनिधियों का चयन करना चाहिए उन्हें मत देना चाहिए l नीतियों के पीछे समाज की शक्ति होनी चाहिए अर्थात मतदाता की शक्ति उसकी इच्छा होनी चाहिए इसलिए मतदाताओं को मतवान बनाओ इसके लिए हम आज सब यहां एकत्रित हुए हैं l कार्यक्रम संयोजक संजीव गोयल ने कहा कि संपूर्ण जगत यह मानता है कि विश्व को जब भी किसी दिशा की आवश्यकता होगी वाह निश्चित ही भारत से आने वाली है कार्यक्रम के अध्यक्ष उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश श्री डीके पालीवाल जी ने कहां की सर्वप्रथम ग्वालियर से ही एकात्म मानववाद की विचारधारा परिभाषित की गई उसके बाद विजयवाड़ा अधिवेशन में इसे अंगीकार किया गया समाज की संरचना जिसमें व्यक्ति परिवार समाज राष्ट्र समाहित हैं सब एक दूसरे पर आश्रित हैं इसी विचारधारा को आगे जनसंघ द्वारा स्वीकार किया गया और उसे आगे बढ़ाने का कार्य प्रतिष्ठान लगाता कर रहा है l
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ प्रियबंदा भसीन उपस्थित रही एवं कार्यक्रम का संचालन अंशुल श्रीवास्तव ने किया एवं आभार अजय मावई द्वारा व्यक्त किया गया कार्यक्रम में अरुण कुलश्रेष्ठ , दीपेंद्र सिंह कुशवाह लोकेश शर्मा, शिव सिंह यादव, विपुल जैन, अभिषेक गांगिल, डॉ विजय आदित्य प्रधान ,अमित सोनी ,साक्षी बोहरे,तरुनेंद्र दंडोतिया, विवेक शर्मा मनोज मुटाट कर विनोद पवैया, श्याम गर्ग आदि सहित सैकड़ों की संख्या में समाज के विभिन्न वर्गों के प्रबुध् जन उपस्थित रहेl
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