आस्था की मौत जिम्मेदार कौन प.प्रदीप मिश्रा पर आपराधिक प्रकरण दर्ज होगा !
तीन मौतों और सैकड़ों के ला पता होने पर भी जिम्मेदार और "सरकार" की चुप्पी
सीहोर l कुबरेश्वर धाम की भयावहता पर क्या प्रदेश की शिवराज सरकार भी पँडित प्रदीप मिश्रा जैसी अविचलित हैं? रोते बिलखते और दम तोड़ते श्रद्धालुओं के प्रति जो निष्ठुरता कुबरेश्वर धाम की व्यास पीठ ने दिखाई, क्या भाजपा की सरकार भी इसी तरह निष्ठुर हैं? क्या सरकार के लिए महाराज मिश्रा जरूरी है या प्रदेश की वो निर्दोष जनता जो महाराज मिश्रा के बुलावे पर सीहोर पहुँची थी? "हिन्दुत्वनिष्ठ सरकार" की जवाबदेही रुद्राक्ष लेने गए हिंदुओ के प्रति है या कुबरेश्वर धाम के प्रति? एक महाराज ओर उनके अनुयायियों द्वारा लाखो हिंदुओ की दुर्दशा पर सत्ता पक्ष के धुरंधर खामोश क्यो है? विपक्ष के सवालवीरो के चुप रहने के क्या मायने? ये सारे सवाल इतने बड़े घटनाक्रम के बाद भी खामोश बैठी सरकार के सामने खड़े है। सबसे बड़ा प्रश्न तो एक ही है कि क्या पँडित मिश्रा सहित आयोजको पर इस मामले में कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज होगा? भोपाल में सालाना होने वाले इज्तिमा में अगर ऐसी अव्यवस्था और अराजकता पसर जाती तो क्या तब भी सरकार ऐसे ही खामोश बैठी रहती? जैसी 48 घण्टे बीत जाने के बाद भी बैठी हैं।
कुबरेश्वर धाम में जो घटा, उसकी भयावहता दूसरे दिन भी सामने आई। एक मासूम की मौत के साथ मरने वाले 3 हो गए। बिछड़ने वालो की संख्या तो पता ही नही। लापता भी सेकड़ो में है जो घर तक नही पहुंचे। कथा स्थल पर पँडित प्रदीप मिश्रा की वाणी से आग लगे बस्ती में, हम तो अपनी मस्ती में जैसे जयकारे लग रहे हैं। न महाराज दुःखी नजर आए न कुबरेश्वर धाम की व्यास पीठ संवेदनशील दिखी। बदहवास, भयभीत श्रद्धालुओं का रोना बिलखना और मौत के मुंह से लौटने पर किसी न अब तक कोई संज्ञान नही लिया। सिर्फ मानवाधिकार आयोग के जिसने 5 बिंदुओं पर आयोजको से जवाब मांगे हैं।
वो सरकार चुप है जिसके जिम्मे इस अराजकता पर संवेदना के दो बोल की उम्मीद श्रद्धालुओं को ही नही, समूचे प्रदेश को हैं। वे जिम्मेदार भी खामोश है जिनके जिम्मे इस अव्यवस्था पर कार्रवाई की जवाबदारी हैं। नतीजतन मुफ्त रुद्राक्ष के नाम पर लाखों की जान से खेल जाने वाले महाराज मिश्रा बेफ़िक्र हैं और वे व्यास पीठ पर बैठकर खिलखिला रहे हैं। न सत्ता पक्ष कुछ बोल रहा है। न विपक्ष। इसलिए महाराज बोल भी रहे है कि आग लगे बस्ती में...!! अब सवाल ये है कि अगर ऐसी ही अराजकता और अव्यवस्था अगर भोपाल में होने वाले सालाना इज्तिमा में हो जाती तो क्या तब भी शिवराज सरकार ऐसा ही मोन ओढ़कर चुप्पी धारण करती रहती? क्या सरकार के लिए महाराज जरूरी है या वो निर्दोष प्रदेश की जनता जिसकी जान महाराज ने दांव पर लगा दी?
शिव के प्रति अटूट आस्था लेकर पँडित प्रदीप मिश्रा के बुलावे पर कुबरेश्वर धाम ( सीहोर ) पहुँचे श्रद्धालुओं के हाल बेहाल हो गए। दो वक्त का भोजन, चाय, नाश्ता के दावे हवा हवाई हो गए और श्रद्धालु भूख से बिलबिलाते रहें। मुंह मे दाना तो दूर पानी तक नसीब नही हुआ। खेतो में तैयार हो रही चने की फसल तोड़ तोड़कर श्रद्धालुओं में पेट की थोड़ी बहुत आग शांत की। पीने का पानी भी मशक्कत के बाद नसीब हुआ। लाखो श्रद्धालुओं को भगवान भरोसे छोड़ दिया गयं न कोई आयोजको की तरफ से कोई वालिंटियर नजर आया न मौके पर कोई पुलिस बल। लोग अपने दम पर अपनी जान बचाते रहें। मीलों पैदल चल। भूखे प्यासे। ग्रामीणों ने दयाकर दाना पानीऔर छांव दी। अन्यथा मौत का आंकड़ा कई गुना होता है।
3 साल के एक मासूम ने कल दम तोड़ दिया। इसके साथ ही मौत का आंकड़ा 3 हो गया। माँ का हाथ छूटने के बाद से 9 साल के शिवम का भी कही अता पता नही लग रहा हैं। ऐसे लापता सेकड़ो में है जिनका साथ परिजनों से छूट गया। इसमे बच्चे बूढ़े ओर महिलाएँ शामिल हैं। आयोजन स्थल पर चारो तरफ बिखरे पड़े श्रद्धालुओं का सामान और जूते चप्पलों के ढेर पँडित मिश्रा की कथा की अव्यवस्था और अराजकता की कहानी साफ बता रहें हैं। श्रद्धालुओं की जुबानी माने तो वे मौत के मुंह से बाहर आये। बदहवास, भयभीत चेहरे कुबरेश्वर धाम की दास्तां बता रहें थे। रोते बिलखते लोग। परिजनों को तलाशते लोग। आयोजको को कोसते लोग।
कथा स्थल पर मौजूद पंडित मिश्रा इन सबसे बेफ़िक्र अपनी कथा में मगन रहे। बस रुद्राक्ष का वितरण रुका लेकिन ये घोषणा के साथ कि रुद्राक्ष तो मिलते रहेंगे। महाराज ने व्यास पीठ से ये भी कह दिया कि आग लगे बस्ती में...!! शेष शब्द मौजूद लोगों के मुंह से निकलवा लिए की आग लगे बस्ती में, हम अपनी मस्ती में। कुबरेश्वर धाम की न व्यास पीठ इस पूरे घटनाक्रम में दुःखी नजर आई न संवेदनशील। मरने वाले मर गए। बिछड़ने वाले बिछड़ गए। कई लापता हैं। लेकिन कथा बदस्तूर जारी है l
पंडित प्रदीप मिश्रा बोले- रुद्राक्ष महोत्सव रद करवाने की साजिश हुई, अब मैं चार गुना बड़ा आयोजन करूंगा
कुबेरेश्वर धाम के रुद्राक्ष महोत्सव में लाखों लोगों के आने से हुई अव्यवस्था और तीन मौतों से भी कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने सबक नहीं लिया है। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि अब मैं इससे चार गुना बड़ा आयोजन करूंगा। उन्होंने अव्यवस्था के संबंध में कहा कि सनातन धर्म के द्रोहियों ने तत्काल रुद्राक्ष महोत्सव रद (कैंसिल) कराने की साजिश हुई है।
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