25 जनवरी को मनाई गई राजमाता विजयाराजे सिंधिया की पुण्यतिथि...
कार्यकर्ताओं के मनुहार को सहजता से करती थीं स्वीकार
ग्वालियर। राजमाता विजयाराजे सिंधिया की पुण्यतिथि 25 जनवरी को मनाई गई। राजपथ को छोडक़र, लोकपथ को चुनने वाली राजमाता विजयाराजे ने भाजपा को राजनीतिक आधार प्रदान करने में अहम भूमिका निभाई। कार्यकर्ताओं पर राजमाता ने सदैव ममत्व लुटाया। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिवपुरी में सभा की थी। उन्होंने सभा में कहा था कि जब वे यात्रा लेकर आये थे, तो उनकी यात्रा का विश्राम शिवपुरी में ही था। सैकड़ों कार्यकर्ता विश्राम कर रहे थे, रात में राजमाता ने दरवाजा खटखटाया। उनके हाथ में दूध का गिलास था। उन्होंने पूछा- दूध पीया या नहीं। राजमाता का कार्यकर्ताओं के प्रति वात्सल्य प्रेम देखकर हर कोई अभिभूत था। कार्यकर्ताओं में राजमाता की छवि ममतमयी मां की थी, उन्होंने अंतिम श्वांस तक कार्यकर्ताओं पर अपना प्यार लुटाया।
पिताजी को देखने के लिए राजमाता घर आईं-शेजवलकर
ग्वालियर के सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का कहना है कि राजमाता विजयाराजे सिंधिया हर छोटे-बड़े कार्यकर्ता के सुख-दुख में प्रत्यक्ष रूप से सहभागी होने का प्रयास करती थीं। एक वाकया मेरी स्मृति में आज भी है, मेरा पिता पूर्व सासंद स्व. नारायण कृष्ण शेजवलकर के आंखों का आपरेशन कराया था। राजमाता बिना पूर्व सूचना दिए पिताजी को देखने के लिए घर आ गईं। राजमाता को घर के दरवाजे पर खड़ा देखकर पूरा घर स्तब्ध था, क्योंकि उस समय पिताजी चेकअप कराने के लिए डाक्टर के पास गये थे। उन्होंने पिता के घर लौटने तक इंतजार किया, परिवार से आत्मीयता से मिली।
कार्यकर्ताओं के मनुहार को सहजता से करती थीं स्वीकार- पवैया
भाजपा सरकार के पूर्व मंत्री व महाराष्ट्र के सह प्रभारी जयभान सिंह पवैया का कहना है रामजन्म भूमि आंदोलन के दौरान मुझे राजमाता के साथ धर्मसभाओं में जाने का सानिध्य मिलता था। वर्ष 1988 में राजमाता मां पीताबंरा पीठ पर साधनारत थी, उस समय मेरी उनसे मुलाकात हुई। मैंने उनसे आग्रह किया कि आपका जन्मदिन करवाचौथ पर है। हमारी इच्छा है कि आप अपना जन्मदिन मेरे गांव चीनौर में मनाएं। यह सुनकर वह भावुक हो गईं और भरे गले से बोलीं- तुम्हें मेरा जन्मदिन कैसे याद है, तुम जैसे बेटों की वजह से ही तो मैं आप सबके बीच हूं। यह कहते हुए उन्होंने अपनी सहमति दी। वे कार्यकर्ताओं के मनुहार को कभी टालती नहीं थीं।
0 Comments