G.News 24 : पानीपत के युद्ध से लें सबक तभी बनेगा देश समर्थ और शक्तिशाली : संदीप

ग्वालियर पहुंची पानीपत गौरव गाथा यात्रा का जगह-जगह हुआ स्वागत...

पानीपत के युद्ध से लें सबक तभी बनेगा देश  समर्थ और शक्तिशाली : संदीप

ग्वालियर। पुणे से पानीपत जा रही पानीपत गौरवगाथा अभियान यात्रा गुरुवार को ग्वालियर पहुंची। यहां इस यात्रा का शहरवासियों के अलावा एनसीसी कैडेट्स, नर्सिंग विद्यार्थी सहित तिब्बतियों ने भी जगह-जगह पुष्प वर्षा कर जोशीला स्वागत किया। 83 सदस्यीय यह दल हाथ में तिरंगा और भगवा झंडा लेकर जैसे ही वीरांगना लक्ष्मीबाई की समाधि पर पहुंचा तो पूरा परिसर भारत माता की जय के गगनभेदी नारों से गुंजायमान हो गया। 

सबसे पहले इस यात्रा के संयोजक संदीप महिंद्र ने अपने साथियों और गंगादास की बड़ी शाला के महंत रामसेवक दास महाराज के साथ झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर पुष्प अर्पित कर नमन किया। इसके बाद संदीप जी ने पानीपत युद्ध में मराठाओं के शौर्य की गाथा सुनाई। उन्होंने कहा कि इस यात्रा का उद्देश्य 1761 में  मराठा और अब्दाली के बीच हुए पानीपत युद्ध के वीरों की गौरव गाथा को लोगों तक पहुंचाना है।

6 जनवरी को पुणे से शुरू हुई यह यात्रा 1300 किलो मीटर की दूरी तय कर 14 जनवरी को पानीपत पहुंचेगी। उन्होंने बताया कि इस दल में 6 बहनों और 2 बालकों सहित 83 लोग दो पहिया वाहनों से प्रतिदिन 300 से 350 किमी की यात्रा कर लोगों को देश के गौरवशाली इतिहास के इस प्रसंग के बारे में जानकारी दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास में पानीपत के तीसरे युद्ध का बड़ा महत्व है।  

इस युद्ध को 261 वर्ष पूर्ण होने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इतिहास इस युद्ध में मराठाओं की हार बताता है, लेकिन यह सवा लाख मराठाओं के शौर्य की गाथा थी, जिन्होंने इस युद्ध में अपना पराक्रम दिखाया। इसके बाद किसी आक्रांता ने उत्तर पश्चिम दिशा में आने की हिम्मत नहीं दिखाई। उन्होंने कहा कि अहमद शाह अब्दाली की सेना को विजय जरूर मिली थी किन्तु मराठों के पराक्रम के कारण वह दिल्ली का बादशाह नहीं बन सका। 

यात्रा के संयोजक ने कहा कि पानीपत युद्ध में देश के अन्य शक्तिओं ने एकजुट होकर साथ नहीं दिया। दुर्भाग्य से आज भी हम एक नहीं हैं। आज भी हम जातियों, प्रांंतों और भाषा को लेकर बंटे हुए हैं। अगर हम अपने अंदर छिपे अलगाव को समाप्त नहीं करेंगे तो आगे भी पानीपत युद्ध जैसी परिस्थिति निर्मित होती रहेगी। श्री महिंद्र ने लोगों से आह्वान करते हुए कहा कि भारत को विश्व गुरू बनाने के लिए पानीपत के युद्ध से सबक लेकर एकजुट होकर देश को समर्थ और शक्तिशाली बनाएं।  इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। यह यात्रा वीरांगना लक्ष्मीबाई को नमन करने के बाद हजीरा, चार शहर का नाका, ट्रिपल आईटीएम होते हुए पुरानी छावनी पहुंची। जहां दल में शामिल सदस्यों ने अल्पाहार किया।

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