G.News 24 : पीएम ऋषि सुनक ने पाकिस्तान मूल के सांसद की कर दी खिंचाई

गुजरात दंगों पर बनी BBC डॉक्यूमेंट्री को लेकर ब्रिटेन में भी हल्ला…

पीएम ऋषि सुनक ने पाकिस्तान मूल के सांसद की कर दी खिंचाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और साल 2002 में हुए गुजरात दंगों पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ने ब्रिटेन में हल्ला मचा रखा है। इसको लेकर जमकर विवाद भी हो रहा है। अब ये विवाद ब्रिटेन की संसद में भी पहुंच गया है। पाकिस्तान मूल के सांसद इमरान हुसैन ने इस मामले को संसद में उठाया तो ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक ने उनकी खिंचाई कर दी। ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक ने भारतीय पीएम मोदी के समर्थन में बोलते हुए अपनी संसद में कहा कि वो इस डॉक्यूमेंट्री में उनके कैरेक्टरराइजेशन से सहमत नहीं हैं। सुनक ने अपनी बात रखते हुए कहा कि इस मामले पर यूके सरकार की स्थिति स्पष्ट है, जो स्टैंड लंबे समय से है वह बदला नहीं है। सुनक ने आगे कहा कि निश्चित रूप से हम उत्पीड़न को बर्दाश्त नहीं करते हैं, चाहे यह कहीं भी हो, लेकिन मैं उस चरित्र-चित्रण से बिल्कुल सहमत नहीं हूं, जो नरेंद्र मोदी को लेकर सामने रखा गया है। 

दरअसल, ब्रिटेन की एक संस्था बीबीसी ने साल 2002 के गुजरात दंगों के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के कार्यकाल पर पर निशाना साधते हुए 2 पार्ट्स में एक सीरीज दिखाई थी। इसको लेकर ब्रिटेन में भारतवंशियों की ओर से काफी नाराजगी जताई और फिर डॉक्यूमेंट्री को चुनिंदा प्लेटफार्मों से हटा दिया गया। भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिकों ने इस डॉक्यूमेंट्री की निंदा की तो वहीं, ब्रिटेन के मूल: नागरिक लॉर्ड रामी रेंजर ने कहा कि बीबीसी के कारण एक अरब से अधिक भारतीयों की भावना को ठेस पहुंची है। बीबीसी रिपोर्टिंग की निंदा करते हुए रामी रेंजर ने एक ट्वीट भी किया जिसमें उन्होंने लिखा कि बीबीसी न्यूज आपने एक अरब से अधिक भारतीयों को बहुत दुख पहुंचाया है। 

ये लोकतांत्रिक रूप से चुने गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारतीय पुलिस और न्यायपालिका का अपमान है। हम दंगों और जानमाल के नुकसान की निंदा करते हैं और साथ ही आपकी पक्षपात वाली रिपोर्टिंग की भी निंदा करते हैं। इसके अलावा भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी बीबीसी की इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि ब्रिटेन में डॉक्यूमेंट्री के नाम पर जो दिखाया गया, वो एक प्रोपोगेंडा का हिस्सा है। जिसमें कोई सच्चाई नहीं है। उन्होंने कहा कि ध्यान दें कि इसे भारत में प्रदर्शित नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि यह फिल्म या डॉक्यूमेंट्री उस एजेंसी/व्यक्तियों का एक प्रतिबिंब है जो इस कहानी को फिर से फैला रहे हैं। यह हमें इस कवायद के उद्देश्य और इसके पीछे के एजेंडे के बारे में सोचने पर मजबूर करता है।'

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