अब विधानसभा चुनाव के बाद होंगी नियुक्तियां...
बीजेपी अब चुनावों को देखते हुये खाली पड़े निगम मंडलों में नहीं करेगी नई नियुक्तियां !
ग्वालियर। बीजेपी अब चुनावों को देखते हुये खाली पड़े निगम मंडलों में नहीं करेगी नई नियुक्तियां । पार्टी सूत्रों के अनुसार भाजपा आलाकमान अब इसी वर्ष नवंबर दिसंबर माह में प्रस्तावित विधानसभा चुनावों को देखते हुये नियुक्तियों के विवाद में नही पड़ना चाहता, इसीलिये फिलहाल यह नियुक्तियां टाल दी गई हैं। हालांकि इन नियुक्तियों के लिये प्रदेश भर में खाली पड़े पदों पर भाजपा नेताओं से लेकर बड़े मंत्री तक अपने समर्थकों की ताजपोशी कराना चाहते थे। ग्वालियर चंबल अंचल में भी इन नियुक्तियों को संभवतः टाल दिया गया है। ग्वालियर में इन नियुक्तियों को लेकर बेहद मारामारी थी।
केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर नरेन्द्र सिंह तोमर, प्रदेश अध्यक्ष व्हीडी शर्मा, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा भी अपने समर्थकों की ताजपोशी विभिन्न पदों पर चाहते थे। ग्वालियर में ही आधा दर्जन पद विभिन्न निगम मंडलों में अध्यक्ष से लेकर उपाध्यक्ष व एक दर्जन से अधिक संचालक मंडल के पद रिक्त पड़े हैं। इनमे भाजपा सरकार के बनने से अभी तक नेताओं कार्यकर्ताओं को दिवास्वप्न दिखाते रहे हैं। ग्वालियर में विशेषकर ग्वालियर विकास प्राधिकरण, ग्वालियर व्यापार मेला प्राधिकरण और साडा में अध्यक्ष से लेकर उपाध्यक्ष व संचालकों के पद रिक्त पड़े हैं। बीच-बीच में कई नेताओं ने अपने-अपने समर्थकों की ताजपोशी कराने की कोशिश की।
उर्जा मंत्री प्रघुम्न सिंह तोमर चेंबर के सचिव डा. प्रवीण अग्रवाल को मेला प्राधिकरण का अध्यक्ष बनवाने के लिये ऐढ़ी चोटी का जोर लगाते रहे, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और प्रदेशाध्यक्ष के स्पष्ट दिशा निर्देशों के तहत वरिष्ठ नेताओं को ही मेला अध्यक्ष बनाया जाना था, जिससे डा. प्रवीण अग्रवाल का मेला अध्यक्ष बनने का सपना साकार नहीं हो पाया, वह केवल उर्जा मंत्री के पीआरओ बनकर ही रह गये।
इधर निगम मंडलों की नियुक्तियों को संगठन की ओर से भी स्पष्ट निर्देश है कि नियुक्तियां टाली जाये, पद एक हैं और चाहने वाले अनंत वह भी सिंधिया कोटा की ज्यादा मांग थी जिस कारण सरकार व संगठन की ओर से नियुक्तियां टाल दी गई, क्योंकि मूल भाजपाई अब अपनी उपेक्षा से वैसे भी बेहद नाराज है और सिंधिया समर्थक नये भाजपाइयों की नियुक्तियां हो जाती तो भाजपा में बबाल हो जाता। कई भाजपाई तो इस्तीफों की झड़ी लगा देते। इधर इसी विवाद के चलते कई सिंधिया समर्थक भाजपाई नियुक्तियां पाने से रह गये हैं। मूल भाजपाइयों की नाराजगी देखते हुये अब वरिष्ठ पार्षदों की सूची भी टाली जा रही हैं। यह सब नियुक्तियां अब विधानसभा चुनावों के बाद ही हो पाने की संभावना है।
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