हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन स्कीम तुरंत प्रभाव से लागू...
लोहड़ी पर हिमाचल के 1.36 लाख कर्मियों को ओपीएस का तोहफा
हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) की बहाली का बहुप्रतीक्षित फैसला आखिर शुक्रवार को ले लिया गया। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली नई सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में इसे मंजूरी दी गई, जिसके तुरंत बाद इस निर्णय को लागू कर दिया गया। प्रदेश 1.36 लाख कर्मियों को लोहड़ी पर्व पर यह तोहफा मिला है। इसकी अधिसूचना जल्द होगी। ओपीएस 2003 में बंद हुई थी। सचिवालय में हुई कैबिनेट बैठक में इस फैसले को लेने के बाद मुख्यमंत्री ने राज्य अतिथि गृह पीटरहॉफ में पत्रकार वार्ता की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने चुनाव से पहले किया वादा निभाया है। यह कांग्रेस के प्रतिज्ञा पत्र की पहली गारंटी थी। सुक्खू ने कहा कि छत्तीसगढ़ के फार्मूले को आधार बनाकर हिमाचल प्रदेश में अपना फार्मूला तैयार कर इसे लागू किया है। ओपीएस का मुद्दे कांग्रेस को सत्ता दिलाने का एक बड़ा हथियार रहा है। इसकी बहाली के लिए हुई पहली कैबिनेट की बैठक के दौरान जहां कर्मचारियों ने राज्य सचिवालय के बाहर जश्न मनाया, वहीं प्रदेश के कई हिस्सों में जगह-जगह पर पटाखे फोडे़, लड्डू बांटे और नाटी डालकर नाच-गान हुआ।
सीएम ने कहा कि प्रदेश में इस पेंशन से वंचित कर्मचारियों की संख्या करीब 1,36,000 है। उन्हें शुक्रवार से ही यह लाभ मिलना शुरू हो गया है। सीएम ने कहा कि इसकी अधिसूचना आज या कल वित्त विभाग कर देगा। जो भी विभागों, बोर्डों और निगमों के पात्र कर्मचारी हैं, उन्हें इस योजना में लाया गया है। इसे वर्ष 2003 से दिया जाएगा। इसका एरियर दो महीने, चार महीने या साल बाद जैसे-जैसे संसाधन आएंगे, वैसे-वैसे मिलेगा। पत्रकार वार्ता के दौरान उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, मंत्री धनीराम शांडिल, हर्षवर्द्धन चौहान, रोहित ठाकुर, जगत सिंह नेगी, सीपीएस संजय अवस्थी आदि मौजूद रहे। वहीं कैबिनेट बैठक में मंत्री विक्रमादित्य राज्य से बाहर होने के चलते शामिल नहीं हुए। कैबिनेट ने महिलाओं को प्रतिमाह 1500-1500 रुपये देने और बेरोजगारों को एक लाख रोजगार दिलाने के लिए मंत्रिमंडलीय उप समितियां गठित कीं। प्रदेश में 18 से 60 वर्ष की हर महिला को 1500 रुपये मासिक देने के लिए मंत्री धनीराम शांडिल, चंद्र कुमार और अनिरुद्ध सिंह की सदस्यता वाली एक उप समिति बनाई गई।
एक लाख लोगों को रोजगार दिलाने के लिए भी कैबिनेट सब कमेटी बनाई गई है। इसमें हर्षवर्द्धन चौहान, जगत सिंह नेगी और रोहित ठाकुर होंगे। यह कमेटी भी एक महीने में अपनी रिपोर्ट देगी। सुक्खू ने कहा कि इन दोनों गारंटियों को इसी साल लागू करेंगे। अन्य गारंटियां आगामी पांच वर्ष में लागू करेंगे। सीएम सूक्खू ने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार वर्तमान सरकार की झोली में अकेले कर्मचारियों की ही 11,000 करोड़ की देनदारियां डालकर गई है। छठा वेतन आयोग लागू किया तो 1,000 करोड़ रुपये का तो डीए का एरियर ही नहीं दिया। नौकरी पर लगे लोगों का 4,430 करोड़ रुपये वेतन का एरियर देना है। पेंशन वालों का 5,226 करोड़ रुपये देना है। जो 900 संस्थान खोले, उन पर 5,000 करोड़ रुपये खर्च आएगा। यानी भाजपा 16,000 करोड़ रुपये की देनदारियां हम पर छोड़ गई। 75,000 करोड़ रुपये का कर्ज हम पर डाल गए। भाजपा मौजूदा सरकार पर कुल मिलाकर 86,000 करोड़ रुपये की देनदारियां छोड़ गईं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सांसद प्रतिभा सिंह ने कहा कि कांग्रेस जो कहती है, उसे पूरा भी करती है। प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना बहाल होने पर खुशी जताते हुए उन्होंने कर्मचारियों को बधाई दी है। कहा है कि आने वाले समय में प्रदेश की कांग्रेस सरकार अपनी सभी गारंटी व वादों को पूरा करेगी।
प्रतिभा सिंह ने प्रदेश सरकार की पहली कैबिनेट में लिए गए निर्णयों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार ने अपनी इच्छा शक्ति को उजागर कर दिया है। कांग्रेस सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट में ओपीएस बहाली का जो वादा कर्मचारियों से किया था, उसे पूरा कर दिया गया है। इसके लिए सुक्खू सरकार बधाई की पात्र है। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और हिमाचल विधानसभा चुनाव में पार्टी की स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी ने पुरानी पेंशन बहाली के लिए प्रदेश की जनता को बधाई दी है। प्रियंका गांधी ने फेसबुक और ट्विटर पर पोस्ट शेयर कर लिखा है कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार ने पुरानी पेंशन योजना बहाल कर दी है। चुनाव में पुरानी पेंशन प्रदेश के लोगों के लिए सबसे प्रमुख मुद्दा था। हमने इसे लागू करने का वादा किया था। इससे पहले राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस की सरकारें पुरानी पेंशन लागू कर चुकी हैं। कांग्रेस मानती है कि पेंशन कर्मचारियों का हक है जो उन्हें मिलना चाहिए। नई पेंशन स्कीम में कर्मचारी की बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते का 10 फीसदी हिस्सा कटता है। इसमें सरकार की ओर से 14 फीसदी की हिस्सेदारी दी जाती है। इस स्कीम के तहत सेवानिवृत्ति पर पेंशन पाने के लिए एनपीएस फंड का 40 फीसदी निवेश करना होता है। सेवानिवृत्ति के बाद निश्चित पेंशन की गारंटी नहीं होती। एनपीएस शेयर बाजार पर आधारित है। इसमें महंगाई भत्ते का प्रावधान शामिल नहीं है।
सेवा के दौरान कर्मचारी की मृत्यु होने पर उनके परिजनों को कुल वेतन का 50 फीसदी पेंशन के तौर पर देने का प्रावधान है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में शुक्रवार को आयोजित प्रदेश मंत्रिमंडल की पहली बैठक में कांग्रेस पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र को सरकार के नीति दस्तावेज के रूप में अपनाने का निर्णय लिया। सभी संबंधित मंत्री, सचिव, विभागाध्यक्ष इसे अक्षरश लागू करेंगे। बैठक में कांग्रेस पार्टी की नीतियों और कार्यक्रमों में विश्वास जताने पर प्रदेश के लोगों का आभार व्यक्त करने के लिए सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव भी पारित किया गया। मंत्रिमंडल ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी का उनके गतिशील और सशक्त नेतृत्व के लिए भी आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि वे प्रदेश के अधिकारियों और कर्मचारियों से अपील करना चाहते हैं कि कर्जे का बोझ लेकर आगे नहीं बढ़ सकते हैं। आने वाले समय में और भी कडे़ फैसले लेने होंगे। इसमें वे जनता का भी साथ चाहते हैं।
आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद वे संसाधन बढ़ाने के लिए आगे बढ़ रहे हैं और संसाधनों को विकसित कर रहे हैं। सुक्खू ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि इस फैसले को लेते हुए कांग्रेस की नीति भी साफ थी, नीयत भी साफ थी। भाजपा कैसे सरकार चला रही थी और कैसा इनका मंत्रिमंडल था। सब समस्याओं के बावजूद वायदा पूरा किया। इस बारे में अधिकारियों के साथ बैठक हुई। सबसे बातचीत करने के बाद हम कर्ज पर आ गए। डबल इंजन की सरकार थी, कुछ तो मिला होगा। भाजपा ने सत्ता का विकेंद्रीयकरण करके सत्ता सुख भोगा। कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी ने भी कहा था कि जब पहली कैबिनेट होगी तो ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करेंगे। यह न्यायसंगत फैसला है। इसमें अड़चनेें काफी आईं। लेकिन निर्णय लिया कि सामाजिक सुरक्षा को देखते हुए इसे लागू करना चाहिए। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल में युवा दर बदर भटकते हैं। ऐसा रोजगार नहीं देना चाहते, जहां पेपर पहले बिक जाता हो या लीक हो जाता हो। मेरिट की उपेक्षा न हो। इस दृष्टि से भी काम करना चाह रहे हैं।
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