मेले की लचर व्यवस्थाओ को लेकर व्यापारिओं में रोष व्याप्त !

 तत्काल सुधर नहीं हुआ तो रूख को कड़ा कर सकते हैं मेला व्यापारी

मेले की लचर व्यवस्थाओ को लेकर व्यापारिओं में रोष व्याप्त !

ग्वालियर l करीब 125 वर्ष की शानदार गौरवशाली विरासत रखने वाले विश्वप्रसिद्ध ऐतिहासिक ग्वालियर व्यापार मेला के प्रति शासन व प्रशासन के लगातार उपेक्षाभाव के चलते मेला के वैभव व आवश्यक बुनियादी व्यवस्थाओ में निरंतर आ रही गिरावट से ग्वालियर मेला के व्यापारी, व्यवसायी एवं उद्यमी खासे नाराज हैं। ग्वालियर मेला के शुभारंभ की पूर्व संध्या पर आज पत्रकारों से चर्चा करते हुए श्रीमन्त माधवराव सिंधिया ग्वालियर व्यापार मेला व्यापारी संघ के पदाधिकारियों ने अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर करते हुए मांग की कि मेला की बिगड़ी व्यवस्थाओ को तत्काल दुरुस्त किया जाए, अन्यथा अभी तक आग्रह व मनुहार कर रहे मेला व्यापारी अपने रूख को और अधिक कड़ा भी कर सकते हैं।

पत्रकारों से चर्चा करते हुए श्रीमन्त माधवराव सिंधिया ग्वालियर व्यापार मेला व्यापारी संघ के अध्यक्ष महेंद्र भदकारिया, सचिव महेश मुदगल, संयोजक उमेश उप्पल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं प्रवक्ता अनिल पुनियानी ने रोषपूर्ण स्वर मे कहा कि दो वर्ष की कोरोना त्रासदी झेलने के बाद इस वर्ष 25 दिसंबर से भले ही ग्वालियर मेला औपचारिक रूप से शुरू हो चुका है लेकिन इस बार मेला जो तमाम परेशानियां व अभाव झेल रहा है, उन्हें नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ग्वालियर मेला एक स्वशासी संस्था है, इस नाते यहाँ स्वतंत्र आधार पर त्वरित निर्णय लेने में अधिकारसंपन्न अध्यक्ष होना अत्यावश्यक है।

इससे पहले जब मेला प्राधिकरण अध्यक्ष का पद रिक्त होता था, उस वक्त संभागीय अध्यक्ष के पास ही मेला अध्यक्ष का दायित्व होता था। लेकिन इस बार यह परिपाटी तोड़ते हुए मेला अध्यक्ष की पदेन जिम्मेदारी प्रदेश के एमएसएमई मंत्री ओम प्रकाश सखलेचा को सौंप दी गई है जो भोपाल में ही रहते और वल्लभ भवन से मेला को संचालित करते हैं। मेला से संबन्धित सभी निर्णय का देरी से लिए जा रहे हैं, ऐसा लगता है कि मेला अध्यक्ष की अतिरिक्त जिम्मेदारी संभाल रहे मंत्री महोदय की ग्वालियर मेला में न रुचि है और न ही कोई प्लानिंग है। मेला व्यापारी संघ ने मांग की कि ग्वालियर मेला अवधि तक मंत्री श्री सखलेचा ग्वालियर मेला में ही कैम्प करें और यदि उनके लिए यह संभव नहीं है तो मेला अध्यक्ष का प्रभार पूर्व की तरह ग्वालियर के संभागीय अध्यक्ष को ही सौंप दिया जाए ताकि मेला व्यापारी अपनी समस्याओं के निराकरण के लिए उनसे कभी भी और तत्काल संपर्क कर सकें। 

 श्रीमन्त माधवराव सिंधिया ग्वालियर व्यापार मेला व्यापारी संघ के अध्यक्ष महेंद्र भदकारिया, सचिव महेश मुदगल, हरिकांत समाधिया, संयोजक उमेश उप्पल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं प्रवक्ता अनिल पुनियानी ने पत्रकारों से चर्चा में कहा कि ऑटोमोबाइल सेक्टर को भव्य, सुचारु व निर्विधन स्वरूप देने के लिए कई कदम उठाना आवश्यक है। ऑटोमोबाइल सेक्टर में सड़क, डिवाइडर व दुकानों के साइज से संबन्धित नियम कायदों को इस तरह बनाया जाना चाहिए कि ऑटोमोबाइल डीलर, स्टाफ, खरीददारों व सैलानियों को किसी तरह की मुश्किलात का सामना न करना पड़े l जिस से मेला की भव्यता एवं सुंदरता कायम रहे। दुकान आवंटन व आरटीओ ट्रेड सर्टिफिकेट जारी करने की प्रक्रिया को सुगम बनाया जाए। 31  दिसम्बर तक जो आवेदन आए हैं, उसके बाद भविष्य में आवेदन न लिए जाएं। 

7 जनवरी शनिवार को मेले का विधिवत शुभारंभ होने जा रहा है लेकिन  मेला व्यापारी संघ ने यह भी आग्रह किया कि मेला में सफाई व्यवस्था व कानून व्यवस्था को पुख्ता व मुकम्मल बनाया जाए। जो लोग बाहर से आकर मेला में बस गए हैं, उनसे मेला सुरक्षित नहीं है, ऐसे लोग मेला में चोरी चपाटी करते हैं, इन सभी के दस्तावेज चैक किए जाएं और जो यहाँ बसे हुए हैं, उनकी भी जाँच की जाए। 

  मेला व्यापारी संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि महान सिंधिया शासकों द्वारा स्थापित ग्वालियर मेला को तरक्की की बुलंदी पर ले जाने के लिए कै. महाराज श्रीमन्त माधवराव जी सिंधिया एवं उनके बाद केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जोप्रयास किए हैं, उस सिलसिले को रुकने नहीं देना चाहिए और ग्वालियर मेला के सर्वोच्च विकास के लिए यथासंभव काम होना चाहिये। उक्त सभी मांगों के संबन्ध में श्रीमन्त माधवराव सिंधिया ग्वालियर व्यापार मेला व्यापारी संघ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ज्ञापन पत्र प्रेषित किया है। कल 7  जनवरी को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया एवं एमएसएमई मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा के ग्वालियर मेला के शुभारंभ समारोह में आगमन के अवसर पर उन्हें भी ज्ञापनपत्र भेंटकर मेला व्यापारियों की समस्याओं व अपेक्षाओं से अवगत कराते हुए तत्संबन्ध में कार्यवाही के लिए कहा जाएगा। 

मेला में आयोजित पत्रकार वार्ता में महेंद्र भदकारिया, महेश मुदगल, अनिल पुनियानी, उमेश उप्पल, कल्ली पंडित, सुरेश हिरयानी, अनुजसिंह, हरिकांत समाधिया, मुकेश अग्रवाल, रामस्वरूप, अरुण केन, सुरेंद्र जुनेजा, राजकुमार जैन, चंदन बैस, अनिल शर्मा, रमेश वर्मा, राजू कंसाना, कमलसिंह, ललितजी आदि ने विचार रखे।

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