सावधान मामा शिवराज ...
"माई का लाल" न साबित हो जाएं ये सम्मेलन !
ये वो बहुरूपिया है जो रूप बदल बदल कर आ रहा है। वेरिएंट बन कर। ....हर बार कारण बाहरी लोग जो कि अधिकांशतः उड़ानें भरकर आए हैं और वे ही रहें हैं इसको फ़ैलाने का कारण। हम यहाँ बात कर रहे हैं कोविड 19 कोरोना की इसे हल्के में नहीं लेना है l कोरोना के फिर आने की आहट को, पहले भी दो बार इसके दंश को झेल इन्दौरी घुट घुट कर मरते हुए जिये हैं।
विश्व का सबसे बड़ा स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यू एच ओ भी अभी तक इसकी पहचान करने में असहाय है, इसके प्रभाव और प्रसार को लेकर नित नये नये स्टेटमेंट जारी करता है और फिर आए दिन उन्हें बदलता भी रहता है। इलाज इसका सभंव नहीं हो पाया है बस सुरक्षा कवच के लिए डोज लगा इम्यूनिटी बढ़ाने की सलाहो के साथ उच्च एहतियात बरतने के निर्देश जारी किए जाते हैं।
एहतियात के चलते विश्व के कई बड़े बड़े देश तो एक बार फिर अपने यहां आने वाली कई उड़ानों पर बंदिश लगा चुके हैं और हम अति आत्मविश्वास से उन्हें आमंत्रित कर रहे हैं। सावधान, इसलिए कि तकरीबन डेढ़ सप्ताह पहले अमेरिका, ब्राज़ील, चीन, जापान और कोरिया में कोविड के बढ़ते मामलों के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने सभी राज्यों के स्वास्थ्य सचिवों और मुख्य सचिव को चिट्ठी लिख इस हेतु निर्देश दिए।
विश्व मीडिया सहित देशी मीडिया भी हरकत में आकर संबंधित खबरों के साथ आनेवाले समय की भयावहता बता कोरोना के नये स्वरूप से बचने के लिए लिए एहतियात बरतने की आवश्यकता पर जोर देती खबरें बताने लगा था l समय की नाजुकता ने प्रवासी भारतीय सम्मेलन और ऐसे आयोजन की वर्तमान परिस्थितियों में "औचित्यता और आवश्यकता" पर सवाल खड़े किए l विपक्षी राजनेता और राजनैतिक दलो द्वारा जारी स्टेटमेंट मीडिया सुर्खियां बनने लगे,तो मीडिया मैनेज किया जाने लगा और गत पांच सात दिन से स्थानीय मीडिया से कोरोना खतरे की संभावना वाली खबरें गायब ही हो गई l लेकिन "जनता सब समझती है।"
"बीस का पेट्रोल और तीस की बियर" वाले ये छिछोरे जो दिन भर नेताओं के आगे पीछे घूमते रहते उनको भी पता है l मीडिया मैनेजमेंट कैसे किया जाता है l इन्दौर में एक तो चार के लाट में और एक सिंगल में इस तरह पांच पाज़िटिव मिले, अभी इक्का दुक्का केस आए हैं फिर गुच्छे के गुच्छे आ सकते हैं । जनता में से ही निकलेंगे ये। नेता और प्रवासी तो चलें जाऐगे, घुट घुट घुटने को मजबूर हो जाएगा
इसलिए सावधान, अति-आत्मविश्वास नहीं, समय अभी भी है, आम जन को इस नये वेरियंट्स के संभावित कहर से बचाने का सही मौका है l अभी सही कदम उठाने सही निर्णय लेने का,निकला समय फिर नहीं आएगा और अगर अनहोनी परिस्थितियां बनी तो जनता उसके लिए आप सहित, इसी आयोजन को कारण मानेगी। इसलिए "निरस्त न सही पोस्टपोंड कर दीजिए" ।
विपक्षी तों तैयार ही है "बदलाव की बयार "नया साल नयी सरकार" का मंसूबा लिए कमलनाथ ताल ठोक रहे खुलें मैदान में, वे हाथों हाथ लेंगे इस दंभ भरी लापरवाही को,और जनता में इस अति आत्मविश्वास के प्रति पनपते "रोष को आक्रोश" बनाने की कोशिश करते संभावित परिवर्तन की संभावना बनाने लगेगे l वैसे ही जैसे पिछली बार "माई के लाल" के अतिआत्मविश्वास भरें दंभी वाक्य को भुनाया था l उसे.भूले आप भी नहीं होंगे भूली जनता भी नही है, भूला संगठन भी नहीं और भूली पार्टी भी नहीं है। सबको सब कुछ याद है।
ऊपर वालों ने तो आती बार के लिए शत प्रतिशत "चेंज" का मन बना लिया है, पत्रकार जिससे भी चाहे उससे "नये फेस प्रोजेक्ट" को लेकर सवाल करने लगे हैं ।बदलाव तो होगा इस साल के चुनाव में परन्तु सहमति सम्मान से बदले या किसी कारण को कारण बनाकर , ये अभी वक्त के गर्भ में है और इसके लिए आपकी कार्यप्रणाली और "आपके निर्णय ही निर्णायक" होगें ।
मंच से सस्पेंड वाली घटनाएं भी आलाकमान को माई के लाल की याद दिला रही है, चाहे आपको ये चाटुकार "डेरिंग इमेज बिल्ट" का ज्ञान दे l परन्तु हकीकत में जिन्हें सस्पेंड किया जाता उनमें से कुछ तो न्यायालय से अपना सस्पेंशन रूकवा देते और यह बात मीडिया के जरिए जनता तक पहुंच जाती, बाकी की भी थोड़े दिन इधर उधर घूम फिरकर कुछ ही दिनों में वापसी या पोस्टिंग हो जातीहै l इसको भी जनता खूब अच्छी तरह से जानती है l अभी इन्दौर में ही लाइन से लाइन में गये कई लांछित अफसर एक एक कर लाईन से वापस आ गए l इसी सम्मेलन की आड़ में, यही नहीं अधिकांश उसी जगह जहां से उनकी रवानगी हुई थी l
पार्टी और संगठन के वरिष्ठ नेताओं ने तो शायद मन बना ही लिया है, माई के लाल वाली "अ-भूली" जनता में बनी इमेज को फिर से नहीं आजमाने का, कई "आपके अपने" ही तैयार हो रहे है चेहरा चमकाते इमेज बनवाने को, उनको तो बदलने का एक और सशक्त कारण चाहिए l जो मिलेगा सम्मेलन के पश्चात, शायद फैलने या शायद नहीं फैलने वाली महामारी की स्थिति से क्योंकि सम्मेलन के पश्चात यदि संक्रमण बढ़ जाता है,तो जैसी की आशंका है तों निश्चित ही कड़े प्रतिबंधों को सख्ती से लागू किया जाएगा जो कि " गुनाह करे राजा और सजा भुगते प्रजा " मानी जाएगीl
और यदि संक्रमण नहीं बढ़ता तब भी वैश्विक आशंका के तहत संक्रमण बढ़ने की संभावना को रोकने के लिए कड़े से कड़े प्रतिबंध लागू करना ही होंगें l तब भी आम अवाम यहीं कहेगा कि "नेताओं को छूट और जनता को दे कूट" इसके लिए जनता माई के लाल वाले चेहरे को ही कोसेंगी परिणाम चुनाव में फिर संभावित बदलाव।
खैर सम्मेलन के पहले और बाद कि स्थिति की सही तस्वीर तों बना दी है सावधानी से देखो, समझों, सोचों और विचारों तथा सावधानी के साथ अपनी "रियल डेरिंग इमेज" बनाते जनता की जान बचाने के लिए कोई "खुद को अप्रिय" लगने वाला ठोस सख्त निर्णय लो और कोरोना के संभावित संक्रमण को रोकने का सराहनीय प्रयास करते जनता की जान बचाओ। सावधान हो जाओ बदलाव तो निश्चित ही है।
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