831 करोड़ की मां रतनगढ़ बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना के फर्स्ट फेज में...
आगामी रवि फसल के मौसम में लगभग 19000 हेक्टेयर क्षेत्र के किसानों को मिलेगा लाभ !
मां रतनगढ़ बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना मध्य प्रदेश शासन के इरिगेशन विभाग की एक ऐसी परियोजना है l जिससे मध्य प्रदेश के 3 जिलों ग्वालियर भिंड और दतिया के 78484 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा सकेगी l इस परियोजना के 58184 हेक्टेयर भूमि पर पाइपों में कर उच्च दाब द्वारा पानी की सप्लाई देकर सूत्र सिंचाई पद्धति के माध्यम से सिंचाई किया जाना प्रस्तावित है l इस संपूर्ण योजना के अंतर्गत स्योड़ा के गांव के डांग-डिंडोरी गांव के पास एक 246.95 एम सीएम की क्षमता के डैम का निर्माण किया जा रहा है l इस डैम के बन जाने पर 9 मेगा वाट बिजली बनेगी और 36 मिली घन मीटर पेयजल हेतु पानी आरक्षित रखा गया है l यह परियोजना दो चरणों में पूर्ण होने वाली है इसके प्रथम चरण में 58184 हेक्टेयर में निरंतर स्प्रिंकलर विधि से सिंचाई की योजना है l जिसके प्रथम चरण का कार्य आरंभ हो चुका है पाइपलाइन बिछाई जा रही है l इस पाइपलाइन से उच्च दाव युक्त सूक्ष्म सिंचाई पद्धति से सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना प्रस्तावित है यह कार्य मैसर्स मंटेना वशिष्ठा माइक्रो (जेव्ही) कंपनी द्वारा राशि 831 करोड़ में कराया जा रहा है l कार्य पूर्ण करने के लिए 60 माह का समय कंपनी को दिया गया है जोकि 21 जुलाई 2024 तक कंपनी को कार्य पूरा करना होगा l
परियोजना के अंतर्गत शीर्ष कार्य का निर्माण में एलएनटी जिओ,एलएनटी जेव्ही चेन्नई द्वारा 370 करोड रुपए से कराया जाना है l वर्तमान में बांध कार्य में प्रस्तावित वन भूमि 1305 हेक्टेयर का भारत सरकार से स्वीकृति न मिलने के कारण कार्य प्रारंभ नहीं हो सका है l
अभी पाइप नहर का निर्माण कार्य ग्वालियर जिले की डबरा तहसील के अंतर्गत देवगढ़ विलौआ नहर प्रणाली का कार्य से चल रहा है जिसके द्वारा आगामी रवि की फसल के मौसम में लगभग 19000 हेक्टेयर क्षेत्र के किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई जा सकने की संभावना बताई जा रही है l उक्त कार्य पूर्ण होने पर डबरा तहसील के 36 गांव के किसानों के 19000 हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो सकेगी ऐसा इरिगेशन विभाग के अधिकारियों का मानना है l
पाइप नहर से मिलने वाला पानी किसानों को बिना बिजली के उपलब्ध होगा l जिससे उसे बिजली बिल में भी राहत मिलेगी तथा पानी की चोरी भी रुक रुक जाएगी और वह कम पानी में अधिक क्षेत्र सिंचित कर सकेगा l इस पद्धति के द्वारा फसल की पैदावार की 1.5 गुना बढ़ जाएगी lकिसान को इस योजना का लाभ उठाने के लिए 12 सो ₹50 प्रति हेक्टेयर के हिसाब से शासन को पैसा देना होगा l
निसंदेह है यह योजना बहुत ही कारगर सिद्ध होने वाली है लेकिन जैसा कि योजना का प्रबंधन संभाल रहे इरिगेशन विभाग के अधिकारियों और कंपनी के ठेके द्वारा द्वारा मीडिया को उक्त उपलब्ध कराई गई है l
लेकिन जब मीडिया ने मौके पर जाकर देखा तो वहां पता चला की यह परियोजना 26 जून 2018 को स्वीकृत हुई लेकिन कंपनी के द्वारा इसका कार्य शुभारंभ अभी कुछ ही दिन पूर्व आरंभ हुआ लगता है l काम के समय पर शुरू न होने का कारण जब मीडिया ने जानना चाहा तो प्रबंधन का कहना है की कोरोना का काल के चलते काम देरी से शुरू हुआ है लेकिन कंपनी का कहना है कि यह हमारा प्रयास रहेगा कि हम समय सीमा के अंदर काम पूरा कर पाएं l
1. यहां कंपनी के द्वारा जो पंप हाउस बनाया जा रहा है वहां बेशकीमती बोल्डर्स (बड़ी-बड़ी चट्टानें) निकल रहे है l देखने पर यह पत्थर ग्रेनाइट जैसा प्रतीत होता है जिसकी बजरी भी बनाई जा सकती है और आरसीसी के काम में आने वाली गिट्टी भी, इस निकलने वाले पत्थर के बारे में जब इरिगेशन विभाग के अधिकारियों से बात की गई l उनसे पूछा गया कि इस पत्थर का क्या कर रहे हैं ? तो उनका कहना था कि यह तो ठेकेदार जाने यानी कि इस पत्थर पर क्या मालिकाना हक ठेकेदार को दे दिया गया है जोकि अनुचित है क्या टेंडर में ऐसी कोई बात है कि पत्थर मिट्टी पर ठेकेदार का अधिकार होगा ? प्रशासन को यह बात अपने संज्ञान में लेना चाहिए कि कहीं अनुचित तरीके से ठेकेदार को आर्थिक लाभ तो नहीं पहुंचाया जा रहा है l
2. इसी प्रकार कंपनी द्वारा जो मुख्य लाइन (पाइप नहर ) डाली जा रही है उस पाइप के नीचे किसी भी प्रकार का बेस / गिट्टी या आरसीसी का कोई फाउंडेशन नहीं डाला जा रहा है l डायरेक्ट खुदाई करने के बाद पाइप लाइन बिछाई जा रही है इस तरीके से क्या भविष्य में पाइपलाइन डैमेज नहीं होगी और अगर ऐसा होता है तो यह जवाबदारी किसकी होगी ? यह जवाबदेही भी शासन प्रशासन के द्वारा तय की जानी चाहिए l
3. जिन किसानों की जमीन इस पाइप नहर के रास्ते में आ रही है उन किसानों की जमीन में खुदाई करके पाइपलाइन डालने के एवज में कंपनसेशन दिए जाने की बात लिखित में कंपनी के द्वारा नहीं की जा रही है l कंपनसेशन इस लिए क्योंकि अभी खेतों में फसल खड़ी है और जितने एरिया में खुदाई होगी उतनी फसल तो बर्बाद होगी ही होगी l इसके लिए नेगोशिएशन कंपनी के द्वारा स्वयं ही किया जा रहा है l इस संबंध में इरिगेशन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हमने तो कंपनी को ठेका दे दिया है अब कंपनी किसानों से जैसे भी चाहे डील कर सकती है l ऐसे में किसानो को कितना कंपनसेशन देना है कैसे देना है यह कंपनी का काम है l ठेकेदार का कहना है हम किसान को प्रति 1 हेक्टेयर 5000 रुपये दे रहे है l लेकिन इसकी लिखा पड़ी का कोई प्रमाण ठेकेदार नहीं दे पाया l
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