कोरोना के बाद दूसरा सबसे बड़ा खतरा, ले सकता है 1 करोड़ लोगों की जान…
कोरोना और सुपरबग की जुगलबंदी से मचा कोहराम !
पिछले दो सालों से पूरी दुनिया कोरोना की मार झेल रही है. एक तरफ जहां हर साल एक नए वेरिएंट के साथ ये महामारी लोगों को न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक तौर पर भी कमजोर कर रही है. तो वहीं दूसरी तरफ अमेरिका में इंसानों के बीच तेजी से फैल रहे एक सुपरबग ने पूरी दुनिया को फिर से चिंता में डाल दिया है. मेडिकल साइंस के लिए यह बैक्टीरिया सुपरबग पिछले कुछ साल में एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है. ऐसे में कोविड-19 का संक्रमण इसे और ज्यादा खतरनाक बना रहा है. मेडिकल जर्नल लांसेट में प्रकाशित स्टडी बताती है कि अगर ये सुपरबग इसी रफ्तार से फैलता गया तो इसके कारण हर साल 1 करोड़ लोगों की मौत हो सकती है. मौजूदा वक्त में इस सुपरबग के चलते दुनिया भर में हर साल 13 लाख लोगों की जान जा रही है. लांसेट की स्टडी में खुलासा हुआ है कि सुपरबग पर एंटीबायोटिक और एंटी-फंगल दवाएं भी असर नहीं करती हैं. क्या ये सुपरबग दुनिया के लिए एक नए तरह का खतरा पैदा कर रहा है ?
यह बैक्टीरिया का ही एक रूप है. कुछ बैक्टीरिया हयूमन फ्रैंडली होते हैं तो कुछ इंसान के लिए बेहद खतरनाक होते हैं. ये सुपरबग इंसान के लिए घातक है. ये बैक्टीरिया, वायरस और पैरासाइट का स्ट्रेन है. जब बैक्टीरिया, वायरस, फंगस या पैरासाइट्स समय के साथ बदल जाते हैं तो उस वक्त उन पर दवा असर करना बंद कर देती है. इससे उनमें एक एंटीमाइक्रोबॉयल रेजिस्टेंस पैदा होता है. एंटीमाइक्रोबॉयल रेजिस्टेंस पैदा होने के बाद उस संक्रमण का इलाज काफी मुश्किल हो जाता है. आसान भाषा में समझे तो सुपरबग उस तरह की स्थिति है जब मरीज के शरीर में मौजूद बैक्टीरिया, वायरस और पैरासाइट के सामने दवा बेअसर हो जाए. सुपरबग किसी भी एंटीबायोटिक दवा के अधिक इस्तेमाल या बेवजह एंटीबायोटिक दवा इस्तेमाल करने से पैदा होते हैं. डॉक्टरों की माने तो फ्लू जैसे वायरल संक्रमण होने पर एंटीबायोटिक लेने पर सुपरबग बनने के अधिक आसार रहते हैं, जो धीरे धीरे दूसरे इंसानों को भी संक्रमित कर देते हैं.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार हमारे देश में भी निमोनिया और सेप्टीसीमिया के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली दवाएं कार्बेपनेम मेडिसिन अब बैक्टीरिया पर बेअसर हो चुकी हैं. इस वजह से इन दवाओं के बनाए जाने पर रोक लगा दी गई. सुपरबग एक से दूसरे इंसान के त्वचा संपर्क, घाव होने, लार और यौन संबंध बनाने से फैलता है. एक बार सुपरबग के इंसान के शरीर में होने पर मरीज पर दवाएं असर करना बंद कर देती हैं. फिलहाल सुपरबग की कोई दवाई मौजूद नहीं है लेकिन सही तरीके अपना कर इसकी रोकथाम की जा सकती है. कोरोना महामारी के बीच कुछ दिनों पहले ही सुपरबग की वजह से हो रही मौतों पर लांसेट ने स्टडी की है. रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में आईसीएमआर ने 10 अस्पतालों में अध्ययन किया और पाया कि कोरोना वायरस के बाद से लोग ज्यादा एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करने लगे हैं. एंटीबायोटिक के ज्यादा इस्तेमाल और सुपरबग के कारण हालात और ज्यादा खराब हुए हैं. कोरोना से संक्रमित होने वाले लगभग 50 फीसदी से ज्यादा कोविड मरीजों को इलाज के दौरान या बाद में बैक्टीरिया या फंगस के कारण इन्फेक्शन हुआ और उनकी मौत हो गई.
स्टडी के माने तो दुनिया में एंटीबायोटिक्स का इस्तेंमाल इसी रफ्तार में बढ़ता रहा तो मेडिकल साइंस की सारी तरक्की शून्य हो जाएगी. स्कॉलर एकेडमिक जर्नल ऑफ फार्मेसी की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 15 सालों में दुनिया भर में एंटीबायोटिक का इस्तेमाल 65 प्रतिशत बढ़ गया. कोरोना महामारी से बचने और अपने कमजोर इम्यूनिटी से डरे लोग अब सामान्य सर्दी-खांसी में भी एंटीबायोटिक इस्तेमाल कर रहे हैं. अमेरिका को इस सुपरबग के कारण 5 अरब डॉलर का नुकसान हो रहा है. लांसेट की इसी अध्ययन में बताया गया कि कैसे कोरोना महामारी के चलते अस्पतालों में हो रहे मरीजों ने एएमआर के बोझ को बढ़ा दिया है. इसका एक कारण है कि कोरोना के इलाज के दौरान ज्यादातर मरीजों को एंटीबायोटिक दी गई. साल 2021 में अमेरिका ने 10 रिसर्च के ज्यादा में पाया गया कि सुपरबग के कारण प्रीमैच्योर बर्थ का जोखिम बढ़ता है. वहीं पुरुषों को पेशाब से जुड़ी परेशानी होती है. हालांकि इससे इंसानों में लंबे समय तक होने वाले दुष्प्रभावों पर अभी और रिसर्च की जा रही है.
कैसे बचें -
- सुपरबग से बचने के लिए सबसे पहले हाथों को साबुन और पानी से धोएं.
- हाथ धोने के लिए हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें.
- खाने के सामान को साफ जगह पर रखें.
- भोजन को अच्छी तरह से पकाना और साफ पानी का इस्तेमाल करना.
- बीमार लोगों के संपर्क से बचें.
- डॉक्टर की सलाह लेने के बाद ही किसी एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग.
- एंटीबायोटिक दवाओं को दूसरों के साथ साझा नहीं करना.
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