स्लीपर-जनरल कोच की एक जैसी स्थिति !

 ट्रेन का सफर सजा से कम नहीं ...

स्लीपर-जनरल कोच की एक जैसी स्थिति !



रेलवे उत्तर से दक्षिण, पश्चिम और पूर्व को जोड़ने का कार्य करती है l रेलवे ने इंजन से लेकर कोच तक बहुत से बदलाव किए हैं। अब हाईस्पीड ट्रेन चलाने की तैयारी है। लेकिन, आम यात्री के लिए अब भी रेल में सफर करना सजा से कम नहीं है। आलम यह है कि ट्रेन के टॉयलेट के सामने 12 से 15 घंटे बैठकर यात्रा करना मुसाफिरों की मजबूरी है। मुंबई-हावड़ा मेल ट्रेन के स्लीपर और जनरल कोच की स्थिति एक जैसी थी। चार की क्षमता की जनरल कोच की सीट पर पांच से छह लोग बैठे थे। ऐसा ही आलम स्लीपर की सीटों पर भी था। कोच की गैलरी से लेकर दरवाजे और टॉयलेट तक यात्री खड़े और बैठे थे। भीड़ इतनी थी कि लोग स्लीपर कोच में भी ठसाठस भरे थे। इससे जिन यात्रियों के पास कंफर्म बर्थ थी वे भी परेशान थे। बिहार के प्रेम कुमार ने बताया कि स्लीपर क्लास में भीड़ जुटती है कि रात में भी सोना मुश्किल होता है।

जाने का अनुभव खराब

रांची एक्सप्रेस के जनरल कोच के टॉयलेट के पास खड़े चंदन सिंह प्रयागराज से जबलपुर रेलवे की भर्ती के लिए आ रहे थे। उनका अनुभव बहुत ही खराब रहा। एक यात्री ने बताया कि कन्फंर्म टिकट नहीं मिला, तो जनरल में जा रहे हैं। सुबह से खड़े होकर सफर कर रहे हैं। मेल एक्सप्रेस के जनरल कोच के बॉश बेसिन में पानी की बूंद नहीं टपक रही थी। टॉयलेट गंदगी से भरे थे। वहां से आ रही दुर्गंध से एक महिला को तो उल्टी होने लगी। टॉयलेट में नीचे पानी भी भरा होने से परेशानी हुई। महिला कोच में भी पुरुषों का कब्जा था। इस दौरान एक भी रेल सुरक्षा कर्मी नजर नहीं आया। देखने वाला कोई नहीं था।

तम्बाकू-गुटखा सब हाजिर: जबलपुर से कटनी रूट के बीच ट्रेन में तम्बाकू, गुटखा से लेकर लाइटर आदि सामग्री बिक रही थी। अवैध वेंडर धड़ल्ले से सामग्री बेच रहे थे। महिला कोच में भी पुरुषों का कब्जा था। इस दौरान एक भी रेल सुरक्षा कर्मी नजर नहीं आया। देखने वाला कोई नहीं था।-ट्रेन से लेकर स्टेशन में लगातार नजर रखते हैं। अवैध वेंडरों और बे टिकट यात्रियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। स्टेशन की कमियों को सुधारेंगे।

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