समारोह को विश्व स्तरीय दिखाने के चक्कर में...
तानसेन समारोह बनता जा रहा है एक तमाशा !
ग्वालियर l भारतीय शास्त्रीय संगीत की सुदीर्घ परंपरा रही है। संगीत सम्राट तानसेन इस परंपरा के संवाहक थे। उनकी स्मृति में एक शताब्दी से ग्वालियर में तानसेन समारोह होता रहा है।अब नयी सदी के मर्मज्ञों ने समारोह को विश्व स्तरीय बनाने की कसम खाई है। जिस मंच से पंडित रविशंकर, पंडित भीमसेन जोशी, पंडित मल्लिकार्जुन मंसूर, गंगू बाई हंगल, उस्ताद बिस्मिल्लाह खान प्रस्तुतियां दे चुके हैं उसी मंच पर विदेशी संगीतज्ञ (?) भारतीय शास्त्रीय संगीत की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं।
लेकिन आयोजक खुश हैं। दुख इस बात का है कि ग्वालियर के संगीत घरानों के लोग तमाशा देख कर भी मौन हैं। उस्ताद अमजद अली खां और लक्ष्मण राव पंडित जैसे लोग गुड़ खाकर बैठे हैं। ग्वालियर के संगीत प्रेमियों का धैर्य तो अंधभक्ति की पराकाष्ठा तक पहुंच गया है। वह दिन दूर नहीं जब अकबर के दरबार के नवरत्न तानसेन की याद में यहां वो सब होगा जिसकी कल्पना करना कठिन है। जिसकी बानगी भर है आधुनिक बाद्ययंत्रों के साथ दक्षिण अफ्रीका के एक बैंड द्वारा दी गई प्रस्तुति l
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