किसानों ने नदी में बहाया और पशुओं को खिलाया...
मध्य प्रदेश में टमाटरों की बेकद्री, एक रुपये किलो से कम हुए टमाटर के दाम
किसानों की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. पहले बाढ़, बारिश और सूखे ने किसानों की फसलों को बर्बाद कर दिया. कुछ दिन पहले फसलों पर मिर्च, रोगों का प्रकोप देखने को मिला. इस संकट से नहीं उबर पाए थे कि अब राज्यों में फसलों के दाम इतने बुरे हो गए हैं कि किसानों को नदी में बहाना पड़ रहा है. टमाटर के भाव इसी कदर नीचे गिर गए हैं कि मंडियों में किसानों को मन माफिक भाव नहीं मिल रहा है. किसान टमाटरों को नदियों में फेंकने को मजबूर हैं.
मध्यप्रदेश में 40 पैसे किलो बिक रहा टमाटर
मध्यप्रदेश में टमाटर का बुरा हाल हुआ है. पिछले साल दिसंबर में टमाटर का भाव 40 से 50 रुपये तक मिल रहा था. लेकिन इस साल टमाटर का दाम इतना गिर गया है कि किसान खून के आंसू रोने को मजबूर हैं. किसानों ने बताया कि एक कैरेट 20 से 30 रुपये किलो में बिक रही है. यदि प्रति किलो के हिसाब से देखें तो 40 से 50 पैसे प्रति किलोग्राम टमाटर का भाव किसानों को मिल रहा है.
क्यों गिरे टमाटर के भाव
मध्यप्रदेश की छिंदवाड़ा मंडी, शाजापुर मंडी समेत अन्य मंडियों में इसी कदर किसान परेशान हैं. अधिकारियों के अनुसार, दिसंबर और जनवरी में टमाटर आवक बढ़ने के कारण दाम कम हो जाते हैं. इस साल भी ऐसा हुआ है. इस साल टमाटर का उत्पादन बेहद अधिक हो गया है, जबकि खपत न के बराबर हैं. इसी कारण में बाजार में टमाटर खरीदार नहीं मिल रहा है. अधिकारियों का कहना है कि किसान टमाटर न पेंके. किसान टमाटर की खपत के लिए अन्य विकल्पों को आजमा सकते हैं. किसान टमाटो सॉस केचप, चटनी बनाकर बेच सकते हैं.
क्या कर रहे किसान?
मंडी में टमाटर लेकर पहुंच रहे किसानों का कहना है कि दो बीघा टमाटर की खेती की. इसमें 30 हजार रुपये से ज्यादा खर्च हो चुका है. मंडी मंे टमाटर एक रुपये से दो किलो में बिक रहा है. मंडी में लाना तक का भाड़ा भी नहीं निकल पा रहा. जब भाड़ा ही न निकले तो मंडी लाने का फायदा क्या है? इसी कारण किसान टमाटर को नदियों में फेंक रहा है या फिर पशुओं को खिला रहा है.
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