भाजपा-कांग्रेस के बीच क्रॉस ग्राफ कनेक्शन...
3 राज्यों की दो तिहाई SC/ST सीटें हार चुकी है BJP !
हिन्दी पट्टी के तीन बड़े राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अगले साल 2023 के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं। इन राज्यों समेत कुल 9 राज्यों में चुनाव होने हैं। गुजरात और हिमाचल चुनाव के नतीजों के आधार पर 2023 में हार-जीत की व्याख्या हो रही है और राजनीतिक दल उसके लिए रणनीति बना रहे हैं। आंकड़ों का विश्लेषण करें तो पाते हैं कि इन तीनों राज्यों (मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़) में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों की कुल संख्या 180 है। इनमें से दो तिहाई यानी 120 सीटों पर बीजेपी 2018 के चुनाव में हार चुकी है, जबकि 2013 में कुल 77 फीसदी सीटों पर बीजेपी विजयी रही थी। इंडिया स्पेंड के मुताबिक, कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए 2018 में इन तीनों राज्यों की आरक्षित 62 फीसदी सीटों पर जीत हासिल की थी, जो 2013 में सिर्फ 23 फीसदी थी।
मध्य प्रदेश में ST की आबादी 21 फीसदी जबकि SC की आबादी 16 फीसदी है। प्रदेश में अनुसूचित जनजाति के लिए 47 और अनुसूचित जाति के लिए 35 सीटें आरक्षित हैं। यानी राज्य की 230 सदस्यों वाली विधानसभा में कुल आरक्षित सीटों की संख्या 82 है। 2018 में बीजेपी ने इन 82 सीटों में से 26 सीटें गंवा दी थीं। उसे एसटी की 16 और एससी की 11 सीटों पर जीत मिली थी, जो 2013 के मुकाबले क्रमश: 15 और 11 कम हैं। कांग्रेस को आरक्षित सीटों पर 2013 के मुकाबले 2018 में 28 सीटों का फायदा हुआ था। कांग्रेस की ST की 29 और SC की 11 सीटों पर जीत हुई थी। चुनावी आंकड़ों के ग्राफ पर नजर डालें तो बीजेपी और कांग्रेस के बीच क्रॉस (X) ग्राफ बनता है।
छत्तीसगढ़ में 31 फीसदी अनुसूचित जनजाति और 13 फीसदी अनुसूचित जाति की आबादी है। 90 सदस्यों वाली विधानसभा में दोनों समुदाय की कुल आबादी 43 फीसदी है। यहां एसटी के लिए 29 और एससी के लिए 10 सीटें आरक्षित हैं। 2018 के चुनावी आंकड़ों पर गौर करें तो बीजेपी यहां भी दलितों का वोट पाने में कमजोर साबित हुई है। एसटी की रिजर्व 29 सीटों में से बीजेपी को सिर्फ चार सीटों पर ही जीत मिल सकी, जो 2013 से चार सीट कम है। वहीं कांग्रेस को रिकॉर्ड 24 सीटों पर जीत मिली, जो 2013 के मुकाबले 6 सीट ज्यादा है। एससी के लिए आरक्षित सीटों पर भी बीजेपी अपना आधार बचाए रख पाने में नाकाम रही थी। उसे 10 में से सिर्फ दो पर ही जीत दर्ज कर सकी जो 2013 के मुकाबले सात सीट कम है। उधर कांग्रेस को एससी की छह सीटों पर जीत दर्ज हुई थी, जो 2013 के मुकाबले 5 ज्यादा है।
राजस्थान की 200 सीटों वाली विधानसभा में एसटी के लिए 25 और एससी के लिए 34 सीटें आरक्षित हैं। यानी कुल आरक्षित सीटों की संख्या 59 है जो कुल सीटों का 30 फीसदी है। 2018 के चुनावों में एसटी के लिए आरक्षित 25 सीटों में से बीजेपी ने सिर्फ 10 पर जीत दर्ज की थी, जबकि कांग्रेस ने 13 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जो 2008 के मुकाबले छह सीट ज्यादा है।अनुसूचित जाति की आरक्षित 34 सीटों पर बीजेपी ने एक दशक में सबसे खराब प्रदर्शन करते हुए 2018 में सिर्फ 11 सीटें जीती थीं, जबकि पांच साल पहले 2013 में उसने 32 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2008 में भी बीजेपी ने 14 सीटों पर जीत दर्ज की थी। उधर, कांग्रेस ने 2013 में सभी सीटें गंवाने के बाद 2018 में 21 सीटें जीतीं थी जो 2008 के मुकाबले तिगुना है। तीनों ही राज्यों के चुनावी आंकड़ों पर नजर डालें तो आरक्षित सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच हार जीत का ग्राफ क्रॉस (X) नजर आता है। यानी पांच साल पहले स्थिति कुछ थी जो 2018 में कुछ हो गई। यह मतदाताओं के मूड में बदलाव का संकेत है।
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