अब कांग्रेस छोड़ भाजपा में आये सिंधिया समर्थकों को टिकट मिलने पर कैंची चलना तय !

 भाजपा ने पहले शर्ते पूरी की थी !

अब कांग्रेस छोड़ भाजपा में आये सिंधिया समर्थकों को टिकट मिलने पर कैंची चलना तय !

ग्वालियर l  मप्र में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिराकर भाजपा को सत्ता में लाने वाले श्रीमंत के कई समर्थक विधायकों के टिकट पर भारतीय जनता पार्टी आलाकमान कैंची चला सकता है। फिलहाल जिस तरह के संकेत मिल रहे हैं। उससे माना जा रहा है कि कम से कम आधा दर्जन श्रीमंत समर्थक इस बार टिकट से चंचित कर दिये जायेंगे। इनमें 3 मंत्री के नाम भी चर्चा में बने हुए है। यह वह मंत्री हैं जिनकी कार्यप्रणाली से सरकार से लेकर संगठन तक खुश नहीं है। यहीं नहीं इनकी कार्यप्रणाली से संघ भी नाराज बताया जाता है। कहा तो यह भी जा रहा है कि दलबदल के समय उपचुनाव में टिकट देने व मंत्री बनाने का जो वादा किया गया था उसे भाजपा पूरा कर चुकी है।

इसी का परिणाम है कि हारने वाले विधायकों को निगम मण्डल की कमान देकर उन्हें मंत्री पद का दर्जा देने की शर्त पर भी अमल किया जा चुका है। इस कारण से अब श्रीमंत और उनके समर्थक वादा खिलाफी का कोई आरोप भी नहीं लगा सकते हैं। ऐसा बताया जाता है कि दलबदल के पहले तय की गयी शर्त में सिर्फ एक बार टिकट देने की बात ही शामिल थी। इस बीच मिल रहे संकेतों की वजह से श्रीमंत समर्थक बहुत से नेताओं को  अब अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है। दरअसल जिन नेताओं के टिकटों पर कैंची चलने की संभावना जताई जा रही है  वह अब तक पार्टी व सरकार द्वारा कराये गये सर्वे में भी खरे नहीं उतर सके हैं। यही नहीं अब उनकी इलाके में भी पकड़ कमजोर होना भी बताई जा रही है।

उपचुनाव का परिणाम यह रहा था 

श्रीमंत समर्थक नेताओं द्वारा विधायकी से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने की वजह से प्रदेश में पहली बार एक साथ जब विधानसभा की 28 सीटों पर उपचुनाव हुए सतो उनमें सर्वाधिक सीटें ग्वालियर -चम्बल की ही थी। इस अंचल की 16 सीटों पर हुए उपचुनाव भाजपा को 10 सीटों पर जीत मिली थी। जबकि सरकार में भाजपा के होते हुए पूरी ताकत लगाने के बावजूद 6 सीटों पर कांग्रेस से हार का सामना करना पड़ गया था। इनमें श्रीमंत समर्थक तत्कालीन मंत्री इमरती देवी, एंदल सिंह कंसाना और गिर्राज दंडोतिया को भी हार का सामना करना पड़ा था।

चुनाव के लिये पैमना तय  हुआ टिकट का पैमाना

अगर पार्टी सूत्रों की माने तो उसके द्वारा विधानसभा चुनाव के लिये पैमना तय किया हुआ है। जिनके मुताबिक उन नेताओं को ही टिकट दिया जायेगा। जिनकी न केवल अच्छी छवि होगी। बल्कि कामकाज भी अच्छा रहने की वजह से जीत की संभावना अधिक है। जिन नेताओं के साथ पार्टी कार्यकर्त्ताओं का सामंस्य नहीं बैठ पा रहा है या जो स्वयं को पार्टी की रीति नीति के हिसाब से नहीं ढाल पाये हैं। ऐसे नेताओं से पार्टी चुनाव के वक्त किनारा कर लेगी। यही वजह है कि भाजपा संगठन व सरकार चुनावी साल से ठीक पहले अलग-अलग स्तर पर 3 सर्वे करा चुकी है। ऐसा माना जा रहा है कि चुनाव से पहले इसी तरह के सर्वे के 2 दौर और भी कराये जा सकते हैं।

सिंधिया के इलाके में सर्वाधिक चुनौती

विधानसभा चुनाव के समय भाजपा को सर्वाधिक चुनौती का सामना श्रीमंत के इलाके ग्वालियर-चम्बल अंचल में रहने वाली है। इसकी वजह है इसी अंचल से सर्वाधिक नेता कांग्रेस छोड़ भारतीय जनता पार्टी में आये थें इन्हीं नेताओं की वजह से ही भाजपा संगठन को सर्वाधिक चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी के पुराने नेता और कार्यकर्त्ता बेहद नाराज है।

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