आतंकवाद शांति और सुरक्षा के लिए खतरा ...
UNSC में जयशंकर बोले हम एक और 'मुंबई का 26/11' दोबारा नहीं होने दे सकते हैं
UNSC में विदेश मंत्री एस. जशंकर ने कहा कि किसी भी देश को आतंकवाद से राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास नहीं करना चाहिए। जब आतंकवाद से निपटने की बात आती है, तो हमें अपने राजनीतिक मतभेदों को दूर करना चाहिए। एक चुनौती यह है कि हम दोहरे मानकों से कैसे निपटें। विदेश ने 'आतंकवादी कृत्यों के कारण अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरे: वैश्विक आतंकवाद-विरोधी दृष्टिकोण सिद्धांत और रास्ता' पर UNSC ब्रीफिंग की अध्यक्षता की। भारत दिसंबर 2022 के महीने के लिए UNSC की अध्यक्षता कर रहा है।
26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों में सर्वाइवर और कामा एंड एल्बलेस अस्पताल में नर्सिंग अधिकारी अंजलि वी. कुलथे ने बताया कि मैं भाग्यशाली हूं कि 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले में बच गई। मैं आतंकी हमलों के पीड़ितों के परिवारों द्वारा सहे गए आघात और दुख की आवाज UNSC के संज्ञान में लाना चाहती हूं। इस पर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि मैं मुंबई 26/11 आतंकी हमले की बहादुर सर्वाइवर नर्स अंजलि कुलथे को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने हमारे साथ अपनी यादें साझा की हैं।
उन्होंने कहा कि आज की ब्रीफिंग संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपने आतंकवाद विरोधी एजेंडे को फिर से जीवंत करने के लिए भारत के चल रहे प्रयासों का एक हिस्सा है। आतंकवाद का खतरा वास्तव में और भी गंभीर हो गया है। हमने अल-कायदा, दाएश, बोको हराम और अल शबाब और उनके सहयोगियों का विस्तार देखा है। आतंकवाद शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है, यह सीमा-समझौता या नस्ल नहीं जानता।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद-रोधी संरचना चार बड़ी चुनौतियों से जूझ रही है, जिसमें आतंकवाद का वित्तपोषण, आतंकवाद-रोधी बहुपक्षीय तंत्रों की अखंडता, जवाबदेही और उनके कार्य करने के तरीके सुनिश्चित करना, आतंकवाद का मुकाबला करने में दोहरे मानकों को संबोधित करना और आतंकवादियों द्वारा नई और उभरती हुई प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग शामिल है। हम एक और 'न्यूयॉर्क का 9/11' या 'मुंबई का 26/11' दोबारा नहीं होने दे सकते।
UNSC में विदेश मंत्री एस. जशंकर ने कहा कि किसी भी देश को आतंकवाद से राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास नहीं करना चाहिए। जब आतंकवाद से निपटने की बात आती है, तो हमें अपने राजनीतिक मतभेदों को दूर करना चाहिए और शून्य-सहिष्णुता के दृष्टिकोण को प्रकट करना चाहिए। एक चुनौती यह है कि हम दोहरे मानकों से कैसे निपटें। बहुत लंबे समय के लिए कुछ लोग इस दृष्टिकोण को अपना रहे हैं कि आतंकवाद एक अन्य साधन या युक्ति है।
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