कांग्रेस विधायक अजब सिंह कुशवाहा की खतरे में है सदस्यता !

 

मध्यव प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष लेंगे अंतिम निर्णय

कांग्रेस विधायक अजब सिंह कुशवाहा की  खतरे में है सदस्यता !

भोपाल । मुरैना की सुमावली सीट से कांग्रेस विधायक अजब सिंह कुशवाहा की विधानसभा सदस्यता को लेकर अंतिम निर्णय विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम करेंगे। कुशवाहा को न्यायालय ने भूमि से जुड़े मामले में दो वर्ष के जेल की सजा सुनाई है। विधानसभा सचिवालय ने उन्हें नोटिस जारी कर स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा था, जिस पर उन्होंने उच्च न्यायालय में अपील दायर करनेे की जानकारी देते हुए समय देने की बात कही है l विधानसभा अध्यक्ष ने प्रमुख सचिव एपी सिंह से प्रकरण की अद्यतन स्थिति प्राप्त करने के निर्देश दिए हैं ताकि सत्र प्रारंभ होने के पूर्व निर्णय लिया जा सके। वहीं, टीकमगढ़ जिले की खरगापुर विधानसभा से भाजपा विधायक राहुल सिंह लोधी का निर्वाचन शून्य किए जाने के संबंध में न्यायालय का आदेश मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय और विधानसभा को प्राप्त नहीं हुआ है।

कुशवाहा के सभी प्रश्न किए शून्य

उधर, विधानसभा सचिवालय ने कांग्रेस विधायक अजब सिंह कुशवाहा के वेतन-भत्ते पर रोक लगानेे के बाद उनके द्वारा शीतकालीन सत्र के लिए लगाए प्रश्नों को शून्य कर दिया है। प्रमुख सचिव एपी सिंह का कहना है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रविधान अनुसार आज की स्थिति में विधायक की अयोग्यता बरकरार है। जब तक उन्हें उच्च न्यायालय से सजा पर स्थगन प्राप्त नहीं हो जाता है या फिर वह निरस्त नहीं हो जाती है, तब तक वे अयोग्य ही माने जाएंगे। 

यही कारण है कि उन्हें सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं होगी वे विधानसभा की किसी समिति की बैठक में भी भाग नहीं ले पाएंगे। कुशवाहा की सदस्यता को लेकर अंतिम निर्णय विधानसभा अध्यक्ष सभी परिस्थितियों को देखते हुए करेंगे। अभी उनके द्वारा उच्च न्यायालय में अपील किए जाने की सूचना दी गई है, जिसे अध्यक्ष के समक्ष प्रस्तुत कर दिया है। उन्होंने अद्यतन स्थिति पता लगाने के लिए कहा है। सत्र प्रारंभ होने के पूर्व निर्णय कर लिया जाएगा।

प्रहलाद लोधी के मामले में वापस लेने पड़ा था निर्णय

वर्ष 2019 में पन्ना जिले की पवई विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक प्रहलाद लोधी को विशेष न्यायालय द्वारा दो वर्र्ष की सजा सुनाए जाने पर उनकी सदस्यता भी दो नवंबर 2019 को समाप्त कर दी थी। उन्होंने भी उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी लेकिन प्रकरण पर निर्णय आने से पहले ही तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने उनकी सदस्यता समाप्त करने का निर्णय लेते हुए स्थान रिक्त घोषित कर सूचना निर्वाचन आयोग को भेज दी।

तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने पार्टी विधायकों के साथ तत्कालीन राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात कर इस फैसले पर आपत्ति जताई। उधर, उच्च न्यायालय ने सजा को स्थगित कर दिया। राज्यपाल ने निर्वाचन आयोग से अभिमत मांगा और फिर विधानसभा को 10 दिसंबर 2019 को उनकी सदस्यता बहाल करने के साथ स्थान रिक्त होने संबंधी अधिसूचना निरस्त करनी पड़ी। यही कारण है कि विधानसभा सचिवालय कुशवाहा के मामले में कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता है और सभी पहलुओं का परीक्षण करा रहा है l



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