शहर में स्मार्ट सिटी जैसा कुछ भी नजर नहीं आ रहा है !

ग्वालियर भले ही स्मार्ट सिटी घोषित हो गया है लेकिन...

शहर में स्मार्ट सिटी जैसा कुछ भी नजर नहीं आ रहा है !

ग्वालियर । महानगर भले ही स्मार्ट सिटी घोषित हो गया है ।लेकिन उसके बाद भी शहर स्मार्ट सिटी जैसा नजर नहीं आ रहा है। महानगर में चल रहे विकास कार्य कछुआ गति से चल रहे हैं ।नगर में व्याप्त जन समस्याएं खस्ताहाल सड़कें अंधेरे में डूबी सड़कें  कचरे के ढेर अमृत योजना का दंश जैसी समस्याएं मुंह बाएं खड़ी है। लेकिन उसके बाद भी संबंधित विभाग तथा सत्ताधारी दल के जनप्रतिनिधि शहर मैं विकास कार्य तेजी से होने का दम भर रहे हैं।वहीं जिला प्रशासन नगर निगम तथा स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन जैसे विभाग शहर में चल रहे विकास कार्यों को लेकर बैठक आयोजित कर उनकी समीक्षा कर दिशा निर्देश दे रहे हैं ।

लेकिन विकास कार्य गति नहीं पकड़ पा रहे हैं। इसका परिणाम यह है कि सत्ताधारी दल के ऊर्जा मंत्री किला गेट से सेवा नगर तक धीमी गति से बन रही सड़क को लेकर अपनी नाराजगी जता चुके हैं । इतना ही नहीं उन्होंने सड़क निर्माण में देरी के कारण अपनी पादुका भी उतार दी थी।  मंत्री इस नाराजगी के बाद भी सड़क निर्माण कार्य तेजी से नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन द्वारा बनाई जा रही इस स्मार्ट सड़क एमपी कछुआ गति से बन रही है जिसका खामियाजा शहर वासियों को भुगतना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर नगर निगम की अमृत योजना नगर वासियों के लिए अब जहर बनती जा रही है ।अमृत योजना के तहत खोदी गई सड़कें आज तक दुरुस्त नहीं हो सकी हैं। जिसके चलते सड़कों पर धूल उड़ रही है और गड्ढों के कारण आए दिन हादसे हो रहे हैं ।

अमृत योजना के तहत डाली गई पानी की लाइन है आए दिन फूट जाने के कारण बनी हुई सड़कों की भी खुदाई करना पड़ रही है ।इससे साफ है कि अमृत योजना की गुणवत्ता कितनी अच्छी है ।स्मार्ट सिटी वाले किस शहर की सड़कों पर लगी अधिकांश स्ट्रीट लाइटें बंद होने से अंधेरा नजर आ रहा है। महानगर के प्रमुख मार्गों को छोड़ दें तो गली मोहल्ले और पाश कॉलोनियों में स्ट्रीट लाइटें खराब पड़ी हैं ।शहर के कई इलाकों में गंदे पानी की पेयजल सप्लाई की समस्या भी आए दिन नजर आ रही है। शहर की यातायात व्यवस्था सुधारने के नाम पर आए दिन जिला पुलिस और नगर निगम के अधिकारी सिर जोड़ कर बैठते हैं लेकिन महानगर की यातायात व्यवस्था आज भी ध्वस्त दिखाई दे रही है। 

स्मार्ट सिटी वाले शहर में कई बार सिटी बस चलाई गई लेकिन सिटी बस सेवा सफल नहीं हो सकी ।महानगर की सड़कों पर अस्त-व्यस्त यातायात के कारण जाम लगना आम बात हो गई है ।लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इस समस्या का समाधान नहीं कर पा रहे हैं ।महानगर की सफाई व्यवस्था भी पूरी तरह से चौपट आ रही है जगह लगे गंदगी के ढेर इस बात की गवाही दे रहे हैं कि शहर की सफाई व्यवस्था कैसी है। जबकि स्वच्छता सर्वेक्षण में भी शहर का ग्राफ गिरा है ।वही शहर की सफाई व्यवस्था के लिए नगर निगम की पूरी चतुरंगी सेना है लेकिन उसके बाद भी नगर मैं गंदगी के ढेर लगे नजर आ रहे हैं। 

शहर में व्याप्त जनसमस्याओं को लेकर प्रभारी मंत्री के अलावा केंद्रीय मंत्री भी अपनी नाराजगी जता चुके हैं लेकिन अधिकारियों के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है ।शहर को स्मार्ट बनाने के नाम पर कभी चौराहों पर गोलंबर उनको बड़ा बना दिया जाता है और बाद में उन्हें छोड़कर छोटा किया जा रहा है ।इसी तरह पूर्व में शहर के कई मार्गों पर जनता की गाढ़ी कमाई खर्च कर नगर निगम के द्वारा साइकिल ट्रैक बनाया गया बाद में साइकिल ट्रैक को भी उखाड़ कर फेंक दिया गया ।शहर में हो रहे बिना योजना के इस विकास का खामियाजा शहरवासियों को भुगतना पड़ रहा है वहीं जनता की गाढ़ी कमाई भी पानी की तरह खर्च की जा रही है ।महानगर में भले ही सड़कों का जाल बिछा दिया गया हो लेकिन अतिक्रमण के चलते दिन के समय प्रमुख बाजारों की सड़कें भी सिकुड़ जाती हैं ।

आज भी बाजारों में फुटपाथ और सड़कों पर दुकानें लगी नजर आ रही हैं शहर का हृदय स्थल कहे जाने वाला महाराज बाड़ा भी अतिक्रमण की चपेट में आ चुका है। यहां फुटपाथ पर दुकान लगाने वालों का बोलबाला है नगर निगम का मदालखत  अमला भी अतिक्रमण हटाने के नाम पर औपचारिकता निभा कर चला जाता है। जबकि शहर की सड़कों पर होने वाले अतिक्रमण में नगर निगम और संबंधित थाने की अहम भूमिका रहती है शहर को भले ही स्मार्ट सिटी का तमगा मिल चुका हो लेकिन अतिक्रमण और बिगड़ती यातायात व्यवस्था के कारण शहर की छवि धूमिल हो रही है। वैसे परिषद की बैठकों में भी सत्ताधारी और विपक्ष के पार्षद शहर की बदहाल दशा को लेकर कई बार हंगामा कर चुके हैं लेकिन उसके बाद भी इन समस्याओं का कोई समाधान नहीं हो पा रहा है।

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