मात्र 100 रुपये के शुल्क के बदले डिग्री के लिए विश्वविद्यालय ने तीन लाख 65 हजार वसूले

मप्र आयुर्विज्ञान का मामला हाई कोर्ट पहुंचा...

मात्र 100 रुपये के शुल्क के बदले डिग्री के लिए विश्वविद्यालय ने तीन लाख 65 हजार वसूले

जबलपुर। मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर ने एमबीबीएस की डिग्री के लिए तीन लाख 65 हजार रुपये वसूल लिए। इसे लेकर हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर आरोप लगाया गया है l मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने इस सिलसिले में चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव व संचालक के साथ मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया है इसके लिए जनवरी के अंतिम सप्ताह तक का समय दिया गया है। याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी डा. निश्चय सक्सेना की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता ने राजधानी भोपाल के चिरायु मेडिकल कालेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की है। 

परीक्षा परिणाम आने के बाद उसने मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में डिग्री के लिए आवेदन किया। महज 100 रुपये निर्धारित शुल्क, मांगे कई गुना अधिक : मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा मात्र 100 रुपये का शुल्क निर्धारण किया गया है। इसके विरुद्ध याचिकाकर्ता से डिग्री के लिए तीन लाख 65 हजार रुपये की मांग की गई। छात्र ने मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के उच्चाधिकारियों से इस संबंध में चर्चा की, लेकिन अंतत: विवश होकर निर्धारित शुल्क से कई गुना अधिक राशि चुकानी पड़ी। यह सब उस समय हुआ, जबकि मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय पर परीक्षा सहित अन्य मुद्दों को लेकर व्यापक अनियमितता के आरोप लगा चुके हैं। समय-समय पर आंदोलनों की सूचनाएं प्रकाश में आती रहती हैं। यहां मनमनी नियुक्तियाें व घोटालों आदि की भरमार बेहद चिंताजनकहै। 

याचिकाकर्ता एनआरआई उम्मीदवार : अधिवक्ता संघी ने हाई कोर्ट को अवगत कराया कि याचिकाकर्ता एनआरआई उम्मीदवार है, लेकिन अन्य ऐसे उम्मीदवारों से भी मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय प्रशासन ने डिग्री के लिए मात्र 100 रुपये ही शुल्क लिया है। जबकि याचिकाकर्ता के मामले में अपवाद बतौर मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय प्रशासन ने नियमों से बाहर जाकर इतनी बड़ी राशि वसूल ली। ऐसा करने का उसे कोई अधिकार नहीं है। लिहाजा, याचिकाकर्ता से वसूली गई अतिरिक्त राशि उसे वापस कराई जाए। साथ ही इस तरह की लूट पर ठोस अंकुश सुनिश्चित किया जाए। दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई भी सुनिश्चित की जाए। ऐसा इसलिए ताकि भविष्य में ऐसी अंधेरगर्दी न हो।

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