पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था में कलेक्टर और पुलिस पर निर्भरता कम हो जाती है !

कमिश्नरेट व्यवस्था में कमिश्नर काफी स्वायत्त पद हैं...

पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था में कलेक्टर और पुलिस पर निर्भरता कम हो जाती है ! 

उत्तर प्रदेश l उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नेतृत्व में कैबिनेट ने एक नया फैसला लिया है जिसमें कि आगरा गाजियाबाद, प्रयागराज में भी कमिश्नरेट व्यवस्था लागू कर दी गई है इससे पहले यह व्यवस्था नोएडा,वाराणसी,लखनऊ एवं कानपुर में लागू थी पुलिस कमिश्नर व्यवस्था अपने आप में अत्यंत स्वायत्त यानी कि दबाव मुक्त व्यवस्था होती है इसमें कमिश्नर को कई पावर्स मिले होते हैं पहले क्या होता था कि जब पुलिस कमिश्नर व्यवस्था नहीं रहती थी तो विभिन्न प्रकार के आदेश के लिए कमिश्नर यानी कि पुलिस को कलेक्टर पर निर्भर रहना पड़ता था लेकिन कमिश्नरेट व्यवस्था में कमिश्नर काफी स्वायत्त पद हैं उन्हें विभिन्न चीजों के लिए कलेक्टर से निर्णय लेने की कोई आवश्यकता नहीं रहेगी। इसी के साथ जिस जोन में ही यानि की जिस जनपद में कमिश्नरकमिश्नर व्यवस्था लागू होती है उस क्षेत्र को मेट्रोपोलिन एरिया घोषित कर दिया जाता है यानी कि उसे कमिश्नरी क्षेत्र घोषित कर दिया जाता है जो कि संवेदनशीलसंवेदनशील माना जाता है पुलिस को ताकतवर बनाने के लिए पुलिस कमिश्नर व्यवस्था लागू की जाती है मध्य प्रदेश के विभिन्न शहरों में भी पुलिस कमिश्नर व्यवस्था लागू की गई है हालांकि वहां पर दो ही शहरों में पुलिस कमिश्नर व्यवस्था लागू की गई है जिसमें इंदौर और भोपाल शामिल है।

आयुक्त प्रणाली में इस प्रकार होते है पुलिस अधिकारीयों के पद -

  • पुलिस चौकी : उप निरीक्षक (sub inspector)
  • पुलिस थाना : SHO (station head officer) SO
  • सर्किल : पहले CO सिटी अब ACP ( assistant commissioner of police)
  • अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक :- additional DCP
  • SP/SSP(पहले) : अब (DCP) deputy commissioner of police
  • सबसे ऊपर : commissioner of police(CP)(IG rank officer)
  • JCP: कमिश्नर की सहायता के लिये (joint commissioner of police)(DIG rank ऑफिस
  • SHO : कमिश्नरेट व्यवस्था में जो अधिकारियों की पद होती हैं वे पद नाम और उनकी जिम्मेदारियां बदल जाती हैं अधिकारियों के पास में ज्यादा पावर आ जाते हैं सबसे पहले जो पुलिस विभाग की इकाई है वह चौकी होती है चौकी के बाद में पुलिस स्टेशन आता है पुलिस स्टेशन की जो प्रभारी होते हैं उनका नाम पुलिस कमिश्नर व्यवस्था में समान होता है उन्हें स्टेशन हेड ऑफिसर स्टेशन ऑफिसर कहते हैं जिन्हें एसएचओ (SHO)के नाम से जाना जाता है । ऐसे चुके नियंत्रण में  1 या उससे अधिक चौकी आती है और अपने क्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी एसएचओ की होती है |
  • CO बन जाते हैं ACP : फिर उसके बाद क्षेत्र के हिसाब से तीन या चार थानों को मिलाकर की एक सर्कल बनता है और सर्किल के जो ऑफिसर होते हैं जिन्हें की सर्कल ऑफिसर के नाम से जाना जाता था उन्हें असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस(ACP) के नाम से जाना जाता है एसीपी आईपीएस अधिकारी(IPS) होते हैं यानी कि जो ACP होते हैं वे आईपीएस सेवा के अधिकारी होते हैं उनके ऊपर अपने सर्कल में आने वाले सभी थानों की सुपरविजन यानी कि थानों की व्यवस्था देखने की जिम्मेदारी होती है।
  • एडिशनल DCP : फिर इसके बाद जिले में जो एडिशनल एसपी (Additional SP)होते हैं एडिशनल एसपी को एडिशनल डीसीपी (Additional DCP)के नाम से जाना जाता है जिनका फुल फॉर्म होता है अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त यानी कि डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस एडिशनल एसपी की तरह ही काम करते हैं लेकिन इनकी पास में एडिशनल एसपी से ज्यादा पावर होती हैं और इन्हीं एडिशनल डीसीपी के नाम से जाना जाता है यदि आईपीएस सेवा  के ही अधिकारी होते हैं।
  • DCP : फिर कमिश्नरेट व्यवस्था लागू होने के पहले जिन अधिकारियों को एसपी(SP) एसएसपी(SSP) यानी कि सुप्रिडेंट ऑफ पुलिस या सीनियर सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस के नाम से जाना जाता था उन्हें अब डीसीपी जोन यानी कि डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस के नाम से जाना जाएगा इसमें राज्य सेवा की भी अधिकारी होते हैं जो आईपीएस के सेवा में पदोन्नत हो चुके होते हैं उन्हें भी इस पद पर पोस्टेड किया जा सकता है।
  • कमिश्नर/ आयुक्त : फिर सभी जोन को मिलाकर के जोन के प्रमुख होते हैं उन्हें पुलिस कमिश्नर के नाम से जाना जाता है वह पुलिस आयुक्त होते हैं पुलिस कमिश्नर आईजी अथवा ADG रैंक के अधिकारी होते हैं  उनके नियंत्रण में उस जोन की सभी पुलिस होती है वह सीधे एडीजी येलो और डीजीपी प्रदेश को रिपोर्ट करते हैं बीच में किसी को नहीं ये इतने स्वतंत्र होते हैं कि अगर क्षेत्र के किसी नेता की सिफारिश जाती है तो यह इसे बिल्कुल इंकार कर सकते हैं इनके ऊपर कोई दबाव नहीं बना सकता। इनकी सहायता के लिए ज्वाइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस की नियुक्ति की जाती है जो कि डीआईजी रैंक के अधिकारी होते हैं। पुलिस कमिश्नर को क्या पावर्स मिली होती हैं इनकी चर्चा हम अगले लेख में करेंगे।

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