पट्टाधारी अब 3 साल तक ले सकेंगे उत्खनन की वन अनुमति

 अब नहीं देना होगा अनिवार्य किराया !

पट्टाधारी अब 3 साल तक ले सकेंगे उत्खनन की वन अनुमति

भोपाल।अगर उत्खनन पट्टा वन भूमि में है तो पट्टाधारी को वन अनुमति के लिए 18 माह की जगह अब तीन साल तक का समय दिया जाएगा। सैद्धांतिक सहमति मिलने पर आशय पत्र का धारक सैद्धांतिक सहमति वाले क्षेत्र के लिए पहले वन (संरक्षण) अधिनियम 1980 के तहत विधिवत अनुमति प्राप्त करेगा। इसके बाद खनन योजना भी तैयार कराकर खनन के पहले अनुमति, पर्यावरणीय अनुमति तथा अन्य सभी वैधानिक अनुमतियां एवं अनापत्तियां प्राप्त करन अनुमोदन खनन योजना सहित तीन साल की अवधि अथवा उसके पूर्व संचालक को प्रस्तुत करेगा। इसके बाद भी अनुमति नहीं मिलती है तो वन अनुमति लेने के लिए मंजूरी अधिकारी द्वारा दो वर्ष का अतिरिक्त समय भी दिया जा सकेगा। 

मध्य प्रदेश में अब एक खदान से निकलने वाले विभिन्न् खनिजों का अनिवार्य किराया नहीं देना होगा, केवल अधिक दर वाले खनिज का ही अनिवार्य किराया लगेगा। राज्य सरकार ने मप्र गौण खनिज नियम 1996 में संशोधन कर खदान संचालकों को राहत दी गई है। कम दर वाले खनिज में अनिवार्य किराया नहीं लगने से आम जनता को भी किफायती दर पर भवन निर्माण में उपयोगी खनिज उपलब्ध हो सकेगा।नई व्यवस्था के तहत स्वीकृत उत्खनन पट्टे का अनिवार्य किराया अथवा रायल्टी जो भी अधिक हो देनी होगी, लेकिन यदि किसी उत्खनन पट्टे में एक से अधिक खनिज स्वीकृत है, तब उस खनिज जिसकी दर सर्वाधिक हो का अनिवार्य किराया देना होगा। 

शेष खनिज पर केवल रायल्टी की राशि देनी होगी।साल के लिए देए अनिवार्य किराया का अग्रिम भुगतान दो किश्तों में किया जा सकेगा। प्रथम किश्त का भुगतान साल के जनवरी माह की 20 तारीख तक व द्वितीय किश्त का भुगतान जुलाई की 20 तारीख तक करना होगा। अभी साल के जनवरी माह में एक किश्त में भुगतान करना होता है। इसके अलावा खनिज की बकाया रायल्टी पर अब 24 प्रतिशत की जगह 12 प्रतिशत ब्याज लगेगा। पहले बकाया रायल्टी पर 24 प्रतिशत ब्याज वसूला जाता था।बांध, ताबाल, नहरों से निकाले गए कीचड़, गाद, मिट्टी को ग्रामीण मुफ्त ले जा सकेंगे। 

स्थानीय ग्रामीणों के ग्राम स्तरीय संगठन या किसान को यदि गैर व्यवसायिक प्रयोजन के लिए कीचड़, गाद, मिट्टी की आवश्यकता है तो उनके आवेदन पर संबंधित शासकीय विभाग, ग्राम पंचायत, निश्शुल्क ले जाने की अनुमति दे सकेंगे, लेकिन बांध, तालाबों एवं नहरों से रेत निकलती है तो उस पर रायल्टी लगेगी। शासकीय विभाग की अनुमति से सरकारी तालाब, बांध, नहर, स्टापडेम से निकाले गए कीचड़, गाद और मिट्टी का उपयोग संबंधित शासकीय विभाग द्वारा स्वयं के विभागीय कार्यों में उपयोग किया जाता है तो ऐसे कीचड़, गाद, मिट्टी पर कोई रायल्टी नहीं लगेगी और न ही परिवहन के लिए टीपी की आवश्यकता होगी। इसी तरह ग्राम पंचायतों पर भी यह नियम लागू होंगे, लेकिन संबंधित विभाग या ग्राम पंचायत इसका विक्रय नहीं कर सकेगा।

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