आरोग्यधाम बनाएगा सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल !

 गोला का मंदिर स्थित मार्क हास्पिटल की जमीन पर…

आरोग्यधाम बनाएगा सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल !

ग्वालियर । गोला का मंदिर स्थित मार्क हास्पिटल की जमीन पर आरोग्यधाम अस्पताल सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल बनाएगा। इस संबंध में आरोग्यधाम अस्पताल प्रबंधन की ओर से जिला प्रशासन को प्रस्ताव दे दिया गया है, जिसकी अब राजस्व टीम की ओर से जांच की जा रही है। एसडीएम ने तहसीलदार से प्रतिवेदन मांगा है। यहां पहले भी अपोलो ग्रुप ने सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल बनाने की पेशकश की थी और टीम ने विजिट भी किया था। इसके बाद वह आगे नहीं बढ़ सका। सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल बनने से पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. माधवराव सिंधिया का सपना अब सच हो सकता है !

गोला का मंदिर चौराहे पर 36 साल से प्रस्तावित मार्क अस्पताल की जमीन पर अंचल के सबसे बड़े निजी हास्पिटल को बनाने की योजना तैयार की जा रही है। लगभग 20 एकड़ जमीन पर अस्पताल के साथ ही मरीजों के अटेंडेंट के लिए भी सुविधाएं तैयार होनी हैं। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया लंबे समय से यहां लोगों के लिए बड़ा आधुनिक अस्पताल बने, इसके लिए प्रयासरत हैं। कुछ समय पहले हैदराबाद से अपोलो ग्रुप के प्रतिनिधि मंडल ने इस जमीन का मौका-मुआयना किया था। उन्हें यह जमीन पसंद भी आई थी, क्योंकि यह शहर में प्राइम लोकेशन की जगह है। अब आरोग्यधाम अस्पताल ने आवेदन दिया है। मार्क हास्पिटल वाली जमीन सिर्फ स्वास्थ्य सेवा व उपचार के लिए ही उपयोग की जा सकती है। यह सरकारी जमीन है और कोर्ट के आदेश में भी यह स्पष्ट किया गया है कि यहां उपचार संबंधी कार्य किया जा सकेगा। इसी कारण किसी और उपयोग के लिए इसे नहीं दिया जा सकेगा।

तत्कालीन केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया ने वर्ष 1986 में अस्पताल के लिए इस जमीन का आवंटन कराने के बाद 10 जून 1989 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से एक हजार बिस्तर के इंदिरा गांधी चिकित्सालय के लिए शिलान्यास कराया था। यह अस्पताल सऊदी अरब के सहयोग से तैयार होना था, लेकिन कुवैत व इराक युद्घ के कारण मामला अटक गया। इसके बाद यह जमीन हाटलाइन इंडस्ट्रीज को दी गई। तब मार्क अस्पताल बनाने का काम शुरू हुआ और इमारत का ढांचा तैयार कर दिया गया, लेकिन उद्योग घाटे में जाने के कारण हाटलाइन बंद हो गई और अस्पताल का काम भी रुक गया। यहां अस्पताल बनाने व संचालित करने वर्ष 2002 में एस्कार्ट समूह से एमओयू (समझौता पत्र) पर चर्चा शुरू हुई, लेकिन 2003 में कांग्रेस की सत्ता जाने के बाद भाजपा सरकार ने इस जमीन को महिला एवं बाल विकास विभाग व अन्य सरकारी विभागों को आवंटित कर दिया था।

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