कारम बांध मामले में आठ इंजीनियरों के खिलाफ आरोप-पत्र जारी

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कारम बांध मामले में आठ इंजीनियरों के खिलाफ आरोप-पत्र जारी


भोपाल। कारम बांध क्षतिग्रस्त होने के मामले में जल संसाधन विभाग ने आठ इंजीनियरों के खिलाफ आरोप पत्र जारी किया है। अगस्त माह में धार जिले में कारम मध्यम सिंचाई परियोजना वाले बांध के क्षतिग्रस्त होने पर राज्य सरकार ने तीन माह बाद आरोप-पत्र जारी किए हैं। इन सभी अधिकारियों को 15 दिन के अंदर अपना जवाब देने के लिए कहा गया है। इन पर आरोप है कि 304 करोड़ रुपये की लागत वाले कारम बांध के निर्माण में सुपरविजन और निर्माण की शर्तों का पालन न कराए जाने से बांध क्षतिग्रस्त हुआ। जिससे 18 गांवों में जान-माल की तबाही रोकने के लिए आबादी को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया और बांध के दांए कोने में कट लगाकर चैनल बनाकर पानी की निकासी की गई। इससे विभाग की छवि धूमिल हुई है।

जल संसाधन विभाग ने जिन आठ इंजीनियर के खिलाफ आरोप पत्र जारी किए हैं उनमें तत्कालीन प्रभारी मुख्य अभियंता नर्मदा ताप्ती कछार सीएस घटोले, तत्कालीन एसई जल संसाधन मंडल धार पी जोशी, तत्कालीन कार्यपालन यंत्री बीएल निनामा, तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी विकार अहमद सिद्दीकी एवं चार तत्कालीन उपयंत्री विजय कुमार जत्थाप, राजेंद्र कुमार श्रीवास्तव, अशोक कुमार राम एवं दशावंता सिसौदिया शामिल है। इन इंजीनियरों से 15 दिन में जवाब मांगा है। बता दें कि धार जिले के कारम बांध के घटिया निर्माण की जांच के लिए चार सदस्यीय दल बनाया गया। सरकार ने जल संसाधन विभाग के अपर सचिव आशीष कुमार के नेतृत्व में दल गठित किया। इसमें राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, क्षेत्रीय केंद्र भोपाल के विज्ञानी डा. राहुल कुमार जायसवाल, जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता दीपक सातपुते और संचालक बांध सुरक्षा अनिल सिंह शामिल हैं।

दल बांध के क्षतिग्रस्त होने के कारण, निर्माण की गुणवत्ता और जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका की जांच कर रहा है। बांध के घटिया निर्माण के लिए जिम्मेदार मानते हुए ठेका लेने वाली दिल्ली की एएनएस कंसट्रक्शन कंपनी और उसकी सहभागीदार होने के नाते ग्वालियर की सारथी कंपनी का पंजीयन निलंबित कर दिया था और उन्हें ब्लैक लिस्ट में डाल दिया। कंपनियों को भविष्य में मध्य प्रदेश में काम नहीं दिया जाएगा। कारम बांध व सिंचाई परियोजना 304 करोड़ रुपये की है। इसमें से 99 करोड़ 86 लाख 95 हजार रुपये बांध के निर्माण के लिए थे। कंपनी ने अपने सहयोगी ठेकेदार को निर्माण कार्य सौंपा था और उसने मिट्टी की पाल (दीवार) बनाई थी। इसमें मजबूती का ध्यान नहीं रखा गया। 11 अगस्त को पानी बढ़ते ही पाल से रिसाव होने लगा। बांध टूटने की आशंका के चलते बाइपास चैनल बनाकर पानी निकालना पड़ा। धार और खरगोन जिले के 18 गांव सतर्कता बरतते हुए खाली करवा लिए गए।

प्रारंभिक जांच के अनुसार, परियोजना का ठेका पहले वीआरएस कंपनी को मिला था, लेकिन ई-टेंडर में घोटाला उजागर हो गया और निविदा निरस्त कर दी गई। वर्ष 2018 में फिर से टेंडर खुला और एएनएस कंस्ट्रक्शन को ठेका मिला। कंपनी ने ठेका लेते ही सारथी कंपनी को कमीशन पर काम सौंप दिया। इस कंपनी ने भी कमीशन पर काम आगे बढ़ा दिया और एक अन्य ठेकेदार को सौंप दिया। अनुबंध के अनुसार कंपनी को अगस्त 2021 तक बांध तैयार करना था, पर कोरोना का हवाला देकर कंपनी ने एक साल का अतिरिक्त वक्त ले लिया। अगस्त 2022 में बांध तैयार करना था। समयसीमा पूरी हो रही थी, तो ठेकेदार ने ताबड़तोड़ मिट्टी की पाल बना दी। इसमें गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा गया।

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