मन ही मन में चल रहा, देवासुर संग्राम !

मन ही मंथरा दासी…

मन ही मन में चल रहा, देवासुर संग्राम !

मन हारा तो रावण है,

मन जीता तो राम।

मन ही मन में चल रहा,

देवासुर संग्राम।।

मन ही कैकई रानी है, 

मन ही मंथरा दासी।

मन मैला ना कीजिये, 

यही तो सत्यानासी।।

मन ही अंगद, मन बजरंगी,

मन की शक्ति अपार।

मन में हों श्रीराम तो,

वानर भी लंका पार।। 

दंभी मन के रावण का,

जिस दिन हो संहार।

विजयदशमी के पर्व का,

 मतलब हो साकार।।

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