तब्दीली होगी सूरत में...
हमको तो आसार नजर कम आते हैं
बैरंग चिठ्ठी,तार नजर कम आते हैं
सच के पैरोकार नजर कम आते हैं
खुश्बू आती हो जिनको छूने भर से
अब ऐसे अखबार नजर कम आते हैं
अर्थव्यवस्था की मजबूती का दावा
रुपया अस्सी पार नजर कम आते हैं
चिंता होने लगती है भक्तों को जब
टीवी पर सरकार नजर कम आते हैं
भगदड़ में हो गये केप्टन दल बदलू
होकर अब भंगार नजर कम आते हैं
तब्दीली होगी सूरत में खबर नहीं
हमको तो आसार नजर कम आते हैं
राकेश अचल
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