अब महिला खिलाड़ियों को मिलेगी पुरुष क्रिकेटरों के बराबर मैच फीस

बीसीसीआई का बड़ा ऐलान…

अब महिला खिलाड़ियों को मिलेगी पुरुष क्रिकेटरों के बराबर मैच फीस

नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने बहुत ही बड़ा फैसला लेते हुए क्रिकेट जगत को हैरान कर दिया है। बीसीसीआई ने घोषणा की है कि महिला  क्रिकेटरों को अब पुरुष खिलाड़ियों जितनी ही मैच फीस दी जाएगी। पिछले अध्यक्ष सौरव गांगुली  के पद से विदा होने के बाद यह भारतीय बोर्ड का एक ऐसा बड़ा फैसला है, जिसका पूरे क्रिकेट जगत पर बहुत ही बड़ा असर होगा। बीसीसीआई के सचिव जय शाह ने ट्वीट करते हुए कहा कि मुझे लैंगिंग समानता की दिशा में पहला कदम उठाते हुए खुशी हो रही है। हम भारतीय महिला टीम के अनुबंधित खिलाड़ियों के लिए बराबर की नीति लागू कर रहे हैं। हम क्रिकेट में लैंगिक समानता की दिशा के नए युग में प्रवेश कर रहे हैं। और हम पुरुष और महिला क्रिकेटरों  को बराबर मैच फीस का भुगतान किया जाएगा। 

बता दें कि भारतीय पुरुष टीम के खिलाड़ियों को प्रति टेस्ट मैच 15 लाख, हर  वनडे मैच के लिए छह और टी20 मुकाबले के लिए तीन लाख रुपये मैच फीस मिलती है। बोर्ड के इस फैसले के बाद अब अनुबंधित महिला टीम के खिलाड़ियों को भी इतनी ही मैच फीस मिलेगी, जिससे उनकी वार्षिक आमदनी पर बहुत ही ज्यादा असर पड़ेगा। बता दें कि पुरुष क्रिकेटरों की तरह ही बीसीसीआई महिला क्रिकेटरों से भी सालाना अनुबंध करता है, लेकिन दोनों की मैच फीस से अलग अनुबंध राशि में जमीन आसमान का फर्क है। भारतीय पुरुष क्रिकेट "ए+" कैटेगिरी के तहत सालाना सात करोड़, "ए" कैटेगिरी से सालना पांच और ग्रेड "बी" के तहत सालना तीन और ग्रेड सी के तहत  प्रत्येक साल एक करोड़ रुपये की रकम पाते हैं, लेकिन पुरुषों की तुलना में महिलाओं के अनुबंध की रकम काफी कम है। 

जहां पुरुष क्रिकेटरों के लिए कुल मिलाकर चार कैटेगिरी हैं, तो वहीं अनुबंधि महिला खिलाड़ियों को तीन वर्गों में बांटा गया है। ए कैटेगिरी की खिलाड़ियों को सालाना पचास लाख, जबकि बी कैटेगिरी की खिलाड़ियों को तीस लाख रुपये का भुगतान किया जाता है, जबकि सी कैटेगिरी की अनुबंधित खिलाड़ियों को साल में दस लाख रुपये मिलते। बीसीसीआई के ऐलान के बाद करोड़ों भारतीय फैंस और महिला क्रिकेट के समर्थक इसी पहलू को लेकर असमंजस में हैं कि जहां बीसीसीआई ने महिला खिलाड़ियों की मैच फीस पुरुषों के बराबर कर दी है, तो क्या पुरुषों की अनुबंध राशि की तुलना में उनके सालाना अनुबंध की राशि भी बढ़ेगी, या फिर यह जस का तस ही रहेगा?

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