शिक्षकों की कमी के चलते रोकी गई है मान्यता
प्रदेश के तीन सरकारी आयुर्वेद कालेजों की मान्यता अटकी
भोपाल । प्रदेश के तीन सरकारी आयुर्वेद कालेजों की स्नातक (बीएएमएस) पाठ्यक्रम की मान्यता नेशनल कमीशन फार इंडियन सिस्टम आफ मेडिसिन (एनसीआईएसएम) ने रोक दी है। एनसीआईएसएम ने यह कदम शिक्षकों की कमी के चलते उठाया है। इनमें प्रदेश के बुरहानपुर, जबलपुर और रीवा के कॉलेज शामिल है। सभी कालेजों ने एनसीआईएसएम को आश्वस्त किया है कि मापदंड के अनुसार शिक्षकों की कमी पूरी कर ली जाएगी।
अब आयोग के ऊपर है कि आश्वासन के आधार पर मान्यता देता है या नहीं। एक सप्ताह में इस पर निर्णय होगा। सबसे बड़ा संकट बुरहानपुर आयुर्वेद कालेज की मान्यता को लेकर है। यहां पर प्राध्यापक और सह प्राध्यापक के 12 और सहायक प्राध्यापक के 15 पद रिक्त हैं। तीन विभागों में एक भी शिक्षक नहीं हैं। इतना जल्दी इन पदों को भरना आसान नहीं है। ऐसे में यहां की बीएएमएस की मान्यता मिलना मुश्किल है। इस कालेज में बीएएमएस की 85 सीटें हैं। रीवा के आयर्वेद कालेज में प्राध्यापक और सह प्राध्यापक के मिलाकर चार और सहायक प्राध्यापक के दो पद रिक्त हैं।
कालेज प्रबंधन ने कमीशन को भरोसा दिलाया है कि शिक्षकों के रिक्त पदों को जल्द ही भर लिया जाएगा। इसके अलावा जबलपुर के सरकारी आयुर्वेद कालेज की मान्यता भी रुकी हुई है। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और उज्जैन की मान्यता आ चुकी है। उज्जैन कालेज की एमडी की मान्यता भी शिक्षकों की कमी के चलते अभी अटकी हुई है। आयुष संचालनालय में उप संचालक डा. अरविंद पटेल ने कहा कि मान्यता रोकी नहीं गई है। एनसीआईएसएम द्वारा एक-एक कर कालेजों की मान्यता जारी की जा रही है।
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