मध्यप्रदेश कहलाता है नदियों का मायका !

भारत की सभ्यता और संस्कृति के समागम का एहसास कराता MP…

मध्यप्रदेश  कहलाता है  नदियों का मायका !


भोपाल l देश का दिल यानि मध्य प्रदेश पूरे भारत की सभ्यता, संस्कृति, भूगोल, इतिहास के समागम का एहसास कराता है। यहां के लोग हर त्योहार, हर कल्चर में रचे बसे हैं। यही वजह है कि इसे देश का ह्रदय प्रदेश कहा जाता है और देश का दिल कहा जाता है, लेकिन क्या आपको पता है मध्य प्रदेश को नदियों का मायका यानी मदर ऑफ रिवर भी कहा जाता है। आज हम इसी के बारे में जानकारी देंगे। मध्यप्रदेश एक ऐसा राज्य है, जहां छोटी और बड़ी मिलाकर कुल 207 नदियां हैं। कई ऐसी नदियां हैं जो मध्य प्रदेश से निकलकर अन्य प्रदेशों के पानी और कृषि की जरीरतें पूरी करती है। इसलिए इसे नदियों का मायका कहा जाता है। आइये आज हम आपको मध्य प्रदेश की कुछ महत्वपूर्ण नदियों के बारे में बताते हैं। 

नर्मदा - मध्य प्रदेश का आस्था का केंद्र नर्मदा नदी देश की प्रमुख नदियों में से एक है। ये तीन राज्यों में बहती है, जिसमें मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात शामिल हैं। नर्मदा को मध्य प्रदेश की जीवन रेखा कहलाती है। इसका उद्गम अनूपपुर के अमरकंटक से है। अंत में यह नदी भरूच के पास खंभात की खाड़ी में गिरती है। नर्मदा नदी की कुल लम्बाई 1312 किमी है, जिसमें से अकेले मध्य प्रदेश में ये 1077 किमी किलोमीटर का सफर करती है। चंबल - चंबल नदी इंदौर जिले में महू की जानापाव पहाड़ियों में भादकला जलप्रपात से निकलती है। चंबल नदी 1,024 किलोमीटर लंबी है और यह मध्य और उत्तरी भारत में यमुना नदी की एक सहायक नदी है। माना जाता है कि चंबल नदी का प्राचीन नाम चर्मणवती था और इसका उल्लेख महाभारत काल में भी मिलता है। चंबल नदी कुल 965 किमी का सफर तय करते हुए इटावा के निकट यमुना नदी में मिल जाती है। इसका मध्य प्रदेश में 325 किमी का सफर है। 

सोन - सोन नदी मध्यस प्रदेश के अनूपपुर जिले की अमरकंटक से निकलती है। इसकी कुल लंबाई 780 किमी, जिसमें से मध्य प्रदेश में इसका 509 किमी का सफर है। वाल्मीकि रामायण में सोन नदी का वर्णन सुभागधी नाम से वर्णन किया गया है। ये बिहार में आरा के पास गंगा नदी में मिल जाती है। मध्य प्रदेश में सोन नदी पर बना बाणसागर बांध 2008 में चालू किया गया था। ताप्ती - ताप्ती0 नदी बैतूल जिले की काली सिंध पहाड़ी की चोटी मुलताई से निकलती है। इसकी कुल लंबाई 724 किमी है, जिसमें से मध्य प्रदेश के हिस्से में 279 किमी का भाग आता है। ताप्ती सूरत के निकट खम्भात की खाड़ी में मिल जाती है। यह मध्य प्रदेश के साथ-साथ महाराष्ट्र और गुजरात के लोगों को भी अपना जल देती है। इसे मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के बीच प्राकृतिक सीमा भी माना जाता है। 

माही - माही नदी पश्चिमी भारत की एक प्रमुख नदियों में से एक है। इसका उद्गम मध्यप्रदेश के धार जिले के विंध्याचल पर्वत श्रेणी के मिन्डा ग्राम से होता है। यह दक्षिणी मध्य प्रदेश के धार, झाबुआ और रतलाम जिलों से होते हुए गुजरात, राजस्थान में हबकर खंभात की खाड़ी में गिर जाती है। इसकी कुल लम्बाई लगभग 576 किलोमीटर है। ये एक अकेली ऐसी नदी है, जो बार कर्क रेखा को पार करती है। बेतवा - बेतवा रायसेन जिले के कुमरा गांव से निकलती है, जिसकी कुल लंबाई 480 किमी 380 किमी हिस्सा मध्य प्रदेश में है। बेतवा उत्तेरप्रदेश के हमीरपुर के निकट यमुना नदी में मिल जाती है। इसकी प्रमुख सहायत नदियां बीना, केन, धसान, सिंध, देनवा, कालीभिति और मालिनी हैं। इसके किनारे मध्य प्रदेश के विदिशा, सांची, ओरछा, गुना जैसे प्रमुख शहर बसे हैं। इसे मध्य प्रदेश की गंगा भी कहा जाता है।

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