प्रदोष काल में आज मनेगी धनतेरस

इसलिए खरीदे जाते हैं बर्तन...

प्रदोष काल में आज मनेगी धनतेरस

इस बार धनतेरस दो दिन की मनेगी। त्रयोदशी तिथि 22 अक्टूबर शनिवार की दोपहर 4:04 से शुरू होकर 23 अक्टूबर रविवार की शाम 4:35 बजे तक रहेगी। 22 को ही प्रदोष व्रत भी रहेगा। ऐसे में 22 अक्टूबर को ही धनतेरस मनाई जाएगी, क्योंकि धनतेरस प्रदोष के दिन ही रहती है। त्रिपुष्कर योग में धन्वंतरि जयंती के साथ धनतेरस की पूजा का समय प्रदोष काल में गोधूलि वेला 6:02 से 8:17 मिनट तक रहेगा। बाजारों में धन वर्षा होगी। पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि दीपावली पर गुरु ग्रह अपने स्वराशि मीन और शनि अपने स्वराशि मकर में रहेगा, जबकि शुक्र ग्रह तुला राशि में रहेगा।

इसलिए खरीदे जाते हैं बर्तन

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस का त्योहार मनाया जा रहा है। इसको लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। इस दिन बर्तन खरीदने के साथ सोना-चांदी खरीदने की भी परंपरा है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन ही भगवान धन्‍वंतरि महालक्ष्मी की तरह सागर मंथन से उत्पन्न हुए थे। जब भगवान धनवन्तरी का जन्म हुआ तो उनके एक हाथ में पात्र (बर्तन) था। इस पात्र में अमृत भरा हुआ था। भगवान घनवन्तरी के हाथ में रखा कलश अमृत से पूरे संसार को चिर काल तक जीवित रखने की शक्ति रखता है। इसके बाद से ही मान्यता है कि भगवान धनवन्तरी के जन्मदिन पर बर्तन खरीदे जाने चाहिए, ताकि भगवान से कलश से अमृत का कुछ अंश याचकों के बर्तन में भी गिरे। इससे लोगों के घरों में धन धान्य के भंडार भरे रहें और सुख समृद्धि का निवास घरों में रहे।

23 अक्टूबर रविवार को सर्वार्थ सिद्धी, अमृत सिद्धी योग के साथ कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 23 अक्टूबर की शाम 4 बजकर 35 मिनट से प्रारंभ होगी। नरक चतुर्दशी तिथि का समापन 24 अक्टूबर 2022 को शाम 4 बजकर 34 मिनट पर होगा। इस साल नरक चतुर्दशी, रूप चौदस यमदीप दान एक ही दिन 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा। मान्यतानुसार इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस की कैद से 16008 रानियों को मुक्त कराया था। इस दिन को छोटी दीपावली भी कहा जाता है।

24 अक्टूबर सोमवार की दोपहर 4.34 बजे से शुरू होगी और दूसरे दिन 25 अक्टूबर मंगलवार को दोपहर 4.04 बजे तक रहेगी। यही वजह है कि माता लक्ष्मी का पूजन 24 अक्टूबर सोमवार को होगा। वैधृति योग में लक्ष्मी पूजा का सर्वश्रेष्ठ शुभ समय शाम 6.55 से 8.54 तक स्थिर लग्न वृष रहेगी। रात्रि में 10.30 से 12 तक लाभ में मुहूर्त रहेगा।

दीपावली की देर रात से ही सूर्य ग्रहण का सूतक शुरू हो जाएगा। सूर्य ग्रहण का सूतक 25 अक्टूबर की तड़के 4.23 बजे से प्रारंभ होगा। 25 अक्टूबर मंगलवार को दिन में 4.23 स्पर्श, मध्य 5.28, मोक्ष 6.25 बजे होगा। ग्रहण काल में मंदिरों के पट बंद रहेंगे। शाम सात बजे पूजा-पाठ के बाद खोले जाएंगे। ग्रहण से राशियों पर भी प्रभाव रहेगा। इसमें मेष-धन लाभ, वृष-साथी कष्ट, मिथुन-शुभ समाचार, कर्क-प्रतिष्ठा, सिंह-विवाद, कन्या-सम्मान, तुला-कष्ट, वृश्चिक-हानि, धनु-सम्मान, मकर-शुभ, कुंभ-आद्यात, मीन-विवाद रहेगा।

26 अक्टूबर बुधवार को अन्नकूट महोत्सव एवं गोवर्धन पूजन होगी। 27 अक्टूबर गुरूवार भाईदोज, भगवान चित्रगुप्त कलमदवात पूजा के साथ दीपावली के त्योहार का समापन होगा।

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