फोटो ऑफ़ द डे

पंजाब का विकास या इस्लामीकरण !

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किसी काम से सरहिंद के पास से निकलना हुआ। वहाँ बने एक ऐतिहासिक गेट के नीचे से गुजरते हुए उस पर लिखे शब्दों पर नज़र पड़ते ही सहसा गाड़ी के ब्रेक लग गए। शब्दों को पढ़कर मन बड़ा विस्मित हुआ। अगर गलत नही हूँ तो इस गेट पर आज से पहले सेठ टोडर मल यादगारी गेट लिखा देखता था। यह वही सेठ टोडर मल थे जिनके बारे में शायद हम बुजुर्गों से सुनते आए थे कि इन्होनें गुरु गोबिंद सिंह जी के लाडलों के शवों के अंतिम संस्कार के लिए उनके पार्थिव शरीर के बराबर मुगल तानाशाह को सोने की गिन्नियाँ दी थी। 

सुनते थे कि तानाशाह की शर्त के मुताबिक गिन्नियाँ पड़ी (horizontal) नही बल्कि खड़ी (vertical) होनी चाहिए थीं। लेकिन उस शर्त को भी स्वीकारते हुए टोडर मल ने सोने की गिन्नियों को खड़ी (vertical) चिनवा दिया था। शरीर के बराबर गिन्नियों की संख्या और कीमत को आज के हिसाब से बनाया जाए तो हज़ारों करोड़ में संख्या बन जाएगी। 

आज के आदमी की बात की जाए तो जेब से किसी जरूरतमंद को अगर 10 का नोट भी निकालकर देता है तो उसकी मनस्थिति किसी धन्ना सेठ से कम नही होती होगी। इस गेट के नीचे से आते जाते सेठ टोडर मल का नाम लिखा देखकर न केवल दिल में अनायास ही उनके प्रति श्रद्धा भाव भर जाते थे।अपितु दिल में गरीबों-जरूरतमंदों के प्रति भाव भी पैदा करता था। 

लेकिन आज दिल यह देखकर बहुत मायूस हुआ कि गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज सच्चे बादशाह के जिस चेले सेठ टोडर मल का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाना चाहिए था, उस गेट पर स्याही से भी लिखे नाम को मिटा डाला गया।उनके नाम को साफ करके अब उसे नवाब शेर मुहम्मद खां यादगारी गेट बना दिया गया है। सियासत बहुत बेहया होती है, इसका इल्म तो था, लेकिन आज स्पष्ट भी देखने को मिल गया। सेठ टोडर मल की आत्मा इस कृत्य को देखकर बहुत अचंभित हो रही होगी। ये खालीस्तान के नाम पर इस्लामीकरण हो रहा है।

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