बज रही ढोल, नगाड़े ताशे, डम डमरू डम डम बाजे…
"नाग पंचमी का मेला"
बज रही ढोल, नगाड़े ताशे,
डम डमरू डम डम बाजे ।
खुशहाली की बरखा बरसे,
सावन शुक्ल पंचमी तिथि को
नाग पंचमी का लग रहा मेला।।
कावड़ियों की धूम मची है भारी
मंदिर मंदिर भीड़ लगी भक्तो की
शिव अभिषेक करते मिल सारे
नाग पंचमी के उत्सव पर देखो ,
भोलेनाथ प्रसन्न हो रहे हमारे।।
शुभ घड़ी मिल सब खुशी मनाते
घर में नए नए खूब पकवान बनाते
भोलेनाथ संग नागों की करके पूजा
कुल देवी देवता भी प्रसन्न हो रहे सारे
नाग पंचमी का उत्सव सभी मनाते। ।
नाग पंचमी का बागों में लगा है मेला,
प्रकृति मां भी खुश होती देखकर
सावन की हरियाली भाए सबको
बरखा से सारी गर्मी मिटती तब
झूला झूलने बागों में सखी बुलाए ।।
प्रतिभा दुबे
(स्वतंत्र लेखिका)
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