कोई हिन्दू मिला कोई मुसलमान मिला, पर अफसोस…
मुझे इंसान मे इंसान न मिला !
मैने इंसान मे इंसान को खोजा,
अफसोस मुझे इंसान मे इंसान नही मिला।
कोई हिन्दू मिला कोई मुसलमान मिला,
जब मैने हिन्दू मे हिन्दू को खोजा।
अफसोस मुझे हिन्दू मे हिन्दू नही मिला,
कोई ब्राह्मण मिला कोई ठाकुर मिला।
कोई बनिया मिला कोई दलित कोई यादव मिला,
जब मैने ब्राह्मण मे ब्राह्मण को खोजा।
अफसोस मुझे ब्राह्मण मे ब्राह्मण नही मिला,
कोई मिश्रा कोई दीक्षित कोई द्विवेदी मिला।
जब मैने मिश्रा मे मिश्रा को खोजा,
अफसोस कोई 18 विश्वा कोई 20 विश्वा का मिला।
हर कोई गुरबत मे मै ऊंचा तू है नीचा,
क्या यही है इंसानकितने टुकडो मे बटा फन्दो मे करता है रोज फसाद।
जब मैने मुसलमान मे मुसलमान को खोजा,
अफसोस मुझे मुसलमान मे मुसलमान न मिला।
कोई सुन्नी मिला कोई शिया मिला कोई कादयानी कोई अहमदिया मिला,
जब मैने सुन्नी मे सुन्नी को ढूंढा।
अफसोस मुझे सुन्नी मे सुन्नी नही मिला,
कोई बरेलवी मिला कोई देवबंदी मिला कोई सूफी कोई अफलातून मिला।
जब मैने बरेलवी मे बरेलवी को खोजा,
अफसोस मुझे बरेलवी मे बरेलवी नही मिला।
कोई अंसारी मिला कोई हज्जाम कोई सैयद,
कोई बेहना कोई गद्दी कोई कुरैशी कोई खान कोई पठान मिला।
बताओ कितने फिरको मे हो तुम,
टुकडो टुकडो मे बंटे तुम आखिर क्या हो।
गर इंसान हो तो सिर्फ इंसान बनो,
इन्सानियत की राह चल औ।
इन्सानियत के हक मे बात कर,
इन्सानियत के लिए इंसाफ कर।
झूठे कबीले मे क्यो बन्धा बैठा,
जाहिलो मे सभी जाहिल।
कैसे मिले खुशियो का साहिल,
तू गर इंसान है तो सिर्फ इंसान बन।
0 Comments