पंचकल्याणक महोत्सव आज से

फूलबाग मैदान को बनाया गया अयोध्या नगरी…

पंचकल्याणक महोत्सव आज से

 

श्रीमद् मज्जिनेन्द्र जिनबिंब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव, विश्वशांति महायज्ञ एवं गजरथ महोत्सव के लिए फूलबाग मैदान को अयोध्या नगरी बनाया गया है। यह आयोजन 18 से 24 फरवरी तक दिगंबर जैन तीर्थ गोपाचल पर्वत पर पहली बार किया जा रहा है। पंचकल्याण राष्ट्रसंत मुनिश्री विहर्ष सागर, मुनिश्री विजयेश सागर, मुनिश्री विनिबोध सागर ऐलकश्री विनियोग सागर के मार्गदर्शन में होगा। प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया की मुनिश्री विहर्ष सागर के सानिध्य में समन्यक जैन मिलन ग्वालियर के ओर से 19 फरवरी को सुबह 7:30 बजे नई सड़क स्थित चंपाबाग धर्मशाला सें मंगल कलश घटयात्रा निकाली जाएगी। इसमें 3 हाथी, 24 बग्घियांे में इंद्रा इद्राणियां सवार रहेंगे। घोड़े, डीजे, उदयपुर बैंड, 6 बैंड, तासे ढोल, डांडिया एवं 3 रथों में भगवान जिनेंद्र की प्रतिमा विरजित होकर चलेगी। यात्रा नई सड़क से शुरू होकर गस्त का ताजिया, राममंदिर, फालक बाजार, शिंदे की छावनी से अयोध्या नगरी फूलबाग मैदान पहुंचेगी। जहां ध्वजारोहण होगा।

महोत्सव में 7 दिन धार्मिक कार्यक्रमों का होगा आयोजन -

  • 18 फरवरी: जैन गोपाचल पर्वत पर भगवान पार्श्वनाथ देवी-देवताओं का आह्वान, अनुष्ठान सुबह 8 बजे से होगा।
  • 19 फरवरी: मंगल कलश घटयात्रा निकलेगी। कार्यक्रम स्थल पर जैन ध्वजारोहण।
  • 20 फरवरी: सुबह भगवान का अभिषेक, प्रवचन, महिलाओं द्वारा प्रतिमाओं का शुद्धिकरण, गोद भराई शाम को गर्भकल्याणक इंद्रा सभा होगी।
  • 21 फरवरी: सुबह भगवान का जन्म, जुलूस जन्म कल्याणक एवं ऐरावत हाथी पर सुमेरू पर्वत पर 1008 कलशों से जन्माभिषेक पांडुक शिला पर एवं शाम भगवान का पालना झुलाने के कार्यक्रम होंगे।
  • 22 फरवरी: बारात, भगवान का वैराग्य दीक्षा संस्कार होगा।
  • 23 फरवरी: ज्ञान कल्याणक।
  • 24 फरवरी: मोक्ष कल्याणक विश्व शांति गजरथ फेरी के साथ संपन्न होगा।

मुनिश्री विहर्ष सागर ने चंपाबाग धर्मशाला मे पत्रकारों से कहा कि पंचकल्याणक पत्थर (पाषाण) को भगवान बनाने की विधि है। तीर्थंकर बनने की पांच घटनाएं होती हैं। गर्भ, जन्म, वैराग्य, केवल ज्ञान और मोक्ष। पंचकल्याणक के दौरान पांचों दिन एक-एक घटना के संदर्भ में अनुष्ठान होता है। तीर्थंकर के गर्भधारण करने के 6 माह से देवता रत्नों की वर्षा करने लगते हैं। मुनिश्री ने कहा कि पत्थर से बनी प्रतिमाएं निर्जीव होती हैं। पहले अनुष्ठान के साथ ही उन्हें जीव मान लिया जाता है। अनुष्ठान के बाद मूर्तियां मंदिर में विराजमान कर पूजने लायक होती हैं। महोत्सव के लिए श्री दिगंबर जैन तीर्थ गोपाचल पर्वत मंदिर की वेदी मुख्य प्रतिमा भगवान पार्श्वनाथ की होगी।

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