मीडिया की दुर्दशा पर कमलनाथ ने की सरकार की खिंचाई…
मध्यप्रदेश में मीडिया पर लगी अघोषित सेंसरशिप
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ, विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने विधानसभा के मानसरोवर सभागार में बिछड़े कई बारी बारी पुस्तक का विमोचन किया। वरिष्ट पत्रकार देव श्रीमाली यह पुस्तक उन पत्रकारों पर लिखी है, जिनकी कोरोना काल में असमय मौत हो गई। किताब उन पत्रकारों के योगदान पर आधारित है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मीडिया को लेकर सरकार के रवैया पर तीखी टिप्पणी की। कमलनाथ ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने मीडिया पर घोषित सेंसरशिप लगाई थी लेकिन आज अघोषित सेंसरशिप लगी हुई है। उन्होंने मीडिया के आर्थिक हालात और समाचार पत्र पत्रिकाओं की दुर्दशा का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार को बिना भेदभाव के विज्ञापन नीति बनानी चाहिए। लेकिन आज मीडिया दम तोड़ रहा है क्योंकि सरकार ने मीडिया पर शिकंजा कस दिया है।
कमलनाथ ने कोरोना महामारी के दौरान मीडिया संस्थानों की भयानक आर्थिक स्थिति को आंकड़ों में बयान करते हुए कहा कि जहां मीडिया संस्थानों में 10 लाख से ऊपर लोगों को रोजगार मिला था आज वह संख्या घटकर 2 लाख के आसपास ही है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल के दौरान हुई मौतों का सरकार के पास कोई आंकड़ा नहीं है। अभी तक यह पता नहीं है कि कोरोना से मौत हुई है इसे कैसे सिद्ध किया जाए डॉक्टरी सर्टिफिकेट द्वारा या नगर निगम के सर्टिफिकेट द्वारा कमलनाथ ने कहा कि विश्व युद्ध देखे, प्राकृतिक आपदाएं देखी लेकिन ऐसी महामारी पहली बार देखी जिसमें सब कुछ बंद करना पड़ा। इसके चलते लोगों की आर्थिक कमर टूट गई जिसका असर मीडिया सहित सभी वर्गों पर पड़ा लेकिन सरकार ने कोई सहायता नहीं की। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने मौत के आंकड़े छुपाए जबकि अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने सच्चाई बया की। कमलनाथ ने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि लोकतंत्र को बचाने के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष मीडिया अत्यंत आवश्यक है। आज मीडिया जीवित है क्योंकि हमारे देश में प्रजातंत्र है।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कोरोना काल में दिवंगत पत्रकारों पर केंद्रित यह पुस्तक, फिर न लिखनी पड़े, ऐसे प्रयास हों। तीसरे लहर की आशंका के मद्देनजर मीडिया जागरूकता प्रसार की भूमिका का पुन: निर्वाह करे। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा कि प्रदेश कोरोना से बचाव के वैक्सीनेशन कार्य में अच्छी सफलता प्राप्त करने वाले प्रदेशों में है। इसमें मीडिया का महत्वपूर्ण योगदान है। तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए मीडिया ने पुन: जागरूकता के प्रयास प्रारंभ किए हैं। पुस्तक के लेखक देव श्रीमाली ने कहा कि कठिन कोरोना काल में पत्रकारों के सहयोग के लिए जनसंपर्क विभाग सक्रिय रहा। इस दौरान विभाग ने पत्रकारों की सहायता में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।
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