बहू रानी से पूछताछ की पीड़ा...

सासू मां के दुस्साहस की सजा !

बहू रानी से पूछताछ की पीड़ा...

शहंशाह की बहू रानी से ईडी ने पूछताछ की तो सासू मां का बिफरना बनता है।सासू मां बिफरी भी। वे सरकार को लाल टोपी लगाकर बिदकाने वालों में सबसे आगे थीं। सासू मां के इस दुस्साहस की सजा आखिर किसी को तो मिलना ही चाहिए,सो मिली। कान मरोड़ने को उतावले बैठे बाबाजी ने कोरी के नहीं तो कड़ेरे के कान मरोड़ दिए। आजकल सियासत में प्रतिक्रिया का महत्व है। यदि पूरी संस्कृति ही प्रतिक्रियावादी हो तो फिर इसे रोका नहीं जा सकता।सासू मां को भी ये हकीकत समझना चाहिए। बाबाजी के सरकारी ट्विटर हैंडल से जब लालटोपी पर ट्वीट किया गया था,उसी दिन तय हो गया था,कि अब खेला होगा।खेला हुआ।लालटोपी वालों ने भगवा दुपट्टे वालों की नाक में दम कर दिया। सड़क से संसद तक लालटोपी वाले बाबाजी को जीभ बिराते नज़र आए। 

स्वाभाविक है कि इसकी प्रतिक्रिया हुई और बाबाजी ने अपनी पोटली से ईडी का सांप ढील दिया। यूपी में कमल की खेती उजाड़ने में लगे लालटोपी वालों के यहां ईडी के सांप फुफकारने जा धमके। सरकारी तोता-मैना,सांप आदि आजकल केवल भभकी देने के काम आते हैं।जब जब कोई कमल की खेती खराब करता है उसे इन रबड़ के सांपों से डराया जा सकता है,डराया जाता है। ममता दीदी से लेकर तमाम लोगों को इसका तजुर्बा है।मजे की बात है कि अब लोग रबड़ के सांपों की फुफकार से डरते नहीं हैं। खबर है कि ईडी का एक सांप यूपी के साथ ही मुंबई भी भेजा गया। मुंबई में गुड्डी भाभी की बहू रानी भी रहती हैं। 

बहू रानी का अपना ऐश्वर्य है। पांच साल पहले हुए पनामा लीक  के बाद से बहू रानी को सरकार अपनी सुविधा से ईडी का सांप दिखाती रहती है।सासू मां को नियंत्रित करने के लिए ईडी का सांप एक बार फिर पांच घंटे तक ऐश्वर्या के सामने नर्तन करता रहा। प्रतिद्वंदियों को आतंकित करने के लिए छापामारी, पूछताछ अब पुराना हथकंडा हो चुका है।जो भी सत्ता में होता है इन सब हथकंडों का इस्तेमाल करता है। मजबूरी है सत्ता प्रतिष्ठान की ऐसा करना। बावजूद इसके विरोधी कम ही दबाव में आते हैं।हाथी वाली बहन का नाम मै जानबूझ कर नहीं ले रहा।वे आतंकित नेताओं की सूची में शामिल हैं। 

आजकल खुलकर न बोलती है,न खेला में शामिल हो रही है।यूपी के अलावा दूसरे सूबों में भी ईडी के सरी-सर्प छोड़े जाएंगे। यही मौसम है इनसे काम लेने का। बाकी समय तो ये शीतनिंद्रा में रहते हैं।इन सब से भयभीत लोग मुकाबला करने के बजाय इनसे बचने के लिए हाथों में कमल का फूल थाम लेते हैं। कमलगट्टे का इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं। कमलासन अपना लेते हैं। लाल टोपी वाले फिलहाल मुकाबले में हैं। लगता है इस बार पीछे नहीं हटेंगे। हैरानी की बात है कि बहू रानी के पक्ष में सासू मां खुलकर खड़ी हैं लेकिन ससुर साहब ने एक शब्द नहीं कहा।शायद वो कानून का दिल से सम्मान करते हैं। राज-काज में दखल नहीं देते। जानते हैं कि राजनीति कितनी हरजाई होती है।वे राजनीति के वजाय सिनेमा की सल्तनत में ही खुश हैं। उन्हें अपनी गुड्डी पर यकीन

- राकेश अचल

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